छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आरंग विकासखंड के अंतर्गत चंद्रखुरी नामक एक छोटे से गांव में कौशल्या माता का मंदिर स्थित है। इस जगह को कौशल्या का जन्म स्थान माना जाता है। यह मंदिर रायपुर से लगभग 27 किमी की दूरी पर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि कौशल्या माता का यह मंदिर स्वयं प्रकट हुआ है। कहते हैं कि देशभर में कौशल्या माता का यह एकमात्र मंदिर है। यह मंदिर लगभग 300 साल पुराना है और इसका निर्माण चंद्रवंशी राजाओं के द्वारा किया गया। बाद में इसका पुनर्निर्माण किया गया।
यहां पर सुषैण वैद्य की समाधि भी है। लक्ष्मण को जब शक्ति लगी थी तो हनुमान जी सुषैण वैद्य को लंका से लेकर आये थे जिन्होंने लक्ष्मण को ठीक कर दिया। इसके बाद हनुमान जी ने सुषैण वैद्य को लंका में आदरपूर्वक छोड़ दिया। इस बात की सूचना जब रावण को मिली तो रावण ने सुषैण वैद्य को निष्काषित कर दिया। जिसके बाद वे भगवान राम की शरण में आ गए। भगवान राम उनको अपने ननिहाल में ले आये।
नवरात्रि के समय यहां पर माँ कौशल्या उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है जहां आपको भारी संख्या में भीड़ देखने को मिल जाती है। कौशल्या माता का यह मंदिर अत्यंत प्राचीन है। ऐसा माना जाता है कि यहां स्थित माता कौशल्या की मूर्ति खुद ही तालाब से प्रकट हुई थी जिसके बाद मूर्ति को यहां पर स्थापित किया गया। जिस मूर्ति को स्थापित किया गया उस मूर्ति में माता कौशल्या की गोद में भगवान राम भी विराजे हुए हैं। इनके दर्शन के लिए दूर दूर से भक्त यहां पर आते हैं।
माता कौशल्या का यह मंदिर जलसेन तालाब के मध्य में स्थित है और यह सात तालाबों से घिरा हुआ है। जलसेन तालाब लगभग 16 एकड़ क्षेत्र में विस्तृत है। मंदिर प्रांगण में ही एक पेड़ है जहां पर लोग श्रीफल के साथ अपनी मनोकामनाएं चिट्ठी में लिखकर बांधते हैं और मनोकामना पूरी होने का इन्तजार करते हैं। मन्नत पूरी होने पर वे माता कौशल्या और श्री राम के दर्शन करने के लिए यहां वापिस आते हैं।
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