Bharat Ke rashtrapati 2023: भारत के राष्ट्रपति वर्तमान 2023 में द्रौपदी मुर्मू हैं, जिनका कार्यकाल 25 जुलाई 2022 से शुरू हुआ। द्रौपदी मुर्मू भारत की पहली आदिवासी राष्ट्रपति और सबसे युवा राष्ट्रपति है जो आदिवासी समुदाय से सम्बन्ध रखती हैं। द्रौपदी मुर्मू देश की 15वीं राष्ट्रपति बन चुकी हैं।
भारतीय सविधान के अनुसार भारत का राष्ट्रपति देश का मुखिया तथा प्रथम नागरिक होता है। भारत में 1947 से अब तक 13 राष्ट्रपति निर्वाचित किये जा चुके हैं। हम प्रतिवर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाते हैं। भारत को एक गणतंत्र के रूप में जाना जाता है। क्या आप इसका कारण जानते हैं? इसका कारण है कि भारत का राष्ट्रपति निर्वाचित होता है। ब्रिटेन में ऐसा नहीं है अपितु वहां का राज्य प्रमुख राजा अथवा महारानी होती है। वहां यह पद वंशानुगत है।
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भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बारे में (About Indian President Draupadi Murmu)
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को उड़ीसा के मयूरभंज में हुआ था। उनके पिता बिरंची नारायण टुडू और दादा दोनों ही अपने गांव के सरपंच रहे हैं। श्याम चरण मुर्मू से उनकी मुलाकात कॉलेज के दिनों में हुई थी। बाद में दोनों ने शादी कर ली। शादी के बाद ही द्रौपदी टुडू का नाम बदलकर द्रौपदी मुर्मू हो गया। दोनों के कुल तीन बच्चे, दो बेटे और एक बेटी हुए। साल 2009 में उनके बेटे का निधन हो गया और 4 साल बाद 2013 में ही दूसरा बेटा भी गुजर गया। द्रौपदी मुर्मू के बारे में और पढ़ें…
President of India Contact Details
Name | Designation | Contact Numbers | Contact via Email |
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His Excellency Shri Ram Nath Kovind | President of India | +91 11 23015321 ( Off.) +91 11 23017290,23017824 (Fax) | [email protected] |
Shri Kapil Dev Tripathi ( IAS, AM..1980 ) | Secretary to the President | +91 11 23013324,23014930 ( Off.) +91 11 23017290,23017824 (Fax) | [email protected] |
Shri Ajay Kumar Singh | Press Secretary to the President | +91 11 23016535, 23014322 ( Off.) +91 11 23794498 (Fax) | [email protected] |
Shri P. Praveen Siddharth ( IRS, IT..2001 ) | Private Secretary to the President | +91 11 23014507, 23014320 ( Off.) +91 11 23011689 (Fax) | [email protected] |
Shri Ajay Bhadoo | Joint Secretary | +91 11 23793302, 23794380 ( Off.) +91 11 23011949 (Fax) | [email protected] |
Dr. Rakesh B. Dubey | OSD to the President (Hindi) | +91 11 23019852,23014261 ( Off.) | [email protected] |
Shri Jagannath Srinivasan | OSD to the President | +91 11 23793893 ( Off.) | [email protected] |
Smt. Keerti Tiwari | Dy. Press Secretary to the President | +91 11 23792985, 23794442 ( Off.) +91 11 23010252 (Fax) | [email protected], [email protected] |
Lt Gen Sanjiv Rai AVSM, SM, VSM | Military Secretary to the President | +91 11 23016754, 23014222 ( Off.) +91 11 23014570 (Fax) | [email protected] |
Web Information Manager:
Address: | PRO, Museum President’s Secretariat Rashtrapati Bhavan New Delhi – 110004 |
Phone: | 011 23015321 |
Reception Officer:
Address: | PRO, Museum President’s Secretariat Rashtrapati Bhavan New Delhi – 110004 |
Phone: | 011-23013287 / 23015321 |
भारत के राष्ट्रपति की सूची (List of President of India)
राष्ट्रपति का नाम (Name of President) | कार्यकाल |
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डॉ. राजेंद्र प्रसाद | 26 जनवरी 1950 से 12 मई 1962 |
डॉ. एस राधाकृष्णन | 13 मई 1962 से 13 मई 1967 |
डॉ. जाकिर हुसैन | 13 मई 1967 से 3 मई 1969 |
वराहगिरि वेंकटगिरि | 3 मई 1969 से 20 जुलाई 1969 |
मोहम्मद हिदायतुल्ला | 20 जुलाई 1969 से 24 अगस्त 1969 |
वराहगिरि वेंकटगिरि | 24 अगस्त 1969 से 24 अगस्त 1974 |
फखरुद्दीन अली अहमद | 24 अगस्त 1974 से 11 फरवरी 1977 |
बसप्पा दनप्पा जत्ती | 11 फरवरी 1977 से 25 जुलाई 1977 |
नीलम संजीव रेड्डी | 25 जुलाई 1977 से 25 जुलाई 1982 |
ज्ञानी जैल सिंह | 25 जुलाई 1982 से 25 जुलाई 1987 |
रामास्वामी वेंकटरमण | 25 जुलाई 1987 से 25 जुलाई 1992 |
शंकर दयाल शर्मा | 25 जुलाई 1992 से 25 जुलाई 1997 |
कोचेरिल रमण नारायणन | 25 जुलाई 1997 से 25 जुलाई 2002 |
ए. पी. जे. अब्दुल कलाम | 25 जुलाई 2002 से 25 जुलाई 2007 |
प्रतिभा पाटिल | 25 जुलाई 2007 से 25 जुलाई 2012 |
प्रणव मुखर्जी | 25 जुलाई 2012 से 24 जुलाई 2017 |
रामनाथ कोविंद | 25 जुलाई 2017 से 24 जुलाई 2022 |
द्रौपदी मुर्मू | 24 जुलाई 2022 से अब तक |
भारत के सभी राष्ट्रपति के बारे में (About All President of India)
डॉ राजेन्द्र प्रसाद
इनका जन्म 1884 में हुआ था। इनका कार्यकाल 26 जनवरी 1950 से 13 मई 1962 तक रहा। ये देश के पहले राष्ट्रपति और लगातार दो बार राष्ट्रपति के पद पर निर्वाचित होने वाले एकमात्र व्यक्ति हैं। इनकी मृत्यु 1963 में हुई।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन
इनका जन्म 1888 में हुआ था। इनका कार्यकाल 13 मई 1962 से 13 मई 1967 तक रहा। ये उपराष्ट्रपति से राष्ट्रपति बनने वाले देश के पहले व्यक्ति हैं। उनके जन्मदिवस 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। 1933 से 1937 तक लगातार पांच बार साहित्य के नोबल पुरस्कार के लिए नामित किए गए। इनकी मृत्यु 1975 में हुई।
डॉ. ज़ाकिर हुसैन
इनका जन्म 1897 में हुआ था। इनका कार्यकाल 13 मई 1967 से 3 मई 1969 तक रहा। ये पहले निर्वाचित मुस्लिम राष्ट्रपति तथा जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के संस्थापक हैं। राष्ट्रपति पद पर आसीन रहते हुए मृत्यु 1969 में हुई।
वाराहगिरी वेंकट गिरि
इनका जन्म 1894 में हुआ था। इनका कार्यकाल 3 मई 1969 से 20 जुलाई 1969 और 24 अगस्त 1969 से 24 अगस्त 1974 तक रहा। इनकी मृत्यु 1980 में हुई।
मोहम्मद हिदायतुल्ला
इनका जन्म 1905 में हुआ था। इनका कार्यकाल 20 जुलाई 1969 से 24 अगस्त 1969 तक रहा। इनकी मृत्यु 1992 में हुई।
डॉ फ़ख़रुद्दीन अली अहमद
इनका जन्म 1905 में हुआ था। इनका कार्यकाल 24 अगस्त 1974 से 11 फरवरी 1977 तक रहा। इनकी मृत्यु 1977 में हुई।
बी डी जत्ती
इनका जन्म 1912 में हुआ था। इनका कार्यकाल 11 फरवरी 1977 से 25 जुलाई 1977 तक रहा। इनकी मृत्यु 2002 में हुई।
नीलम संजीव रेड्डी
इनका जन्म 1913 में हुआ था। इनका कार्यकाल 25 जुलाई 1977 से 25 जुलाई 1982 तक रहा। इनकी मृत्यु 1996 में हुई।
ज्ञानी जैल सिंह
इनका जन्म 1916 में हुआ था। इनका कार्यकाल 25 जुलाई 1982 से 25 जुलाई 1987 तक रहा। इनकी मृत्यु 1994 में हुई।
आर वेंकटरमण
इनका जन्म 1910 में हुआ था। इनका कार्यकाल 25 जुलाई 1987 से 25 जुलाई 1992 तक रहा। इनकी मृत्यु 2009 में हुई।
डॉ शंकर दयाल शर्मा
इनका जन्म 1918 में हुआ था। इनका कार्यकाल 25 जुलाई 1992 से 25 जुलाई 1997 तक रहा। इनकी मृत्यु 1999 में हुई।
के आर नारायणन
इनका जन्म 1920 में हुआ था। इनका कार्यकाल 25 जुलाई 1997 से 25 जुलाई 2002 तक रहा। इनकी मृत्यु 2005 में हुई।
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम
इनका जन्म 1931 में हुआ था। इनका कार्यकाल 25 जुलाई 2002 से 25 जुलाई 2007 तक रहा। इनकी मृत्यु 27 जुलाई 2015 में हुई।
प्रतिभा पाटिल
इनका जन्म 1934 में हुआ था। इनका कार्यकाल 25 जुलाई 2007 से 25 जुलाई 2012 तक रहा। ये देश की पहली महिला राष्ट्रपति हैं।
प्रणब मुखर्जी
इनका जन्म 11 दिसंबर 1935 में हुआ था। इनका कार्यकाल 25 जुलाई 2012 से 24 जुलाई 2017 तक रहा। इन्होने लोकसभा, राज्यसभा, वित्त मंत्री, रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री, योजना आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में 6 दशकों तक देश की सेवा की है।
रामनाथ कोविंद
राम नाथ कोविंद का जन्म 1 अक्टूबर 1945 को उत्तर प्रदेश राज्य के कानपुर देहात जिले के परौख में हुआ था। ये भारत के 14वें राष्ट्रपति के रूप में चुने गए हैं। इनका कार्यकाल 25 जुलाई 2017 से 24 जुलाई 2022 तक रहा।
द्रौपदी मुर्मू
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को उड़ीसा के मयूरभंज में हुआ था। उनके पिता बिरंची नारायण टुडू और दादा दोनों ही अपने गांव के सरपंच रहे हैं। यह 25 जुलाई 2022 से अभी तक कार्यरत हैं।
भारत के राष्ट्रपति की निर्वाचन प्रक्रिया (Election Process of President of India in Hindi)
भारत के राष्ट्रपति का निर्वाचन एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है जिसमें संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सांसद तथा सभी राज्यों की विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य होते हैं। इसके अतिरिक्त केंद्रशासित क्षेत्र दिल्ली तथा पुदुच्चेरी (पूर्व में पाण्डिचेरी) की विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य भी भाग लेते हैं। निर्वाचन गुप्त मतदान द्वारा होता है। राष्ट्रपति का चुनाव अनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर एकल संक्रमणीय मत प्रणाली से होता है।
भारत के राष्ट्रपति निर्वाचन होने के लिए अर्हताएं
राष्ट्रपति पद के निर्वाचन हेतु एक व्यक्ति में निम्नलिखित योग्यताएं होनी चाहिए:
- वह भारत का नागरिक होना चाहिए,
- वह 35 वर्ष की आयु पूरी कर चूका हो,
- वह लोक सभा का सदस्य निर्वाचित होने के लिए आवश्यक योग्यता रखता हो, और
- वह भारत सरकार, किसी राज्य सरकार अथवा किसी स्थानीय प्राधिकरण अथवा किसी सरकारी प्राधिकरण में किसी लाभकारी पद पर आसीन नहीं होना चाहिए।
भारत के राष्ट्रपति का कार्यकाल (Tenure of President of India)
राष्ट्रपति पांच वर्ष के कार्यकाल के लिए निर्वाचित होता है, परन्तु वह अपना कार्यकाल पूरा होने के बाद भी तब तक पद में बने रहता है जब तक उसका उत्तराधिकारी पद पर आसीन नहीं हो जाता है। राष्ट्रपति पद पर आसीन अथवा आसीन रह चुके व्यक्ति द्वारा पुनः चुनाव लड़ने का प्रावधान है। राष्ट्रपति का पद निम्नलिखित कारणों में से किसी एक के कारण रिक्त हो सकता है:
- उसकी मृत्यु हो जाने के कारण,
- त्याद पात्र देने के कारण,
- महाभियोग द्वारा पद से हटा दिए जाने के कारण। महाभियोग (राष्ट्रपति को उसके असंवैधानिक कृत्यों के कारण हटाने का प्रस्ताव) को संसद के दोनों सदनों के विशेष बहुमत से पारित किया जाना जरूरी है।
संविधान के प्रावधानों के अनुसार राष्ट्रपति का पद रिक्त होने पर उपराष्ट्रपति तब तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है, जब तक कि नया राष्ट्रपति निर्वाचित होकर अपना कार्यभार न संभाल ले। उपराष्ट्रपति 6 महीने से अधिक राष्ट्रपति के रूप में कार्य नहीं कर सकता।
भारत के राष्ट्रपति का वेतन (Salary of President of India)
राष्ट्रपति के लिए वेतन, भत्ते तथा सुविधाएं संसद द्वारा पारित क़ानून द्वारा निर्धारित होते हैं। संविधान के अनुसार राष्ट्रपति को 10000 रूपये मासिक वेतन मिलता था जिसे 1998 में बढ़ाकर 50 हजार रूपये कर दिया गया था तथा फिर से 2008 में बढ़ाकर एक लाख पचास हजार रूपये कर दिया गया। इसके अतिरिक्त अन्य कई भत्ते तथा सुविधाएं भी मिलती हैं और वह नई दिल्ली में स्थित राष्ट्रपति भवन में निवास करता है।
भारत के राष्ट्रपति की शक्तियां (Powers of President in Hindi)
जैसा कि हम पूर्व में जान चुके हैं कि राष्ट्रपति देश का मुखिया होता है। यह हमारे देश का सर्वोच्च पद है। भारत सरकार के सभी कार्य उसके नाम पर होते हैं। भारत के राष्ट्रपति की निम्नलिखित शक्तियां हैं:
कार्यपालिका सम्बन्धी शक्तियां
भारत का संविधान संघ की कार्यपालिका संबंधी शक्तियां राष्ट्रपति को प्रदान करता है। वह प्रधानमंत्री को नियुक्त करता है जो लोकसभा में बहुमत प्राप्त पार्टी का अथवा पार्टियों के ऐसे समूह का नेता होता है जिसे लोकसभा में बहुमत प्राप्त हो। प्रधानमंत्री की सिफारिश पर मंत्री परिषद के अन्य सदस्यों को भी नियुक्त करता है। प्रशासन का औपचारिक मुखिया होने के कारण संघ के सभी कार्य राष्ट्रपति के नाम पर किए जाते हैं। राष्ट्रपति की कार्यपालिका संबंधी शक्तियां में राज्यों के राज्यपाल, महान्यायवादी, महालेखा परीक्षक, राजदूतों एवं उच्चायुक्त तथा संघीय क्षेत्रों के प्रशासकों को नियुक्त करने की शक्ति भी शामिल है। बहुत संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष सदस्यों के साथ-साथ सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश एवं अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति भी करता है। राष्ट्रपति सशस्त्र सेनाओं का प्रधान सेनापति होता है तथा सेना के तीनों अंगों – थल सेना, वायु सेना और जल सेना के अध्यक्षों की नियुक्ति करता है।
राष्ट्रपति के पास किसी मंत्री, महान्यायवादी, राज्यों के राज्यपालों, संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा अन्य न्यायाधीशों, मुख्य चुनाव आयुक्त तथा चुनाव आयुक्तों को उनके पद से हटाने की शक्ति है। सारे कूटनीतिक कार्य एवं अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ और समझौते उसी के नाम से किए जाते हैं।
विधायी शक्तियां
राष्ट्रपति संसद का एक अभिन्न अंग है और अपनी इस हैसियत के आधार पर उसे कई विधायी शक्तियां प्राप्त हैं। राष्ट्रपति प्रतिवर्ष आहूत होने वाले संसद के प्रथम अधिवेशन तथा प्रत्येक चुनाव के बाद आहूत लोक सभा को संबोधित करता है। वह संसद के साधनों के अधिवेशन बुला अथवा स्थगित कर सकता है और मंत्री परिषद की सिफारिश पर लोकसभा को भंग कर सकता है। उसकी सहमति और स्वीकृति के बिना कोई बिल कानून नहीं बन सकता। राज्यसभा और लोकसभा के बीच किसी बिल को पारित करने में सहमति नहीं बनती है तो वह मुद्दे का हल निकालने के लिए दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुला सकता है। जब संसद का अधिवेशन ना चल रहा हो तो राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर अध्यादेश कर सकता है जिसे कानून की शक्ति प्राप्त होती है।
वित्तीय शक्तियां
उपरोक्त कार्यपालिका एवं विधायी शक्तियों के साथ राष्ट्रपति को कुछ वित्तीय शक्तियां भी प्राप्त हैं। कोई भी धन विधेयक राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति के बिना प्रस्तुत नहीं किया जा सकता। दूसरे शब्दों में लोकसभा में प्रस्तुत सभी धन विधेयकों को राष्ट्रपति की स्वीकृति और सहमति प्राप्त होती है। आपने बजट के बारे में अवश्य सुना होगा। यह भारत सरकार की वार्षिक आय और व्यय का ब्यौरा प्रस्तुत करने वाला दस्तावेज होता है। राष्ट्रपति प्रत्येक वित्तीय वर्ष के प्रारंभ में स्कोर लोकसभा के सम्मुख प्रस्तुत करने हेतु अपनी सहमति प्रदान करता है।
क्या आप जानते हैं?
राष्ट्रपति की विधाई शक्तियों पर चर्चा करते समय प्रयुक्त शब्दों अधिवेशन बुलाना, स्थगित करना, भंग करना तथा अध्यादेश के क्या अर्थ हैं?
संसद का अधिवेशन बुलाना:
राष्ट्रपति संसद के सदस्यों को एक औपचारिक सूचना भेजता है कि लोकसभा और राज्यसभा का अधिवेशन एक निश्चित तिथि को शुरू होकर एक निश्चित तिथि तक जारी रहेगा।
संसद का अधिवेशन स्थगित करना:
राष्ट्रपति संसद के सदस्यों को एक औपचारिक सूचना जारी करता है कि लोकसभा/राज्यसभा का अधिवेशन एक निश्चित तिथि के बाद नहीं होगा।
लोकसभा को भंग करना:
जब राष्ट्रपति लोकसभा को भंग करता है तो इसका अर्थ होता है कि सदन अगला चुनाव होने तथा पुनर्गठित होने तक वर्तमान सदन का अस्तित्व नहीं रहेगा।
अध्यादेश:
यदि संसद का अधिवेशन नहीं चल रहा हो और किसी कानून की तुरंत आवश्यकता हो तो इसको एक अध्यादेश जारी करके लागू किया जा सकता है। अध्यादेश, प्रधानमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिपरिषद की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा जारी किया जाता है। यह कानून की भांति ही प्रभावी होता है। लेकिन जैसे ही संसद का अधिवेशन शुरू होता है तो इसको संसद की स्वीकृति मिलना आवश्यक होता है। यदि किसी भी कारणवश संसद इसको 6 सप्ताह में स्वीकार नहीं करती तो अध्यादेश निरस्त हो जाता है।
न्यायिक शक्तियां
राज्य का प्रमुख होने के नाते राष्ट्रपति के पास कुछ निश्चित न्यायिक शक्तियां होती है। किसी अपराध में दंडित किसी व्यक्ति को क्षमा करने अथवा उसके दंड को कम करने की उसको शक्ति प्राप्त होती है। उदाहरण के लिए वह किसी अदालत अथवा सैन्य न्यायालय द्वारा दंडित किसी अपराधी की सजा को स्थगित, माफ अथवा कम कर सकता है।
राष्ट्रपति और आपात उपबंध
अब तक हमने भारत के राष्ट्रपति की उन शक्तियों की चर्चा की है जिसका प्रयोग में सामान्य समय में करते हैं। इन शक्तियों से अलग उसके पास महत्वपूर्ण शक्तियां हैं जिनका प्रयोग वह असामान्य स्थिति में करता है। इन्हें आपातकालीन शक्तियां कहा जाता है। संविधान में तीन विशेष परिस्थितियों अथवा असामान्य स्थितियों से निपटने के लिए इन शक्तियों का प्रावधान किया गया है। यह स्थितियां है
- युद्ध अथवा बाहरी आक्रमण अथवा सशस्त्र विद्रोह
- किसी राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता और
- वित्तीय संकट
युद्ध, बाहरी आक्रमण अथवा सशस्त्र विद्रोह
यदि राष्ट्रपति इस बात से संतुष्ट हो कि भारत की सुरक्षा अथवा इसके किसी भाग की सुरक्षा को युद्ध कमा बाहरी आक्रमण अथवा सशस्त्र विद्रोह से खतरा है तो वह आपातकाल की घोषणा कर सकता है। यद्यपि राष्ट्रपति इस प्रकार की घोषणा केवल तब करता है जब उसे मंत्रिमंडल का निर्णय ( प्रधानमंत्री तथा कैबिनेट मंत्रियों का निर्णय) लिखित में भेजा जाता है। यह घोषणा को संसद के सदनों के समक्ष रखा जाता है तथा यदि इस को 1 माह के भीतर स्वीकृति प्राप्त नहीं होती तो यह स्वतः ही निष्प्रभावी हो जाती है। आपातकाल की घोषणा के साथ ही संघीय सरकार राज्य सरकारों को उनकी कार्यपालिका संबंधी शक्तियों के प्रति निर्देश दे सकती है और संसद राज्य विधानसभा के विधायी कार्यों को अपने हाथ में ले सकती है। राष्ट्रपति मौलिक अधिकारों को भी स्थगित कर सकता है। सन 1975 ईस्वी में जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थी, तब राष्ट्रपति ने आंतरिक सुरक्षा के खतरे के आधार पर आपातकाल की घोषणा की थी। यह घोषणा निरंतर विवादास्पद रही और अनेक लोग अभी भी इसको लोकतांत्रिक भारत के इतिहास का काला समय कहते हैं।
किसी राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता
दूसरे प्रकार का आपातकाल राज्य की स्थिति से संबंधित है। इसकी घोषणा उस समय की जा सकती है जब किसी राज्य में संवैधानिक तंत्र विफल हो गया हो। यदि राष्ट्रपति राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर संतुष्ट हो अथवा संतुष्ट हो कि राज्य का प्रशासन संविधान के प्रावधानों के आधार पर नहीं चलाया जा सकता वह आपातकाल की घोषणा कर सकता है। इसको राष्ट्रपति शासन कहा जाता है। ऐसी घोषणा को 2 माह के भीतर संसद के दोनों सदनों का अनुमोदन प्राप्त होना चाहिए। संसद का अनुमोदन प्राप्त नहीं होता तो यह घोषणा 2 माह की अवधि के बाद निष्प्रभावी हो जाती है। संसद के अनुमोदन के बाद यह एक बार में 6 महीने से अधिक जारी नहीं रह सकती और किसी भी स्थिति में 3 वर्ष से अधिक जारी नहीं रह सकती। इस काल के दौरान राज्य की विधानसभा को या तो भंग कर दिया जाता है अथवा स्थगित रखा जाता है। राज्य का राज्यपाल राष्ट्रपति के नाम पर सभी कार्यपालिका संबंधी शक्तियों का प्रयोग करता है। संसद उस राज्य विशेष की विधायी शक्तियों को ग्रहण कर लेती है।
वित्तीय संकट
तीसरे प्रकार के आपातकाल को वित्तीय संकट कहते हैं और इसकी घोषणा तब की जाती है जब भारत अथवा इसके किसी भाग की वित्तीय स्थिरता अथवा साख को खतरा हो। अन्य दो आपातकालीन स्थितियों की ही तरह इस घोषणा को भी दो माह के भीतर संसद की स्वीकृति मिलना अनिवार्य है। एक बार संसद की स्वीकृति मिलने पर यह निरंतर तब तक जारी रह सकती है जब तक कि इसको वापस नहीं ले लिया जाए। इस स्थिति में राष्ट्रपति, सभी सरकारी कर्मचारियों तथा सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के वेतन कम कर सकता है। भारत में अब तक वित्तीय संकट की घोषणा नहीं की गई है।
क्या आप जानते हैं?
पहले प्रकार के आपातकाल की घोषणा पहली बार 1962 में भारत और चीन के बीच संघर्ष और युद्ध के समय की गई थी। दूसरी बार यह घोषणा 1965 में भारत-पाक युद्ध के समय की गई थी। तीसरी बार यह घोषणा 1971 में की गई जब भारत ने पूर्वी पाकिस्तान को एक अलग स्वतंत्र राज्य बांग्लादेश बनने में सहायता की थी और चौथी बार यह घोषणा 1975 में की गई जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में मंत्रिमंडल ने आंतरिक गड़बड़ी के आधार पर राष्ट्रपति को अपनी सिफारिश भेजी थी।
दूसरे प्रकार के आपातकाल के लागू होने से संघीय सरकार को अति विशेष शक्तियां प्राप्त हो जाती है। इस प्रकार का आपातकाल 1951 में पंजाब राज्य में घोषित किया गया था और फिर 1959 में केरल में घोषित किया गया था। समय के साथ इस शक्ति का प्रयोग कई बार किया गया। ऐसा आरोप लगाया जाता है कि राष्ट्रपति शासन का प्रयोग उन राज्यों की सरकारों को हटाने के लिए किया जाता है जिन राज्यों में केंद्र में सत्ता प्राप्त पार्टी से अलग पार्टी का शासन होता है। इस प्रकार का आपातकाल अनुच्छेद 356 के अंतर्गत आता है जिसमें भारत के किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करना सम्मिलित है। जब किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन होता है तो निर्वाचित सरकार को स्थगित कर दिया जाता है तथा राज्य का प्रशासन सीधा राज्यपाल द्वारा चलाया जाता है। अनुच्छेद 356 विवादास्पद है क्योंकि कुछ लोग इस को अलोकतांत्रिक मानते हैं क्योंकि इसमें केंद्रीय सरकार को राज्य सरकारों पर अत्यधिक शक्तियां प्राप्त है। 1994 में एसआर बोम्मई बनाम भारत संघ के मामले के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 356 के दुरुपयोग को कम कर दिया है क्योंकि अब राष्ट्रपति शासन लागू करने के लिए सख्त दिशानिर्देश स्थापित कर दिए गए हैं।
भारत के राष्ट्रपति की स्थिति
क्या आपने देखा है कि जब संघीय सरकार की कार्यप्रणाली की चर्चा संसद अथवा समाचार पत्रों अथवा टेलीविजन पर की जाती है तो प्रायः प्रधानमंत्री और मंत्रियों की भूमिका की चर्चा होती है। लेकिन हमने पहले देखा है कि संविधान कार्यपालिका संबंधी शक्तियां राष्ट्रपति को प्रदान करता है। उसके पास आपातकाल संबंधी शक्तियां भी व्यापक हैं। क्या इसका अर्थ यह है कि राष्ट्रपति सर्वशक्ति संपन्न है? नहीं। वास्तव में राष्ट्रपति नाम मात्र का कार्यकारी अथवा राज्य का संवैधानिक अध्यक्ष है। निसंदेह सरकार उसके नाम से चलती है लेकिन भारत के संविधान के अनुसार राष्ट्रपति को अपनी शक्तियों का प्रयोग प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की सलाह और सहायता से करना होता है। यह केवल साधारण परामर्श नहीं है अपितु बाध्यकारी है। इससे संकेत मिलता है कि प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल ही सरकार में वास्तविक शासक हैं। सभी निर्णय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल द्वारा लिए जाते हैं। राष्ट्रपति को इन निर्णयों की सूचना पाने का अधिकार है। इसी प्रकार आपातकालीन प्रावधान भी राष्ट्रपति को कोई वास्तविक शक्तियां प्रदान नहीं करते।
“भारत के संविधान के अंतर्गत राष्ट्रपति को वही स्थान प्राप्त है जो ब्रिटिश संविधान में राजा/रानी को प्राप्त है। वह राज्य का अध्यक्ष है परंतु कार्यपालिका नहीं है। वह देश का प्रतिनिधित्व करता है परंतु शासन नहीं करता। वह राष्ट्र का प्रतीक है। प्रशासन में उसका स्थान केवल एक औपचारिक अध्यक्ष का है जिसकी मुहर से देश के निर्णय जाने जाते हैं।” – डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ( संविधान सभा में बोलते हुए)
राष्ट्रपति को संविधान को बनाए रखने, रक्षा करने और बचाए रखने का कार्य सौंपा गया है। वह संविधान में दर्ज लोकतांत्रिक प्रणाली का संरक्षक है। अनिश्चित राजनीतिक स्थिति में वहां सरकार बनाने में निर्णायक भूमिका निभा सकता है। ऐसे कई अवसर आए हैं जब राष्ट्रपति ने अपनी शक्ति को दिखाया है। फिर भी व्यवहार में राष्ट्रपति नाम मात्र अथवा संवैधानिक अध्यक्ष के रूप में कार्य करता है।
भारत के उपराष्ट्रपति के विषय में कुछ तथ्य
जैसा कि हम जानते हैं कि राष्ट्रपति के त्यागपत्र देने, राष्ट्रपति को हटाने अथवा राष्ट्रपति की मृत्यु के कारण रिक्त हुए पद पर उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति की भांति कार्य करता है। संविधान के अनुसार उप राष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है। पदेन सभापति होने का अर्थ है कि वह उपराष्ट्रपति होने के कारण सभापति होता है। वह एक निर्वाचक मंडल द्वारा निर्वाचित होता है जिसमें संसद के दोनों सदनों के सदस्य सम्मिलित होते हैं। वह आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा गुप्त मतदान से चुना जाता है। उपराष्ट्रपति के लिए आवश्यक योग्यताएं वही है जो राष्ट्रपति पद के लिए हैं। उसका मुख्य कार्य राज्य सभा की बैठकों की अध्यक्षता करना होता है जैसा कि लोकसभा अध्यक्ष द्वारा किया जाता है।
भारत के राष्ट्रपति से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न (FAQs)
भारत के प्रथम राष्ट्रपति कौन थे?
डॉ राजेन्द्र प्रसाद को भारत के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित किया गया और वे लगातार दो बार इस पद पर आसीन रहे।
भारत की पहली महिला राष्ट्रपति कौन है?
श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल भारत की पहली महिला राष्ट्रपति हैं। वह भारत की बारहवीं राष्ट्रपति थीं।
पद पर रहते हुए अब तक किन राष्ट्रपति की मृत्यु हुई है?
आज तक केवल दो राष्ट्रपति, डॉ जाकिर हुसैन और श्री फखरूद्दीन अहमद की अपने पद पर रहते हुए मृत्यु हुई है।
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