हरिवंश राय बच्चन का जीवन परिचय | Harivansh Rai Bachchan Biography in Hindi

हरिवंश राय श्रीवास्तव उर्फ़ बच्चन 20वी सदी के नयी कविताओ के एक विख्यात भारतीय कवि और हिंदी के लेखक थे। ऐसा कहा जाता है कि इनकी कविताओं के द्वारा ही भारतीय साहित्य में परिवर्तन आया था और इनके द्वारा लिखी गयी कविताएं जिस शैली में लिखी गयी थी

वह पूर्व कवियों की शैलियों से अलग थी, यही कारण है कि इन्हें नयी सदी का रचियता भी कहा जाता है। इनकी रचनाओं ने भारत के काव्य में नयी धारा का संचार किया। हांलाकि हरिवंशराय बच्चन अब हमारे बीच मौजूद नहीं हैं लेकिन उनकी कविताओं के द्वारा आज भी उनके जीवित होने का एहसास होता है। उनकी कविताएं वास्तविकता का दर्पण हैं जिनमे जीवन की सच्चाई का अनूठा विवरण देखने को मिलता है।

हरिवंश राय बच्चन का जीवन परिचय संक्षिप्त में (Harivansh Rai Bachchan Biography in Hindi)

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पूरा नामहरिवंश राय श्रीवास्तव उर्फ़ बच्चन
जन्म27 नवम्बर 1907
जन्मस्थान बाबुपत्ति गाव ( प्रतापगढ़)
पिताप्रताप नारायण श्रीवास्तव
मातासरस्वती देवी
विवाहश्यामा बच्चन, उनके मृत्यु के बाद तेजी बच्चन से विवाह
सन्तानअमिताभ और अजिताभ
सम्मानसाहित्य अकादमी पुरस्कार, सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार, कमल पुरस्कार, सरस्वती सम्मान
आत्मकथा / रचनावलीक्या भूलूँ क्या याद करूँ, नीड़ का निर्माण फिर, बसेरे से दूर, दशद्वार से सोपान तक, बच्चन रचनावली (नौ खंड)
निधन18 जनवरी 2003, मुंबई (महाराष्ट्र)

हरिवंश राय बच्चन का प्रारम्भिक जीवन

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उनका जन्म प्रतापगढ़ जिले के बाबुपत्ति गाव में श्रीवास्तव कायस्थ परिवार में हुआ, वे हिंदी कवि सम्मलेन के विख्यात कवि थे। ऊनकी सबसे प्रसिद्ध कृति “मधुशाला” है। और वे भारतीय सिनेमा के विख्यात अभिनेता, अमिताभ बच्चन के पिता भी है।

अल्लाहाबाद के कायस्थ परिवार में जन्म लिए हरिवंश राय बच्चन के पूर्वज बाबु पत्ति, रानीगंज तहसील से थे जो प्रतापगढ़ (उ.प्र.) जिले में आता है। वे प्रताप नारायण श्रीवास्तव और सरस्वती देवी के बड़े बेटे थे। उन्हें बच्चन के नाम से जाना जाता था। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा जिल्हा परिषद स्कूल से पूर्ण की और अपने परिवार की प्रथा को ही आगे चालू रखते हुए कायस्थ पाठशाला में उर्दू की शिक्षा ली।

बाद में अल्लाहाबाद विद्यापीठ और बनारस हिन्दू विद्यापीठ से अपनी शिक्षा पूर्ण की। इन सब के चलते हुए वे महात्मा गाँधी के साथ भारत के स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए। अल्लाहाबाद विद्यालय से उन्हें 42 मेम्बरों की सूचि में “भूतकाल का गर्वि छात्र” का सम्मान दिया गया था।

1955 में, हरिवंशराय बच्चन दिल्ली में एक्सटर्नल विभाग में शामिल हुए जहा उन्होंने बहुत सालो तक सेवा की और हिंदी भाषा के विकास में भी जुड़े। उन्होंने अपने कई लेखो द्वारा हिंदी भाषा को प्रध्यान्य भी दिया। एक कवि की तरह वो अपनी कविता मधुशाला के लिए प्रसिद्ध है। ओमर खय्याम की ही तरह उन्होंने भी शेकस्पिअर मैकबेथ और ऑथेलो और भगवत गीता के हिंदी अनुवाद के लिए हमेशा याद किये जायेंगे। इसी तरह नवम्बर 1984 में उन्होंने अपनी आखिरी कविता लिखी “एक नवम्बर 1984” जो इंदिरा गांधी हत्या पर आधारित थी।

1966 में हरिवंशराय बच्चन का भारतीय राज्य सभा के लिए नाम निर्देशित हुआ और इसके तीन साल बाद ही सरकार ने उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया। 1976 में, उन्हें उनके हिंदी लेखन ने प्रेरणादायक कार्य के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

हरिवंशराय बच्चन का विद्यार्थी जीवन (Harivansh rai Bachchan student life)

उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा जिल्हा परिषद स्कूल से पूर्ण की और अपने परिवार की प्रथा को ही आगे चालू रखते हुए कायस्थ पाठशाला में उर्दू की शिक्षा ली। और बाद में अल्लाहाबाद विद्यापीठ और बनारस हिन्दू विद्यापीठ से अपनी शिक्षा पूर्ण की। इन सब के चलते हुए वे महात्मा गांधी के साथ भारत के स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए।

हरिवंश राय बच्चन ने 2 साल सेंट कैथरीन कॉलेज, कैम्ब्रिज में बिताये। वही कैम्ब्रिज विद्यापीठ से अंग्रेजी साहित्य के विख्यात कवि डब्लू.बी. यीट्स की कविताओ पर शोध कर पीएच्.डी पूरी की। और उसी समय से वे अपने नाम के पीछे श्रीवास्तव के जगह बच्चन का उपयोग करने लगे। अंग्रेजी में कैम्ब्रिज विद्यापीठ से पीएच्.डी पूरी करने वाले वे दूसरे भारतीय थे। बाद में भारत वापिस आने के बाद उन्होंने बच्चो को पढाना शुरू किया और आल इंडिया रेडियो, अल्लाहाबाद की सेवा भी की।

हरिवंशराय बच्चन का वैवाहिक जीवन (Harivanshray Bachchan Married Life)

1926 में, 19 साल की आयु में, बच्चन ने उनकी पहली शादी की, उनकी पत्नी का नाम श्यामा था, जो केवल 14 साल की ही थी। और 24 साल की छोटी सी उम्र में ही टी.बी होने के बाद 1936 में उसकी मौत हो गयी। बच्चन ने तेजी बच्चन के साथ 1941 में दूसरी शादी की। और उनको दो बेटे भी हुए, अमिताभ और अजिताभ।

हरिवंश राय बच्चन के पुरस्कार (Harivansh rai Bachchan award)

1976 में, उनके हिंदी भाषा के विकास में अभूतपूर्व योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। और उनके सफल जीवनकथा, क्या भूलू क्या याद रखु, नीदा का निर्मन फिर, बसेरे से दूर और दशद्वार से सोपान तक के लिए सरस्वती सम्मान दिया गया। इसी के साथ उन्हें नेहरू पुरस्कार लोटस पुरस्कार भी मिले है। अगर हम उन के बारे में प्रस्तावना जान्ने की कोशिश करे तो वन उन्होंने बहोत आसान बताई है, मिटटी का तन, मस्ती का मन, क्षण भर जीवन- यही उनका परिचय है।

1976 में, उनके हिंदी भाषा के विकास में अभूतपूर्व योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। और उनके सफल जीवनकथा, क्या भूलू क्या याद रखु, नीदा का निर्मन फिर, बसेरे से दूर और दशद्वार से सोपान तक के लिए सरस्वती सम्मान दिया गया। इसी के साथ उन्हें नेहरू पुरस्कार लोटस पुरस्कार भी मिले है। अगर हम उन के बारे में प्रस्तावना जान्ने की कोशिश करे तो वन उन्होंने बहोत आसान बताई है, मिटटी का तन, मस्ती का मन, क्षण भर जीवन- यही उनका परिचय है।

बच्चन जी की मृत्यु 18 जनवरी 2003 को 96 साल की आयु में बहोत से शारीरिक पुर्जो के ख़राब हो जाने के कारन हुई। और उनकी पत्नी तेजी बच्चन उनके जाने के तक़रीबन 5 साल बाद दिसम्बर 2007 में 93 साल की आयु में भगवान को प्यारी हुई।

हरिवंश राय बच्चन की एक बहु-प्रचलित कविता निश्चित ही आपको एक नयी उर्जा प्रदान करेंगी और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेंगी– “कोशिश करने वालों की…”

हरिवंश राय बच्चन की लोकप्रिय कविता (Harivansh rai Bachchan Famous Poem in Hindi)

लहरों से डरकर नौका कभी पार नहीं होती,
कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती !
नन्ही चीटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है,
मन का विश्वास रगों में साहस भरते जाता है,
चढ़ कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है,
आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती!!

हरिवंश राय बच्चन की “अग्निपथ” (Agnipath Poem By Harivansh Rai Bachchan Lyrics)

वृक्ष हों भले खड़े,
हों घने हों बड़े,
एक पत्र छाँह भी,
माँग मत, माँग मत, माँग मत,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।

तू न थकेगा कभी,
तू न रुकेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।

यह महान दृश्य है,
चल रहा मनुष्य है,
अश्रु श्वेत रक्त से,
लथपथ लथपथ लथपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।

हरिवंश राय बच्चन का कविता संग्रह (Harivansh rai Bachchan Poems in Hindi)

हरिवंश राय बच्चन का कविता संग्रह इस प्रकार है:

तेरा हार, मधुशाला, मधुबाला, मधुकलश, निशा निमंत्रण, एकांत संगीत, आकुल अंतर, सतरंगिनी, हलाहल, बंगाल का अकाल, खादी के फूल, सूत की माला, मिलन यामिनी, प्रणय पत्रिका, धार के इधर उधर, आरती और अंगारे, बुद्ध और नाचघर, त्रिभंगिमा, चार खेमे चौंसठ खूंटे दो चट्टानें बहुत दिन बीते, कटती प्रतिमाओं की आवाज, उभरते प्रतिमानों के रूप, जाल समेटा

हरिवंशराय बच्चन का निधन (Harivansh Rai Bachchan Death)

हरिवंशराय बच्चन का निधन 18 जनवरी 2003 में 95 वर्ष की आयु में मुंबई में हुआ। हरिवंशराय बच्चन जी द्वारा पाठकों और श्रोताओं को अपनी कृतियों के रूप में जो तोहफा दिया है उसको पूरा देश हमेशा याद रखेगा और उनके इस कार्य की सराहना हमेशा की जाएगी। अपनी कृतियों के जरिये वे आज भी जीवित हैं और हमेशा याद किये जाएंगे।

महत्वपूर्ण प्रश्न

हरिवंश राय बच्चन का जन्म कब हुआ?

27 नवम्बर 1907

हरिवंशराय बच्चन का निधन कब हुआ?

18 जनवरी 2003

हरिवंश राय बच्चन की संतानों के नाम क्या हैं?

अमिताभ और अजिताभ

हरिवंश राय बच्चन की अंतिम कविता का नाम क्या है?

मौन और शब्द

यह भी देखें: