वाक्य की परिभाषा, भेद और उदाहरण

वाक्य की परिभाषा, भेद और उदाहरण इस प्रकार हैं:

वाक्य किसे कहते हैं?

vakya paribhasha bhed prakar udaharan

शब्दों के सार्थक समूह को वाक्य कहते हैं। वाक्य के दो अंग होते हैं –

  • उद्देश्य
  • विधेय

1. उद्देश्य: वाक्य में कार्य करने वाला उद्देश्य होता है, अर्थात कर्त्ता ही उद्देश्य होता है।

2. विधेय: वाक्य में उद्देश्य अर्थात कर्त्ता के द्वारा जो कार्य किया जाता है, वह विधेय कहलाता है। इसमें – कर्म+क्रिया दोनों होते हैं, या वाक्य में जब कर्त्ता नही होता है तब क्रिया विधेय होती है।

जैसे- राम पुस्तक पढता है। – वाक्य में राम कर्त्ता कारक है और यह कर्त्ता कारक ही उद्देश्य है। तथा ‘पुस्तक’ कर्म है और ‘पढ़ता है’ क्रिया है। तो कर्म व क्रिया दोनों विधेय होंगे।

वाक्य के प्रकार

(अ) बनावट / रचना के आधार पर:

1. सरल या साधारण वाक्य: जिस वाक्य में एक उद्देश्य और एक विधेय होता है, वह सरल वाक्य होता है।

जैसे –

  • मोहन पुस्तक पढ़ता है।
  • गाय दूध देती है।
  • मोहन खाना पकाता है।

2. मिश्र / मिश्रित वाक्य: जिस वाक्य में एक मुख्य उपवाक्य तथा दूसरा आश्रित उपवाक्य होता है, उसे मिश्रित वाक्य कहते हैं।

ये वाक्य – कि, क्यों कि, ज्यों-त्यों, जैसे-वैसे, जिसे, जिसका, जिसको, चूकि, इसलिए, ताकि आदि शब्दों से जुड़े हुए होते हैं।

यदि किसी वाक्य के एक भाग को बोलने पर मन में कोई प्रश्न बना रहता है एवं दूसरा भाग बोलने पर ही उसका उत्तर प्राप्त होता है तो वह वाक्य मिश्र वाक्य कहलाता है।

उदाहरण –

  • गांधी जी ने कहा कि सदा सत्य बोलो।
  • वह लड़की मिल गयी जो मेले में खो गई थी।
  • मैंने जैसा सुना वह वैसा ही निकला।
  • जैसी करनी वैसी भरनी।
  • ऐसा कौन सा भारतीय होगा जिसने भगत सिंह का नाम नही सुना होगा।
  • भगवान् ने जब आलू का निर्माण किया होगा तब उसे अपने ऊपर कितना गुमान होगा कि मेरे इतने रूप हैं।

आश्रित उपवाक्य के भेद:

(क) संज्ञा आश्रित उपवाक्य: प्रायः ‘कि’ से प्रारम्भ होने वाला।

(ख) विशेषण आश्रित उपवाक्य: प्रायः जो, जिसे, जिसका, जिसकी, जिसके, जिसको, जिन्हें, जिनका, जिनकी, जिनके इत्यादि से प्रारम्भ होने वाले वाक्य।

(ग) क्रिया विशेषण आश्रित उपवाक्य: प्रायः जब, जैसा, जैसी, जैसे, जितना, जितनी, जितने, यदि, यद्यपि इत्यादि शब्द से युक्त वाक्य।

3. संयुक्त वाक्य / जटिल वाक्य: जिस वाक्य में दो या दो से अधिक साधारण वाक्य या मिश्रित उपवाक्य या कोई समानीकरण उपवाक्य किसी संयोजक अव्यय द्वारा जुड़ा हुआ हो तो उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं। ये संयुक्त वाक्य किन्तु, परन्तु, लेकिन, अपितु, तथा, यद्यपि, तदापि, या, अथवा, और आदि शब्दों से जुड़ा हुआ हो।

संयुक्त वाक्यों का एक भाग बोलने पर मन में कोई प्रश्न शेष नहीं रहता अपितु सभी आश्रित उपवाक्यों का स्वतंत्र महत्त्व होता है।

जैसे –

  • कृष्ण और बलराम भाई थे।
  • राधा रेलवे स्टेशन गयी लेकिन रेलगाड़ी जा चुकी थी।
  • मदारी डमरू बजा रहा था और बंदरिया नाच रही थी।
  • मोहन या गोविन्द में से एक अजमेर जाएगा।
  • रमेश की शादी हो जाती लेकिन लड़की नहीं मिली।

(ब) अर्थ के आधार पर वाक्य के प्रकार:

1. विधेयात्मक वाक्य: जहां कार्य करने का या होने का भाव प्रकट हो रहा हो, उसे विधेयात्मक वाक्य कहते हैं।

जैसे –

  • मोहन पुस्तक पढ़ रहा है।
  • गीता खाना बना रही है।
  • सोहन खेल रहा है।

2. नकारात्मक वाक्य: जिस वाक्य में कार्य न करने और न होने का भाव प्रकट होता हो, उसे नकारात्मक वाक्य कहते हैं।

जैसे –

  • राधा गाना नहीं गाएगी।
  • गीता रामायण नहीं पढ़ती है।
  • सीता दूध नहीं पीती है।

3. प्रश्नवाचक वाक्य: जिस वाक्य में प्रश्न किया गया हो उस वाक्य को प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैं।

जैसे –

  • आप खाने में क्या लोगे?
  • आपके पिताजी क्या करते हैं?

4. संकेतवाचक वाक्य: जब वाक्य में किसी कार्य के करने या होने का पूर्व संकेत हो उस वाक्य को संकेतवाचक वाक्य कहते हैं।

जैसे –

  • यदि मैं परिश्रम करता तो पास हो जाता।
  • मैं गाँव चला जाता तो मेरी शादी हो जाती।

5. संदेहार्थक वाक्य: जब वाक्य में किसी कार्य के करने या होने में संदेह या संभावना की गयी हो, तो उस वाक्य को संदेहार्थक वाक्य कहते हैं। इन वाक्यों में वाक्य के प्रारम्भ में शायद, संभव है, लगता है, हो सकता है, आदि शब्द जुड़े होते हैं।

जैसे –

  • शायद मैं कल नहीं आऊंगा।
  • हो सकता है आज मैं गाँव चला जाऊं।
  • लगता है आज कोई आने वाला है।
  • संभव है आज वर्षा हो जाए।

6. इच्छात्मक वाक्य: जिस वाक्य में कार्य करने की इच्छा का भाव प्रकट होता हो या आशीर्वाद, शुभकामना या बद्दुआ दी जाती हो, तो उस वाक्य को इच्छात्मक वाक्य कहते हैं।

जैसे –

  • खाना खा लेते हैं।
  • तुम्हारी यात्रा मंगलमय हो।
  • तुम दीर्घायु हो।
  • तुम चिरंजीवी हो।
  • बुरी नजर वाले तुम्हारे बच्चे जियें ताकि बड़े होकर तुम्हारा खून पियें।

7. आज्ञार्थक वाक्य: जहां वाक्य में कार्य करने की आज्ञा दी जाये या निवेदन किया जाए या आदेश जिया जाये, धमकी दी जाये तो उसे आज्ञार्थक वाक्य कहते हैं।

जैसे –

  • कृपया गंदगी नहीं फैलाएं।
  • इधर आकर बैठो।
  • आप जा सकते हैं।
  • तुम खेलने नहीं जाओगे।
  • आज खाना नहीं खाओगे।

8. सम्बोधन बोधक वाक्य: जिस वाक्य में कार्य करने के लिए सम्बोधित किया जाये अथवा पुकारा जाये, तो उस वाक्य को सम्बोधन बोधक वाक्य कहते हैं।

जैसे –

  • अरे! खाना खा लो।
  • अजी! आप क्या कर रहे हो?