Forts in Madhya Pradesh – मध्य प्रदेश के प्रमुख किले निम्नलिखित हैं:
ग्वालियर का किला
- इसे किलों का रत्न, पूर्व का “जिब्राल्टर” कहा जाता है।
- इसका निर्माण कछवाहा वंशी राजा सूरजसेन ने सं 525 ई० में करवाया था।
- ग्वालियर किले के पांच द्वार हैं:
- आगलगीरी/आलमगीरी
- हिंडोला
- गूजरीमहल
- चतुर्भुज मंदिर दरवाजा
- हाथी बाड़ा दरवाजा
- ग्वालियर के किले में निम्न इमारतें महत्वपूर्ण हैं:
- मान मंदिर
- गूजरीमहल
- तेली का मंदिर
- हाथी की विशाल प्रतिमा (तोमर नरेश मानसिंह द्वारा)
- तेली का मंदिर उत्तर भारत में एकमात्र द्रविड़ शैली से निर्मित मंदिर है।
- सास बहु का मंदिर: 11वीं सदी में राजा महिपाल द्वारा निर्मित। इसमें भगवान् सहस्त्रबाहु (विष्णु) की मूर्ति है।
- इस किले की तलहटी में 15वीं शताब्दी के राजा डोंगर सिंह द्वारा बनवाये जैन मंदिर हैं। जिसमे सर्वाधिक ऊंची प्रतिमा जैन तीर्थकर आदिनाथ की है।
- इसी किले में मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा गुरुद्वारा “दाता बंदी छोड़” है।
- ग्वालियर का पुराण नाम गोपांचल है।
- ग्वालियर के किले का निर्माण गालब ऋषि के सम्मान में करवाया गया था।
धार का किला
- इस किले का पुनर्निर्माण 1344 में मुहम्मद बिन तुगलक ने दक्षिण विजय के दौरान देवगिरि जाते समय करवाया था।
- इस किले के अंदर देवी कालका मंदिर का निर्माण परमार नरेश मुंज ने करवाया था।
- इस किले में पेशवा बाजीराव का जन्म हुआ था।
- 1732 में मराठाओं ने अपने अधिकार में ले लिया।
- इसी किले में खरबूजा/खारवाना महल स्थित है।
- अब्दुल शाह चंगश का कम्बरा है।
असीरगढ़ का किला
- बुरहानपुर जिले में अवस्थित
- इसका निर्माण 10वीं शताब्दी में अहीर राजा “आशा” ने करवाया था।
- इसको “दक्षिण का द्वार” बुरहानपुर दर्रा कहा जाता है।
- मुमताज महल की मृत्यु इसी महल में हुई थी।
- इसे अकबर ने सोने की चाबियों से विजित किया था।
चंदेरी का किला
- मुगांवली (अशोक नगर) में अवस्थित
- चंदेरी के किले का निर्माण प्रतिहार वंश के राजा कीर्तिपाल (11वीं सदी) द्वारा करवाया गया था।
- यह बेतवा नदी के किनारे स्थित है।
- चंदेरी के किले में निम्न मशहूर इमारतें हैं:
- हवा महल
- जौहरा कुंड
- नौखण्डा महल
- खूनी दरवाजा
- जौहर कुंड (1528) में बाबर के आक्रमण के समय 300 राजपूत रानियों ने प्रज्वलित अग्नि में प्राण दिए थे।
- इस समय यहां का शासक मेदनीराय था।
- वर्तमान में चंदेरी हाथ से बानी सीड़ियों के लिए प्रसिद्द है।
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गिन्नौरगढ़ का दुर्ग
- जिला: रायसेन
- इस दुर्ग का निर्माण 13वीं शताब्दी में महाराजा उदय वर्मन ने अशर्फी पहाड़ी पर करवाया था।
- यह क्षेत्र “शुक क्षेत्र” कहा जाता है क्योकि इस क्षेत्र में तोते बहुतायत में पाए जाते हैं।
- इसे ‘तोते’ का किला भी कहा जाता है।
रायसेन का दुर्ग
- इस दुर्ग का निर्माण 16वीं शताब्दी में राजा “राजबसंती” ने करवाया था।
- इस दुर्ग में निम्नलिखित इमारतें हैं:
- बादल महल
- गजारोहित महल
- इत्रदार महल
- इस किले में चार तालाब हैं जिसमे से ‘शेषग्राही तालाब’ अत्यधिक प्रसिद्द है।
बांधवगढ़ का किला
- जिला: उमरिया
- 14वीं शताब्दी में बघेलखण्ड के राजा व्याघ्र देव द्वारा निर्मित है।
- यह दक्षिण पूर्व रेलमार्ग के कटनी बिलासपुर मार्ग पर स्थित है।
- यहां शेषाशाही तालाब व विष्णु का मंदिर अवस्थित है।
- बांधवगढ़ राष्ट्रीय पार्क में अवस्थित।
- यह किला विंध्यांचल पर्वतमाला पर 900 मी० की ऊंचाई पर स्थित है।
- 16वीं शताब्दी में बघेलखण्ड के राजा विक्रमादित्य ने अपनी राजधानी बांधवगढ़ से रीवा स्थानांतरित की।
अजयगढ़ का किला
- जिला: पन्ना
- निर्माण: राजा अजयपाल द्वारा
- यह किला बारीक पत्त्थरों की नक्काशी के लिए प्रसिद्द है।
- इस किले में राजा अमन का महल स्थित है।
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ओरछा का किला
- जिला: टीकमगढ़
- निर्माण: बुंदेलवंशी राजा ‘वीरसिंह बुंदेला’ द्वारा
- यह दुर्ग बेतवा नदी के किनारे स्थित है।
- इस दुर्ग में निम्न मंदिर हैं:
- चतुर्भुज मंदिर
- राम मंदिर
- लक्ष्मीनारायण मंदिर
- जहांगीर महल का निर्माण वीरसिंह बुंदेला ने करवाया था।
मंडला का दुर्ग
- जिला: मंडला
- यह दुर्ग बंजर एवं नर्मदा नदी के संगम पर स्थित है।
- इसका निर्माण ‘गौंड नरेश नरेन्द्रशाह’ ने करवाया था
- मंडला जिले में राजराजेश्वरी भवन का निर्माण निजामशाह ने करवाया था।
मदसौर का किला
- इसका निर्माण 14वीं शताब्दी में अलाउद्दीन खिलजी ने करवाया था।
- यहां पर 500 वर्ष पुराना तापेश्वर मंदिर स्थित है।
नरवर का किला
- जिला: शिवपुरी
- निर्माण: राजा नल द्वारा
- यह किला राजा नल एवं दमयंती की प्रणय कथा के लिए प्रसिद्द है।
- यह क्षेत्र कछवाहा, तोमर और जयपुर के राजघराने के लिए प्रसिद्द है।