भारत और गणित के बीच रिश्ता कोई नया नहीं है। यह 1200 ईसा पूर्व और 400 ईस्वी से 1200 ईस्वी के स्वर्ण युग तक जाता है जब भारत के महान गणितज्ञों ने इस क्षेत्र में बड़ा योगदान दिया था। भारत ने दुनिया को दशमलव प्रणाली, शून्य, बीजगणित, उन्नत ट्रिगनोमेट्री यानि त्रिकोणमिति, नेगेटिव नंबर यानि नकारात्मक संख्या और इसके अलावा बहुत कुछ दिया है। 15 वीं शताब्दी में केरल के एक स्कूल के गणितज्ञ ने त्रिकोणमिति का विस्तार किया। यह यूरोप में गणना के आविष्कार से भी दो सदी पहले हुआ था।
वैदिक काल के वेद ग्रंथ भी संख्या के इस्तेमाल के प्रमाण हैं। वैदिक काल का जो गणित ज्यादातर वैदिक ग्रंथों में मिलता है वह पारंपरिक है। संस्कृत वह मुख्य भाषा है जिसमें भारत में प्राचीन और मध्य काल का गणितीय काम किया गया था। सिर्फ यही नहीं बल्कि गणित का इस्तेमाल प्रागैतिहासिक काल में भी देखा जा सकता है। सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाई जैसे हड़प्पा और मोहन जोदड़ो में भी गणित के व्यवहारिक इस्तेमाल के प्रमाण मिलते हैं। दशमलव प्रणाली का इस्तेमाल सभ्यता में वजन संबंधी अनुपात जैसे 0.05, 0.1, 0.2, 0.5, 1, 2, 5, 10, 20, 50, 100, 200 और 500 में किया जाता था। वे लोग ब्रिक्स के सबसे ज्यादा स्थिर आयाम का इस्तेमाल 4:2:1 में रुप में करते थे।
राष्ट्रीय गणित दिवस क्यों मनाया जाता है? (Why National Mathematics Day Is Celebrated)
गणित के जादूगर श्रीनिवास रामानुजन के विशाल योगदान के लिए सम्मानपूर्वक इनकी जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया जाता है। श्रीनिवास रामानुजन का जीवन महत्वपूर्ण पाठ सिखाता है। गणित का मानवता के विकास में बड़ा महत्त्व है। इस महत्त्व के प्रति लोगों के बीच जागरुकता पैदा करना राष्ट्रीय गणित दिवस का मुख्य उद्देश्य है।
राष्ट्रीय गणित दिवस कब मनाया जाता है?
भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के जन्मदिन को सम्मानित करने के लिए प्रतिवर्ष 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने चेन्नई में महान गणितज्ञ श्रीनिवास अयंगर रामानुजन की 125वीं वर्षगांठ के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में श्रीनिवास रामानुजम को श्रद्धांजलि देते हुए वर्ष 2012 को राष्ट्रीय गणित वर्ष घोषित किया। साथ ही गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के जन्मदिन 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस भी घोषित किया गया। गणित में उनके योगदान के लिए दुनिया हमेशा उनकी आभारी रहेगी।
राष्ट्रीय गणित दिवस 2022 (Rashtriya Ganit Diwas) – National Mathematics Day in Hindi
राष्ट्रीय गणित दिवस 2022 (Rashtriya Ganit Diwas) – National Mathematics Day: | गुरुवार, 22 दिसंबर 2022 |
गणित के जादूगर श्रीनिवास रामानुजन कौन थे? (Who was Srinivasa Ramanujan)
श्रीनिवास रामानुजन इयंगर एक महान भारतीय गणितज्ञ थे जिनका जन्म 22 दिसम्बर 1887 को तमिलनाडु के इरोड में एक रूढ़िवादी अयंगर ब्राह्मण परिवार में हुआ और अल्पायु में ही 26 अप्रैल 1920 को मोक्ष की प्राप्ति हुई। इन्हें आधुनिक काल के महानतम गणित विचारकों में गिना जाता है। इन्हें गणित में कोई विशेष प्रशिक्षण नहीं मिला, फिर भी इन्होंने विश्लेषण एवं संख्या सिद्धांत के क्षेत्रों में गहन योगदान दिए। इन्होंने अपने प्रतिभा और लगन से न केवल गणित के क्षेत्र में अद्भुत अविष्कार किए बल्कि भारत को अतुलनीय गौरव भी प्रदान किया।
श्रीनिवास रामानुजन बचपन से ही विलक्षण प्रतिभावान थे। इन्होंने खुद से गणित सीखा और अपने जीवनभर में गणित के 3,884 प्रमेयों का संकलन किया। इनमें से अधिकांश प्रमेय सही सिद्ध किये जा चुके हैं। इन्होंने गणित के सहज ज्ञान और बीजगणित प्रकलन की अद्वितीय प्रतिभा के बल पर बहुत से मौलिक और अपारम्परिक परिणाम निकाले जिनसे प्रेरित शोध आज तक हो रहा है, यद्यपि इनकी कुछ खोजों को गणित मुख्यधारा में अब तक नहीं अपनाया गया है। इनके सूत्रों को क्रिस्टल-विज्ञान में भी प्रयुक्त किया गया है। इनके कार्य से प्रभावित गणित के क्षेत्रों में हो रहे काम के लिये रामानुजन जर्नल की स्थापना की गई है।
पूरा नाम: | श्रीनिवास अय्यंगर रामानुजन |
जन्म: | 22 दिसम्बर 1887 |
जन्म स्थान: | इरोड, तमिलनाडु |
माता का नाम: | कोमल तम्मल |
पत्नी का नाम: | जानकी |
मृत्यु: | 26 अप्रैल 1920 |
रामानुजन का गणित में योगदान
- 1911 में रामानुजन ने इंडियन मैथमेटिकल सोसायटी की पत्रिका में अपना पहला लेख प्रकाशित किया।
- 1914 में उन्होंने हार्डी के साथ एक पत्राचार शुरू किया, जिसके लिए उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से एक विशेष छात्रवृत्ति और ट्रिनिटी स्कूल कैंब्रिज से छात्रवृत्ति प्राप्त की।
- उन्होंने अपने रीमैन श्रृंखला के कार्यात्मक समीकरणों, दीर्घवृत्तीय अभिन्नताओं, हाइपरजोमेट्रिक श्रृंखला, जेटा कार्यों और विचलन की श्रृंखला के अपने सिद्धांत पर काम किया है।
- रामानुजन ने हार्डी और लिटिलवुड की मदद से कैम्ब्रिज में लगभग पांच साल बिताए और अपने कुछ निष्कर्ष प्रकाशित किए।
राष्ट्रीय गणित दिवस कैसे मनाया जाता है? (How National Mathematics Day Is Celebrated)
इस दिन गणित के सम्बन्ध में अनेक कार्यक्रम सम्पादित किये जाते हैं। इस दिन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। इस दिन गणित प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है।
विश्व की प्रथम स्त्री गणितज्ञ
इतिहासकारों के अनुसार, विश्व की प्रथम स्त्री गणितज्ञ “लीलावती” को कहा जाता है। ये दसवी सदी के प्रसिद्ध गणितज्ञ भाष्कराचार्य की इकलोती संतान पुत्री लीलावती थी। इनके विवाह के विषय में ये जान लिया कि ये विवाह के बाद विधवा हो जाएँगी। तब अकाट्य महुर्त निकाला परन्तु लिखे विधि विधान के कारण किये उपाय में कमी रहने से वो महुर्त में विवाह के उपरांत लीलावती विधवा हो गयी। इस घटना के क्षोभ के निवारण को इन्होंने लीलावती को गणित का सम्पूर्ण ज्ञान दिया और लीलावती ने गणित के आष्चर्यजनक नवीनतम सिद्धांत स्थिर कर विश्व का बड़ा कल्याण किया है सिद्धांतशिरोमणि को भाष्कराचार्य ने लिखा। उसमें गणित का अधिकांश भाग लीलावती की रचना है। पाटीगणित के अंश का नाम ही भाष्कराचार्य ने अपनी पुत्री के नाम पर लीलावती रखा है।
भारत के अन्य महान गणितज्ञ (Other Famous Mathematicians Of India)
वैदिक काल, 400 से 1200 का शास्त्रीय काल और आधुनिक भारत में हमारे पास कई मशहूर गणितज्ञ थे।
आर्यभट्ट:
कौन होगा जिसने वैदिक युग के प्रसिद्ध गणितज्ञ आर्यभट्ट के बारे में नहीं सुना होगा? महान गणितज्ञ आर्यभट का जन्म 476 ई० में महाराष्ट्र के अश्मक में हुआ था. दिसम्बर 550 ई० में 74 साल में उनकी मृत्यु हुई. उन्होंने आर्यभटीय लिखी जिसमें गणित के बुनियादी सिद्धांत 332 श्लोकों के माध्यम से शामिल हैं। अगर आसान शब्दों में कहें तो आर्यभट्ट प्रथम ने द्विघात समीकरण, त्रिकोणमिति, साइन सारणी, कोसाइन सारणी, वरसाइन सारणी, गोलीय त्रिकोणमिति, खगोलीय स्थिरांक, अंकगणित, बीजगणित आदि हमें दिए हैं। ये वही हैं जिन्होंने कहा था कि पृथ्वी प्रतिदिन अपनी ही धुरी पर घूमती है ना कि सूरज। उन्होंने वैज्ञानिक रुप से सूर्य और चंद्र ग्रहणों की अवधारणा को समझाया था।
पिंगला:
एक अन्य लोकप्रिय गणितज्ञ जिन्होंने गणित के क्षेत्र में बहुत योगदान दिया वह पिंगला हैं। उन्होंने संस्कृत में छंद शास्त्र लिखा था। बाइनोमियल थियोरम यानि द्विपद प्रमेय के ज्ञान के बिना ही उन्होंने पास्कल त्रिकोण समझाया था।
कात्यायन:
कात्यायन वैदिक काल के आखरी गणितज्ञ थे और उन्होंने कात्यायन सुलभ सूत्र लिखा था। उन्होंने 2 के वर्ग मूल की पांच सही दशमलव स्थानों से गणना समझाई थी। उन्होंने ज्यामिति और पाइथागोरस सिद्धांत में उल्लेखनीय योगदान दिया।
जयदेव:
नौवीं शताब्दी के इस मशहूर गणितज्ञ ने चक्रीय विधि विकसित की जिसे ‘चक्रवला’ के रुप में जाना जाता है।
महावीरा:
नौवीं शताब्दी के इस दक्षिण भारतीय गणितज्ञ ने द्विघात और घन समीकरणों को हल करने की दिशा में बहुत योगदान दिया।
ब्रह्मगुप्त:
भारत के इस गणितज्ञ ने बहुत अच्छा खगोलीय काम किया। उन्होंने ब्रह्मगुप्त प्रमेय और ब्रह्मगुप्त सूत्र दिया जिस पर लोकप्रिय हेरन सूत्र आधारित है। ब्रह्मगुप्त ने गुणा के चार तरीके भी दिए थे।
भास्कर प्रथम:
यह भारत के पहले गणितज्ञ थे जिन्होंने संख्या को दशमलव के रुप में हिंदू और अरबी शैली में लिखा था।
भास्कराचार्य:
क्या आप जानते हैं कि किसने बताया था कि यदि किसी संख्या को शून्य से विभाजित किया जाए तो परिणाम अनंत आएगा? हां, आप सही हैं। भास्कराचार्य जिन्हें भास्कर द्वितीय भी कहा जाता है, ने ही यह अवधारणा दी थी। साथ ही उन्होंने शून्य, क्रमचय और संयोजन और सर्डस के बारे में समझाया था।भास्कराचार्य ने यह भी समझाया कि धरती समतल क्यों दिखती है, क्योंकि उसके वृत्त का सौवां हिस्सा सीधा दिखता है।
डॉ वशिष्ठ नारायण सिंह:
2अप्रैल 1944 को जन्मे रामानुज की कोटि के गणितज्ञ बन कर उभरे थे और देश विदेशों में अपने गणितीय ज्ञान का डंका बजवाया और साइकिल वेक्टर स्पेश थ्योरी पर किये शोधों ने विश्व में प्रसिद्ध किया इन्हें जिनीयसो का जीनियस नाम दिया इन्होंने आइंस्टाइन की थ्योरी व अनेक थ्योरियों को चुनोती दी।
गणितज्ञों को मिलने वाला पुरस्कार (Mathematics Prizes/Awards)
गणितज्ञों को नोबेल पुरस्कार नहीं दिया जाता है। गणित के क्षेत्र में दिया जाने वाला सर्वश्रेष्ठ व् प्रतिष्ठित पुरस्कार “फील्ड्स पदक” है। इस पदक को गणित का नोबल पुरस्कारभी कहा जाता है। यह पदक प्रत्येक चार वर्ष में एक बार चार जवान गणितज्ञों को (४० वर्ष से कम), जो प्रतिभाशाली हैं, दिया जाता है। अन्य प्रमुख पुरस्कार हैं abel पुरस्कार (Abel Prize), नेमर्स पुरस्कार (Nemmers Prize), वुल्फ पुरस्कार (Wolf Prize), Schock पुरस्कार (Schock Prize) और नेवानलिना पुरस्कार (Nevanlinna Prize)
गणितीय कविता (Poem on Mathematics)
।।जय भारतीय गणितज्ञ।।
शून्य से लेकर पाई तक
और पाई से प्रमेय दिये।
सभी गणितीय योग जन्म
भारत धरा के गणितज्ञ जीये।।
पृथ्वी अपनी धुरी घुमे
और समतल दिखे क्यों।
सौवां भाग दिखे सीधा
सूर्य चंद्र ग्रहण है क्यों।।
चक्रीय विधि द्धिघात घन
समीकरण हल हो कैसे।
गुणा की चार विधि बतायी
शून्य क्रमचय संयोजन कैसे।।
संख्या को दशमलव रूप में
हिंदू अरबी शैली लिखा।
किसी संख्या को शून्य से
विभाज्य कर अनंत परिणाम दिखा।।
दो के वर्ग मूल की
पांच सही दशमलव गणना।
द्विपद प्रमेय ज्ञान बिना
पास्कल त्रिकोण कैसे हो वरणा।।
सिद्धांत गणित के सभी मूल
तीन सो तेंतीस दिए श्लोक।
द्धिघात समीकरण त्रिकोणमिति
साइन कोसाइन सारणी आलोक।।
गणितीय नकारात्मक संख्या दे
गणित किया चरमगत वरणी।
स्थिरांक अंक बीज गणित दे
धन्य भारत गणितज्ञ धरणी।।
जय आर्यभट् कात्यायन पिंगला
जयदेव महावीरा ब्रह्मगुप्त।
भास्कर प्रथम द्धितीयचार्य संग
लीलावती गणितज्ञ युक्त।।
धन्य रामानुजन गणितज्ञ महान
विजय हरीश नरसिम्हन।
भट् गर्ग महादेवन वरिष्ठ जी
सभी देश विदेश गणितज्ञ नमन।।
🙏जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः🙏
राष्ट्रीय गणित दिवस से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न (FAQs)
राष्ट्रीय गणित दिवस कब मनाया जाता है?
22 दिसंबर
गणित का जादूगर किसे कहा जाता है?
श्रीनिवास रामानुजन
गणितज्ञों को कौन सा पुरस्कार दिया जाता है?
फील्ड्स पदक
निष्कर्ष
जिस प्रकार मोरों में शिखा और नागों में मणि का स्थान सबसे उपर है, वैसे ही सभी वेदांग और शास्त्रों मे गणित का स्थान सबसे उपर है। गणित की इसी विशालता को और इसे और मनोरंजन बनाने हेतु राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।
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