Uttarakhand Festivals – उत्तराखंड के प्रमुख त्यौहार निम्न प्रकार हैं:
फूलदेई चैत मास के प्रथम दिन मनाई जाती है इस दिन बच्चे घर-घर जाकर घरो की देहली पर फूल चढाते है। लकड़ी की टोकरी में फूल, गुड, चावल और नारियल डालकर गांव के लोगों के घरों के मुख्यद्वार पर डालकर घर की खुशहाली के लिए प्रार्थना करते हैं और गाना गाते हैं।
यह श्रावण मास के पहले दिन मनाया जाता है। इससे 10 दिन पहले एक बर्तन में 5 या 7 प्रकार के बीज बोये जाते है तथा हरेले के दिन इसे काटकर देवताओ को चढ़ाया जाता है।
इसे बग्वाल भी कहा जाता है। दिवाली की रात को छिलके की रोशनि जला कर भैला खेला जाता है साथ ही इस पर्व में गाय की पूजा व् इन्हें मिठा पकवान दिया जाता है।
यह आमतौर पर माघ के हिंदू महीने या जनवरी / फरवरी के अंग्रेजी महीनों में आता है। इस शुभ अवसर के दौरान लोग बहुत अधिक श्रद्धा के साथ देवी सरस्वती की पूजा करते हैं।
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यह दो दिन मनाई जाती है खड़ी होली व् बैठी होली।
उत्तराखंड में विषुवत संक्रांति को बिखोती के नाम से जाना जाता है जो बैशाख माह के पहले दिन मनाई जाती है।
घी संक्रांति सितम्बर के मध्य में पड़ता है इस दिन सर में घी लगाया जाता है।
इसका व्रत ज्येष्ठ कृष्ण की अमावस्या को होता है। यह व्रत विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं।
मकर संक्रांति माघ माह के प्रथम दिन मनाई जाती है। इस दिन हर घर में आटा, सूजी, नारियल और ड्राइ फ्रूट्स मिलाकर घुघते बनाए जाते और इन्हें काले कौए को खिलाया जाता है।
उत्तराखंड के इस त्योहार को हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र के महीने में मनाया जाता है। यह श्रावण के पहले ही दिन पड़ता है और पूरे राज्य में बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
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यह त्यौहार कुमाऊं क्षेत्र में अश्विन माह के पहले दिन मनाया जाता है। यह मुख्यत पशुओँ के लिए मनाया जाता है।
उत्तराखंड में रक्षा बंधन को जन्यो-पुण्यो के नाम से भी जाना जाता है यह त्यौहार श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है
यह त्यौहार मुख्यतः पिथोरागढ़ जनपद में चैत माह में मनाया जाता है।
यह त्यौहार महासू देवता से सम्बंधित है।
यह त्यौहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल दशमी या अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार मई / जून के महीने में मनाया जाता है। इस विशेष दिन पर पवित्र गंगा नदी की पूजा की जाती है।
यह त्यौहार संतान कल्याण के लिए मनाया जाता है।
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यह त्यौहार जौनसार बाबर क्षेत्र में श्रावण मास में मनाया जाता है।
यह कुमाऊ में फसल काटने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
यह गढ़वाल में बैशाख माह में मनाया जाता है, जिसमे नंदा देवी के दूतों की आराधना की जाती है।
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