मध्य प्रदेश में सिंचाई व्यवस्था | Irrigation System of Madhya Pradesh

  • राज्य में सबसे पहले पहली शताब्दी में चंदेल वंश ने सिंचाई के लिए खुजराहों में तालाबों का निर्माण कराया।
  • सबसे पहली नहर सन 1923 में बालाघाट में बैनगंगा नहर बनाई गयी।
  • 1927 में ग्वालियर रियासत में पगारा बाँध बनाया गया।
  • 1933 में पलकमती सिंचाई तालाब भोपाल में बनाया गया।
  • 1936 में बालाघाट जिले में मुरम नाला का निर्माण किया गया।
  • मध्य प्रदेश में उपलब्ध जल संसाधनों के समुचित विकास के लिए वर्ष 1956 में जल संसाधन विभाग की स्थापना की गयी।
  • वर्ष 1976 में मध्य प्रदेश सिंचाई उद्वहन निगम की स्थापना की गई।
  • मध्य प्रदेश में सर्वाधिक सिंचाई दतिया जिले (66.46%) तथा सबसे कम सिंचाई डिंडोरी जिले (0.58%) होती है।
  • मध्य प्रदेश में तवा परियोजना द्वारा सर्वाधिक क्षेत्रफल में सिंचाई होती है।
  • वर्तमान में मध्य प्रदेश में 14 बड़ी, 103 मध्यम और 3275 लघु परियोजनाओं के साथ मध्य प्रदेश में अब 20.40 लाख हेक्टेयर की सिंचाई क्षमता उपलब्ध है।
  • जिनमें से राज्य में 12 बड़ी, 89 मध्यम और 4506 लघु परियोजनाएँ पूर्ण हो गई हैं।

मध्य प्रदेश में सिंचाई के साधन 

कुआँ

  • मध्य प्रदेश में सर्वाधिक सिंचाई कुओं (wells) द्वारा की जाती है।

नलकूप

  • नलकूपों (Tubewells) को सिंचाई के आधुनिक साधनों के रूप में प्रयोग किया जाता है।
  • नलकूपों को आधुनिक युग का कुआँ भी कहा जाता है।
  • वर्तमान में मध्य प्रदेश के भिंड, मुरैना, दतिया, छतरपुर, टीकमगढ़ आदि जिलों में मुख्यत: नलकूपों के ही माध्यम से सिंचाई की जाती है।

नहर

  • मध्य प्रदेश में कुओं व नलकूपों के पश्चात सिंचाई साधन के रूप सर्वाधिक नहरों का प्रयोग किया जाता है।
  • सिंचाई के आधुनिक साधनों के रूप में नहरों का प्रयोग किया जाता है।

तालाब

  • वह क्षेत्र जहाँ वर्षा के जल को एकत्र कर उसका प्रयोग सिंचाई के लिए किया जाता है, तालाब कहलाता है ।
  • मध्य प्रदेश की भौतिक संरचना तालाबों तथा नहरों के लिये अधिक अनुकूल है।

मध्य प्रदेश की मिट्टियाँ – Soil of Madhya Pradesh