Bihar Folk Dance – बिहार में लोकनृत्य का बहुत महत्त्व है। यहां सभी प्रमुख अवसरों जैसे – संस्कार, पर्व और मनोरंजन आदि पर लोकनृत्यों का विहंगम दृश्य नजर आता है। बिहार के लोकनृत्य निम्नलिखित हैं:
यह राज्य की आदिवासी जनजातियों में मुख्य रूप से प्रचलित है। फसलों की कटाई और बुआई के साथ ‘करम देवता’ को प्रसन्न करने के लिए गीतों को नृत्य सहित गाय जाता है। यह स्त्री-पुरुष का सामूहिक नृत्य होता है। इसका मुख्य स्रोत झारखण्ड है।
यह मुख्य रूप से पुरुष नृत्यकों द्वारा किया जाने वाला नृत्य है, जो युद्ध से सम्बंधित है। यह नृत्य बिहार और झारखंड दोनों ही क्षेत्रों में लोकप्रिय है।
यह प्रायः दुर्गा पूजा के अवसर पर किया जाने वाला नृत्य है, जिसे स्त्रियों द्वारा सामूहिक रूप से किया जाता है। इसमें स्त्रियां गोल घेरे में खड़ी होकर एक-दूसरे का हाथ पकड़कर नृत्य करती हैं। मुख्य नर्तकी अपने सिर पर एक घड़ा रखती है, जिसके ढक्कन पर एक दीपक जल रहा होता है।
इस नृत्य में मिथिला के प्रसिद्द कवि विद्यापति के पदों को गाते हुए नर्तकों द्वारा सामूहिक नृत्य किया जाता है। यह बिहार में मिथिला और पूर्णिया में अधिक प्रचलित है।
इस नृत्य में नर्तक अपनी पीठ से बांस की खपच्चियों से बने घोड़े के आकर का ढांचा बाँध लेता है और वाद्ययंत्र की ले में कठघोड़वा नृत्य करता है।
यह बिहार के धोबी समाज का जातिगत नृत्य है जो की मांगलिक अवसरों पर किया जाता है। इसका सबसे अधिक प्रचलन भोजपुर जिले में है।
यह नृत्य पुरुषों द्वारा स्त्रियों की वेशभूषा में किया जाता है। यह नृत्य बच्चों के होने के अवसर पर किया जाता है।
बिहार के लोकगीत – Bihar Folk Songs
यह ग्रामीण क्षेत्रों में होली के पर्व पर किया जाने वाला नृत्य है। इसमें ग्रामीण युवक-युवतियां एक-दूसरे को रंग-अबीर लगाकर फाग गाते हुए नृत्य करते हैं ।
यह बिहार के मुस्लिम समाज का प्रसिद्द लोकनृत्य है, जिसे मुहर्रम के अवसर पर सामूहिक रूप से किया जाता है।
यह महिलाओं द्वारा किया जाने वाला नृत्य है, जो त्योहारों और मांगलिक अवसरों पर सामूहिक रूप से किया जाता है।
यह आतिथ्य नृत्य है, जो मांगलिक अवसरों पर अतिथियों के मनोरंजन के लिए किया जाता है। प्रायः इस नृत्य को दक्ष और व्यावसायिक महिलाओं द्वारा किया जाता है।
महिलाओं द्वारा जिस नृत्य के माध्यम से गंगा स्तुति की जाती है, उसे गंगिया नृत्य कहा जाता है।
नदियों में नाविकों द्वारा यह गीत नृत्य मुद्रा में गाय जाता है।
छोटे-छोटे बच्चों का नृत्य, जिसमे एक लड़की बीच में रहती है तथा चारों तरफ से लडकियां गोल घेरा बनाकर घूमते हुए गीत जाती हैं।
इसमें मछली बेचने वाली तथा ग्राहकों का स्वांग किया जाता है।
इसमें कृषक अपने घर पर पशुओं के साथ भाव-भंगिमाओं के साथ जाता और नाचता है।
फसल काट जाने के बाद किसान सपरिवार खुशियां मनाता हुआ जाता और नृत्य करता है।
यह भागलपुर और उसके आसपास के क्षेत्र का नृत्य है, जिसमे महिलाये पति के प्रदेश जाते समय का चित्रण करती हैं।
Famous People of Bihar – बिहार राज्य के लोकप्रिय व्यक्ति
ससुराल में गरीब बहन के घर भाई के आने की सूचना मिलने पर गाय जाने वाला यह विरह गीत नृत्य के साथ किया जाता है।
अंगिका क्षेत्र का प्रमुख नृत्य, जिसमे पति-पत्नी प्रसंग पर महिलाएं नृत्य करती हैं।
इसे भगता नृत्य भी कहा जाता है। इसमें नृत्य करने वाला देवी-देवताओं के प्रतिनिधि के रूप में नृत्य करता है।
यह उत्तर बिहार का नृत्य है, जिसमे ससुराल से रूठकर जाने वाली स्त्री के रास्ते में दूसरी स्त्री के साथ नोक-झोक का चित्रण होता है।
सावन महीने में गाई और खेली जाने वाली नृत्य नाटिका है।
बसंत ऋतु के आगमन पर प्रायः महिलाओं द्वारा गीत के साथ किया जाने वाला नृत्य है।
इसके अलावा बिहार की लोक-संस्कृति में लगुई नृत्य शैली भी अभिन्न रूप से जुडी हुई है।
Major Tourist Places in Bihar – बिहार के प्रमुख पर्यटन स्थल