हम सभी एड्स जैसी खतरनाक और जानलेवा बीमारी से वाकिफ है। प्रत्येक वर्ष विश्व एड्स दिवस 1 दिसंबर को लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। एड्स एचआईवी वायरस के कारण होने वाला घातक रोग है। अब तक पुरे विश्व मे इस रोग के कारण अनेको लोगो की मृत्यु हुई है।
वर्तमान समय में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में से एक सबसे बड़ी समस्या एड्स भी है। Unicef ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि अब तक 37.9 मिलियन एड्स के शिकार हुए हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार रोजाना 980 बच्चे एचआईवी के शिकार होते हैं जिनमें से 320 की मृत्यु हो जाती है।
यह उन खतरनाक बीमारियों में से एक है जिनके लिए अब तक किसी भी प्रकार की वैक्सीन का निर्माण नहीं हुआ, परन्तु लोग इस बीमारी को गंभीरता से नहीं लेते है और इनमे पढ़े लिखे लोग भी शामिल है।
आज के अपने इस लेख के जरिये हम आपको विश्व एड्स दिवस के बारे मे जानकारी देंगे कि विश्व एड्स दिवस कब है? विश्व एड्स दिवस क्यों मनाया जाता है और इसका क्या महत्व है और एड्स बीमारी के होने के क्या कारण है जैसी अन्य जानकारी भी प्रदान करेंगे।
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विश्व एड्स दिवस 2023 (World AIDS Day in Hindi)
विश्व एड्स दिवस इस वर्ष 1 दिसंबर 2023, शुक्रवार के दिन पूरे विश्व में मनाया जाएगा। जिसके अंतर्गत कई कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे और लोगो को एड्स के बारे मे जानकरी प्रदान की जाएगी।
विश्व एड्स दिवस मनाने का क्या इतिहास रहा है? (History of World AIDS Day)
थॉमस नेट्टर और जेम्स डब्ल्यू बन्न ने साल 1987 में विश्व एड्स दिवस की नींव रखी थी। यह दोनों विश्व स्वास्थ्य संगठन जिनेवा विश्व एड्स ग्लोबल कार्यक्रम के सार्वजनिक सूचना अधिकारी रहे थे। इन्होंने ग्लोबल कार्यक्रम के निर्देशक डॉक्टर जॉन नाथन मनन के सामने विश्व एड्स दिवस को लेकर अपने विचार प्रस्तुत किए।
डॉक्टर मनन इनके विचारों से सहमत हुए और 1 दिसंबर 1988 को विश्व एड्स दिवस मनाने की शुरुआत की गई। इन्होंने यह दिन इसलिए चुना ताकि इसे क्रिसमस दिवस और अन्य छुट्टियों से अलग किया जा सके। वही इसका मुख्य कारण अमेरिका मे होने वाले चुनाव भी थे क्योकि उन दिनों अमेरिका मे चुनाव हो रहे थे।
संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम जिसे यूएन एड्स के नाम से भी जाना जाता है ने विश्व एड्स दिवस को प्रभाव में लाने के लिए अपना पूरा सहयोग साल 1996 से देना शुरू किया। विश्व एड्स दिवस के शुरुआती समय में इनका पूरा ध्यान बच्चों और युवाओं पर ही केंद्रित था।
लेकिन बाद में हर आयु वर्ग के लोगों को एड्स के विषय में जानकारी देना शुरू किया गया ताकि सभी को इस घातक बीमारी से बचाया जा सके। व्हाइट हाउस के द्वारा वर्ष 2007 में विश्व एड्स दिवस के लिए प्रतीक के रूप में लाल रिबन रखा गया और यह लाल रिबन ही इस दिन की पहचान बन गया।
विश्व एड्स दिवस का उद्देश्य
प्रत्येक वर्ष एड्स दिवस को मनाने का उद्देश्य यह है कि लोगों को एड्स जैसी बीमारी के प्रति जागरूक किया जा सके, साथ ही नई और प्रभावशाली नीतियां बनाई जाये और स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए कदम उठाए जाये विश्व एड्स दिवस के और भी कई उद्देश्य है जैसे:-
- एड्स के रोकथाम के उपायों को बढ़ाने के लिए अन्य देशों का मार्गदर्शन प्राप्त करना।
- जनता को एड्स के खिलाफ लड़ने में मदद करने वाली एंटीरेट्रोवायरल दवाइयों व अन्य वस्तुओं के बारे में जानकारी प्रदान करना।
- एड्स के इलाज, जांच, एसटीआई नियंत्रण और एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी के लिए दूसरे देशों को तकनीकी सहायता उपलब्ध करवाना।
- स्कूलों, विश्वविद्यालयों और सामाजिक संगठनों के छात्रों को एड्स के लिए आयोजित की जाने वाली प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित करना।
विश्व एड्स दिवस 2023 थीम (World AIDS Day 2023 Theme in Hindi)
विश्व एड्स दिवस 2023 का थीम:
प्रत्येक वर्ष विश्व एड्स दिवस के प्रति जागरूक करने के लिए अभियान चलाए जाते है। जिसके लिए प्रत्येक वर्ष अलग-अलग विषय होते है यहां आपको सभी वर्षों के एड्स दिवस के विषयों की सूची प्रदान की जा रही है:-
वर्ष | विषय (थीम) |
1988 | संचार |
1989 | युवा |
1990 | महिलाएं और एड्स |
1991 | समुदाय के प्रति प्रतिबद्धता |
1992 | समुदाय के प्रति प्रतिबद्धता |
1993 | अधिनियम |
1994 | एड्स और परिवार |
1995 | साझा अधिकार, साझा दायित्व |
1996 | एक विश्व और एक आशा |
1997 | बच्चे एड्स की एक दुनिया में रहते है |
1998 | परिवर्तन के लिए शक्ति: विश्व एड्स अभियान युवा लोगों के साथ |
1999 | जानें, सुनें, रहें: बच्चे और युवा लोगों के साथ विश्व एड्स अभियान |
2000 | एड्स: लोग अन्तर बनाते हैं |
2001 | मैं देख-भाल करती/करता हूँ। क्या आप करते है |
2002 | कलंक और भेदभाव |
2003 | कलंक और भेदभाव |
2004 | महिलाएँ, लड़कियाँ, एचआईवी और एड्स |
2005 | एड्स रोको: वादा करो |
2006 | एड्स रोको: वादा करो-जवाबदेही |
2007 | एड्स रोको: वादा करो- नेतृत्व |
2008 | एड्स रोको: वादा करो- नेतृत्व – सशक्त – उद्धार |
2009 | विश्वव्यापी पहुँच और मानवाधिकार |
2010 | विश्वव्यापी पहुँच और मानवाधिकार |
2011 से 2015 | शून्य प्राप्त करना: नए एचआईवी संक्रमण शून्य; शून्य भेदभाव; शून्य एड्स से संबंधित मौतें |
2016 | एचआईवी रोकथाम के लिए हाथ ऊपर करें |
2017 | माई हेल्थ, माई राइट |
2018 | नो योर स्टेटस |
2019 | कम्युनिटीज मेक द डिफरेंस |
2020 | एंडिंग द HIV/AIDS एपिडेमिक: रेसिलिएंस एंड इम्पैक्ट |
2021 | असमानताओं को समाप्त करें एड्स को समाप्त करें |
एड्स किसे कहते हैं?
एड्स का फुल फॉर्म है ‘एक्वायर्ड इम्यूनो डिफिशिएंसी सिंड्रोम।’ एड्स एचआईवी के कारण होता है जो मनुष्य के शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पर प्रभाव डालता है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली की टी कोशिकाओं पर हमला करता है। इस रोग को प्रथम बार वर्ष 1981 में मान्यता दी गई थी और 27 जुलाई 1982 को इसे एड्स के नाम से जाना गया।
एड्स का सबसे पहला मामला साल 1959 में अफ्रीका के कांगो में पाया गया था और इससे ग्रस्त व्यक्ति की मौत हो गई थी। इसके बाद उस व्यक्ति के खून की जांच की गई तो पाया कि वह एड्स से पीड़ित है। वर्ष 1980 में यह बीमारी सबके सामने आई।
एड्स के लक्षण क्या हैं?
एड्स से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में दिखाई देने वाले निम्नलिखित लक्षण है:-
- एड्स के रोगी को सिर में दर्द रहता है उसके साथ ही गले में खराश भी महसूस होती है।
- व्यक्ति की मांसपेशियों में दर्द रहना
- एड्स से पीड़ित व्यक्ति की ग्रंथियों में सूजन पाई जाती है।
- व्यक्ति को ठंड भी महसूस होती है इसके साथ ही बुखार भी रहता है।
- रोगी व्यक्ति को शरीर में दुर्बलता का एहसास होता है और लगातार थकान ही रहती है।
- व्यक्ति के वजन में कमी भी देखी जाती है।
- आंखों की दृष्टि धुंधली हो जाती है
- रात को पसीना भी आता है
- मरीज को सूखी खांसी और दस्त भी होते है।
- एड्स से ग्रसित व्यक्ति के जीभ और मुंह पर सफेद धब्बे दिखाई देते है
- सांस लेने में परेशानी महसूस होती है
- एड्स के अंतिम चरण में कपोसी सार्कोमा, गर्भाशय ग्रीवा, फेफड़ों, मलाशय, जिगर, सिर, गर्दन के कैंसर भी हो सकता है और इसके अतिरिक्त प्रतिरक्षा प्रणाली (लिम्फोमा) का कैंसर होने की संभावना भी पूरी होती है।
- एड्स का मरीज निमोनिया का शिकार भी हो जाता है
- टोक्सोप्लाज़मोसिज़ यानी कि मस्तिष्क का संक्रमण भी अंतिम चरण में होने लगता है
- एड्स के मरीज के शरीर पर लाल रंग के चकत्ते भी नजर आते है
- एड्स ग्रसित व्यक्ति के जोड़ों व मांसपेशियों में दर्द रहता है
- शरीर की ग्रंथियों में सूजन भी हो जाती है
कई बार ऐसा भी होता है कि इस रोग के लक्षण शुरुआती दौर में दिखाई नहीं देते हैं जिसके कारण मनुष्य की प्रतिरक्षा प्रणाली की क्षमता खत्म हो जाती है शुरुआती दौर में लक्षण या दिखाई देने पर व्यक्ति पूरी तरह से स्वस्थ नजर आता है।
एड्स किन कारणों से होता है?
प्रत्येक बीमारी के होने के अपने कारण होते है उसी प्रकार एड्स होने के भी निम्नलिखित कारण है जो कि इस प्रकार है:
- एड्स होने का मुख्य कारण असुरक्षित तरीके से शारीरिक संबंध बनाना है
- एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति के खून को स्वस्थ व्यक्ति में चढ़ाने से होता है।
- प्लेसेंटा के जरिया एचआईवी पीड़ित महिला के बच्चे में यह रोग होता है।
- एचआईवी पीड़ित व्यक्ति के लिए इस्तेमाल की जानी वाली सुई को दूसरी बार स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में इंजेक्ट करने पर व्यक्ति एड्स से पीड़ित हो जाता है
- एचआईवी पीड़ित व्यक्ति की इन्फेक्टेड ब्लेड यूज करने से भी एड्स होता है।
एड्स किन कारणों से नहीं होता है?
हमारे समाज में एड्स को लेकर अनेक भ्रम फैले हुए हैं। एड्स निम्न कारणों से कभी भी नहीं होता है:
- एड्स से पीड़ित व्यक्ति से हाथ मिलाने से
- मरीज के गले लगने और उसके छिंकने से
- जिस शौचालय को मरीज ने प्रयोग किया है उसी शौचालय को प्रयोग करने से भी एड्स नहीं होता है
- मरीज के साथ बैठकर खाना खाने से भी एड्स नहीं होता
- एड्स पीड़ित व्यक्ति के साथ घर और ऑफिस में रहने से
- यह मच्छर के काटने से भी नहीं फैलता है
- एक दूसरे के कपड़ों का प्रयोग करने से भी नहीं फैलता
विश्व एड्स दिवस पर लाल रिबन का प्रयोग क्यों किया जाता है?
विश्व एड्स दिवस के दिन विश्व भर के लोग लाल रंग का रिबन पहनते है जिसके जरिए वे पीड़ित व्यक्तियों के प्रति अपनी भावना व्यक्त करते हैं। वही लाल रिबन को बेचकर लोग एड्स पीड़ितों के लिए धनराशि जमा करते है ताकि उनके इलाज में कुछ मदद की जा सके।
लाल रिबन के जरिए एड्स के जरिए जान गवाने वाले लोगों को श्रद्धांजलि भी दी जाती है। विश्व एड्स दिवस के अवसर पर लाल रिबन पहनकर लोगों को एड्स के प्रति जागरूक करना भी है। इसके साथ ही यह रिबन प्रदर्शित करता है कि एड्स पीड़ितों के साथ भेदभाव ना किया जाए।
विश्व एड्स दिवस पर होने वाले कार्यक्रम
एड्स के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए विश्व एड्स दिवस पर अनेक कार्यक्रम व क्रियाएं आयोजित किए जाते है ताकि लोगों में बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके। यही इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य होता है। इस दिन पर आयोजित किए जाने वाले कुछ कार्यक्रम निम्न प्रकार है:
- जनता को एड्स के सम्बंधित पोस्टर, वीडियो व प्रदर्शनी दिखाकर जागरूक किया जाता है।
- इस दिन स्कूलों में प्रतियोगिताएं रखी जाती हैं ताकि भविष्य का निर्माण करने वाले बच्चे इसके प्रति जागरूक हो सके
- विश्व एड्स दिवस पर नुक्कड़ नाटक के जरिए लोगों को इस बीमारी से अवगत कराया जाता है
- सोशल मीडिया जैसे फेसबुक टि्वटर इंस्टाग्राम आदि के जरिए लोगों के सामने अपने विचार रख कर भी जागरूक करने की कोशिश की जाती है।
- किसी सार्वजनिक स्थल पर कैंडल लाइट मार्च के जरिए भी एड्स के प्रति लोगों को जागरूक किया जाता है।
- स्कूलों व कार्य स्थलों में लाल रिबन पहनाकर लोगों को एड्स कैंपेन से जोड़ा जाता है
एड्स से जुड़े रोचक तथ्य
एड्स से जुड़े कुछ रोचक तथ्य इस प्रकार है:-
- एड्स विषय पर आधारित सबसे पहली हॉलीवुड फिल्म ‘एंड द बैंड प्लेन ऑन’ बनायीं गयी थी
- वर्ष 1986 में मद्रास में भारत में सबसे पहला एड्स का मामला सामने आया था।
- यदि 60 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तापमान होता है तो एचआईवी के विषाणु मारे जा सकते है।
एड्स संबंधित जांचें कौन सी है?
- एलीसा जांच
- वेस्टर्न ब्लॉट जांच
- एचआईवी पी-24 ऐंटीजेन (पी.सी.आर.) जांच
- सीडी-4 काउंट जांच
एड्स के उपचार
हम यह तो नहीं कहते कि एड्स का उपचार संभव नहीं है परन्तु इसे जड़ से ख़तम नहीं किया जा सकता है, लेकिन अगर मरीज कुछ बातो का ध्यान रखे तो वह लम्बे समय तक जी सकता है
- एड्सके उपचार के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि व्यक्ति हमेशा पॉजिटिव बना रहे।
- मरीज को स्वस्थ जीवन शैली को अपनाना चाहिए
- दवाओं का डॉक्टर के निर्देश के अनुसार ही समय पर सेवन करना चाहिए
- एड्स सेंटर पर हाइली एक्टिव ऐंटीरेट्रो वायरस थेरैपी मरीजों को निशुल्क दी जाती है जो कि साधारण और सुरक्षित उपचार में से एक है।
एड्स दिवस से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न (FAQs)
विश्व एड्स दिवस कब होता है?
1 दिसम्बर
विश्व एड्स दिवस 2022 थीम क्या थी?
विश्व एड्स दिवस 2022 थीम: ‘EQUALIZE’
भारत मे एड्स दिवस कब मनाया जाता है?
1 दिसम्बर
एड्स का अंतर्राष्ट्रीय चिन्ह क्या है?
रेड रिबन
एड्स रोग की खोज कब हुई थी?
वर्ष 1981
एचआईवी मे कौन सी कोशिका नष्ट होती है?
सी डी 4 टी
निष्कर्ष
एड्स जैसी जानलेवा रोग से बचना बहुत ही आवश्यक है इसके लिए जरुरी है कि युवाओ को उनके विद्यार्थी जीवन मे ही धीरे-धीरे इस रोग से अवगत कराया जाये ताकि भविष्य मे वह इस रोग से बचे रहे और दुसरो को भी जानकारी दे कर बचा सके।
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