हिन्दू पुराणों की कथा के अनुसार मधुरा नाम की अप्सरा कैलाश पर्वत पर गयी। कैलाश पर्वत पर भगवान शिव ने अपने शरीर पर भस्म लगा रखी थी। माता पार्वती उस समय वहां पर नहीं थी। ऐसे में मधुरा भगवान शिव को आकर्षित करने का प्रयास करने लगी। माता पार्वती के कैलाश पहुँचने पर मधुरा के शरीर पर शिव की भस्म और उसके भगवान् शिव को आकर्षित करने के प्रयासों को देखकर देवी पार्वती बहुत क्रोधित हुई। उन्होंने मधुरा को श्राप दिया कि 12 साल तक वह मेढक के रूप में एक कुएं में रहेंगी।
असुर राज मायासुर और उसकी पत्नी हेमा के दो पुत्र थे लेकिन वे चाहते थे कि उनकी एक पुत्री हो। इसी इच्छा को पूर्ण करने के लिए उन्होंने कठोर तपस्या करनी शुरू कर दी ताकि भगवान् उनसे प्रसन्न हो और उन्हें पुत्री दे दें। इसी बीच मधुरा के 12 साल पूरे हो गए और वह अपने वास्तविक रूप में आ गयी। कुँए से मधुरा की आवाज मायासुर और उसकी पत्नी हेमा ने सुनी और उन्होंने उसे कुँए से बाहर निकला और पुत्री के रूप में गोद ले लिया। तब से उसका नाम बदलकर मधुरा से मंदोदरी हो गया।
एक बार रावण असुर राज मायासुर से मिलने गए। रावण मंदोदरी के सुन्दर रूप पर मोहित हो गया और उसने मयासुर के सामने मंदोदरी से शादी करने का प्रस्ताव रखा। लेकिन मायासुर ने रावण के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। इस पर रावण ने बल पूर्वक मंदोदरी से विवाह कर लिया।
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