उत्तर प्रदेश में मृदा एवं खनिज निम्नलिखित हैं:
- भांवर क्षेत्र की मृदा कंकरीली-पथरीली होती है।
- गंगा के विशाल मैदानों का निर्माण प्लीस्टोसीन युग से आज तक नदियों के निक्षेपों से हुआ है।
- उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा जलोढ़ मिट्टी पायी जाती है।
- नवीन एवं प्राचीन जलोढ़ मृदा को खादर, बांगर के नाम से जाना जाता है।
- जलोढ़ मृदा का निर्माण पंक, कीचड़ और बालू से हुआ है।
- जलोढ़ मृदा में पोटाश एवं चूना (रसायन) की प्रचुरता रहती है।
- जलोढ़ मृदा में फॉस्फोरस, नाइट्रोजन एवं जैव तत्व की कमी रहती है।
- मृदा के खनिज, जैव पदार्थ, जल तथा वायु चार प्रमुख घटक हैं।
- लवणीय और क्षारीय मृदा को सामान्यतः ऊसर या बंजर या कल्लर या रेह के नाम से जाना जाता है।
- विंध्य शैलों के टूटने से लाल मृदा का निर्माण हुआ।
- प्रदेश में मरूस्थलीय मृदा कुछ पश्चिमी जिलों में पायी जाती है।
- लाल, परवा, मार, राकर तथा भोण्टा आदि बुंदेलखंड की मृदाएं हैं।
- उत्तर प्रदेश में जलीय अपरदन से मृदा अपरदन अधिक होता हैं।
- परत अपरदन को “किसान की मौत” कहा जाता है।
- प्रदेश का इटावा जिला अवनलिका अपरदन से अधिक प्रभावित है।
- ग्रीष्म ऋतु में सर्वाधिक वायु अपरदन होता है।
- पश्चिमी उत्तरप्रदेश, प्रदेश में वायु अपरदन से सर्वाधिक प्रभावित है।
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