चारमीनार कहाँ स्थित है? चार मीनार का इतिहास | Charminar Kahan Sthit Hai? Charminar History in Hindi

प्राचीन और आधुनिकता के मिश्रण के साथ, हैदराबाद शहर आधुनिक इमारतों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर 400 साल पुरानी कुतुब शाही वास्तुकला की कुछ बेहतरीन इमारतो का मिश्रण है – जैसे जामी मस्जिद, मक्का मस्जिद, टोली मस्जिद, और निश्चित रूप से हैदराबाद की निशानी यानी चारमीनार। चारमीनार हैदराबाद की मुख्य इमारतो में से एक है। यह कहा जाता है कि चारमीनार की चार मीनारें इस्लाम के पहले चार खलीफाओं की प्रतीक हैं।

कहा जाता है कि चारमीनार और गोलकोंडा किले के बिच एक गुप्त मार्ग भी बना हुआ है, जो पहले कुली कुतब शाह की राजधानी थी और आपातकालीन समय में इस गुप्त मार्ग से राजघराने के लोगो को सुरक्षित रूप से एक जगह से दूसरी जगह भेजा जाता था। लेकिन आज भी उस गुप्त द्वार की वास्तविक जगह किसी को नही पता है।

चारमीनार कहाँ स्थित है? (Charminar Kahan Sthit Hai)

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चारमीनार का निर्माण 1591 ई में कुतब शाही साम्राज्य के पाँचवे शासक सुल्तान मुहम्मद कुली कुतब शाह ने किया। भारत के तेलंगाना राज्य के हैदराबाद शहर में बनी यह ईमारत एक स्मारक और मस्जिद है। वर्तमान में यह स्मारक हैदराबाद की वैश्विक धरोहर बनी हुई है और साथ ही चारमीनार भारत के मुख्य स्मारकों में भी शामिल है।

चारमीनार का निर्माण मुसी नदी के पूर्वी तट पर किया गया है। चारमीनार के बायीं तरफ लाड बाज़ार और दक्षिण तरफ मक्का मस्जिद है। आर्कियोलॉजिकल एंड आर्किटेक्चरल ट्रेज़र में इसे “स्मारकों की सूची” में भी शामिल किया गया है। चारमीनार का इंग्लिश नाम उर्दू शब्द चार और मीनार के रूपांतर से बना हुआ है, इसका इंग्लिश नाम “फोर टावर” है।

चार मीनार का इतिहास (Charminar History in Hindi)

स्मारक को लेकर इतिहास में कई पौराणिक कथाये हैं

आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया (ASI) के अनुसार, चारमीनार के बारे फ़िलहाल यह रिकॉर्ड दर्ज किया गया है कि, “चारमीनार के निर्माण की वजह से जुडी हुई बहुत सी कथाये है। जबकि बहुत से लोगो का यह मानना है प्लेग की बीमारी का संक्रमण रोकने के लिये चारमीनार को शहर के मध्य में बनाया गया है। उस समय यह एक गंभीर बीमारी थी, जिससे इंसान मर भी सकता था। कहा जाता है की मुहम्मद कुली कुतुब शाह ने यह मस्जिद बनवाकर यहाँ इबादत की थी। 17 वी शताब्दी के एक फ्रेंच यात्री जीन दे थेवेनोट के अनुसार चारमीनार का निर्माण 1591 ई में किया गया था। मतलब दुसरे इस्लामिक सहस्त्र वर्ष (1000AH) में किया गया था। इस्लामिक देशो में इसे एक पर्व के रूप में मनाया जाता है इसीलिये कुतुब शाह ने पर्व को मनाने के लिये हैदराबाद शहर का चुनाव किया और वहा चारमीनार का निर्माण किया गया।

इतिहासकार मसूद हुसैन खान का कहना है कि चारमीनार का निर्माणकार्य 1592 में पूरा हुआ था और हैदराबाद शहर की खोज 1591 में की गयी थी। किताब “डेज ऑफ़ द बीलव्ड” के अनुसार कुतुब शाह ने 1589 में चारमीनार का निर्माणकार्य शुरू किया था, इसका निर्माण उन्होंने उसी जगह पर किया था जहा उन्होंने अपनी भविष्य की रानी भागमती को पहली बार देखा था और रानी के इस्लाम धर्म में परिवर्तित होने के बाद उन्होंने शहर का नाम हैदराबाद रखा था। लेकिन इस कहानी को इतिहासकारों और विद्वानों ने ग़लत बताया था, लेकिन स्थानिक लोगो का इस कहानी पर काफी विश्वास था।

कुतब शाही साम्राज्य के पाँचवे शासक सुल्तान मुहम्मद कुली कुतब शाह ने 1591 में चारमीनार को बनवाया था। अपनी राजधानी गोलकोंडा को हैदराबाद में स्थानान्तरित करने के बाद उन्होंने हैदराबाद में चारमीनार का निर्माण करवाया। चारमीनार की वजह से आज हैदराबाद को वैश्विक पहचान मिली है।

चारमीनार का क्षेत्र गोलकोंडा बाजार से जुड़ा हुआ है। पुराने हैदराबाद शहर का निर्माण चारमीनार के वजह से ही किया गया था और तभी से हैदराबाद शहर के केंद्र में चारमीनार स्थित है। चार मीनार की चार मीनारों के पास ही शहर बसा हुआ था। चारमीनार के उत्तर में चार कमान और चार द्वार है। कुतब शाही साम्राज्य के पाँचवे शासक सुल्तान मुहम्मद कुली कुतब शाह ने 1591 में चारमीनार को बनवाया था। अपनी राजधानी गोलकोंडा को हैदराबाद में स्थानान्तरित करने के बाद उन्होंने हैदराबाद में चारमीनार का निर्माण करवाया। चारमीनार के वजह से आज हैदराबाद को वैश्विक पहचान मिली है। बाद में हैदराबाद शहर को विकसित करने के लिये पर्शियन आर्किटेक्ट को भी बुलाया गया था और तभी चारमीनार के आस-पास मस्जिद और मदरसा का निर्माण भी किया गया था। चारमीनार का निर्माण इंडो-इस्लामिक कला के आधार पर किया गया था।

चारमीनार की संरचना

चारमीनार की संरचना पूरी तरह से चौकोर है, जो प्रत्येक तरफ से 20 मी (65 फीट) है और ग्रेनाइट, चूना पत्थर, मोर्टार व चूर्णित संगमरमर से बनी है। चार भव्य मेहराब चार अलग-अलग गलियों में खुले हैं और 11 मी चौड़े हैं। मीनारें 56 मीटर (183 फीट) ऊंची हैं और बाहर की दीवारों पर छोटे गुंबदों और जटिल नक्काशी हैं। मीनारों के अंदर 149 सीढ़ियां है।

चार मीनार की दूसरी मंजिल पर शहर की सबसे पुरानी मस्जिद है। यह छत के पश्चिमी तरफ स्थित है। छत के पूर्वी भाग ने सुल्तान कुतुब शाह के समय अदालत का काम किया। 1889 में चार कार्डिनल दिशाओं के साथ चार घड़ियां जोड़ी गईं। और एक छोटे से फव्वारे के साथ आंगन के बीच में छोटा वुजू खाना (टैंक) मुस्लिमों के लिए मस्जिद में नमाज अदा करने के लिए पानी उपलब्ध कराता है।

चारमीनार के बारे में कुछ रोचक बातें

  • चारमीनार भारत के हैदराबाद शहर में स्थित प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल है।
  • कहा जाता है कि चारमीनार की चार मीनारे इस्लाम के पहले चार ख़लीफ़ाओं का प्रतीक हैं।
  • मुहम्मद कुली कुतब शाह ने 1591 में इसका निर्माण किया था।
  • कहा जाता है कि उसका निर्माण करने के बाद मुहम्मद कुली ने वहाँ अल्लाह से प्रार्थना की थी।
  • मस्जिद चारमीनार के सबसे उपरी मंजिल पर बनी हुई है।
  • चारमीनार में पत्थरो की बालकनी के साथ ही एक छत और दो गैलरी भी है जो छत की तरह दिखाई देती है।
  • चारो मीनारों को एक विशिष्ट रिंग से चिन्हित किया गया है जिसे हम बाहर से देख सकते हैं।
  • मीनार की मुख्य गैलरी में 45 लोगो के लिए नमाज़ अदा करने जितनी जगह है।
  • ऊपरी मंजिल पर जाने के लिये 149 हवाई सीढियाँ हैं। सभी मीनारे 149 हवाई सीढियो से पृथक की गयी हैं।
  • मीनार की हर तरफ एक बड़ा वक्र बना हुआ है जो 11 मीटर फैला और 20 मीटर ऊँचा है।
  • कहा जाता है कि चारमीनार और गोलकोंडा किले के बिच एक गुप्त मार्ग भी बना हुआ है, जो पहले कुली कुतब शाह की राजधानी थी और आपातकालीन समय में इस गुप्त मार्ग से राजघराने के लोगो को सुरक्षित रूप से एक जगह से दूसरी जगह भेजा जाता था। लेकिन आज भी उस गुप्त द्वार की वास्तविक जगह किसी को नही पता है।
  • हर एक वक्र पर एक घड़ी लगी हुई है जो 1889 में बनायी गयी थी।

चारमीनार से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न (FAQs)

चारमीनार कौन से राज्य में है?

तेलंगाना

चारमीनार का निर्माण कब हुआ?

1591 ई

चारमीनार का निर्माण किसने किया?

कुतब शाही साम्राज्य के पाँचवे शासक सुल्तान मुहम्मद कुली कुतब शाह ने

यह भी देखें

क़ुतुब मीनार की लम्बाई कितनी है?

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