दादा साहेब फाल्के पुरस्कार भारत सरकार के द्वारा हर वर्ष दिया जाता है। यह पुरस्कार भारतीय सिनेमा में अपना अहम योगदान देने वाली हस्तियों को दिया जाता है। यह सिनेमा के क्षेत्र में भारत का सर्वोच्च पुरस्कार है जिसे प्रतिवर्ष राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में दिया जाता है।
दादा साहब फाल्के, जिन्हें भारतीय सिनेमा का पितामह कह जाता है, के नाम पर सिनेमा जगत का यह सर्वोच्च पुरस्कार दिया जाता है। यह केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा स्थापित संगठन फिल्म महोत्सव निदेशालय द्वारा राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में प्रतिवर्ष प्रस्तुत किया जाता है।
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दादा साहेब फाल्के कौन थे?
दादा साहेब फाल्के (Dada Saheb Phalke) भारतीय सिनेमा के पितामह के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने 1913 में भारत की पहली फुल लेंथ फीचर फिल्म “राजा हरिश्चन्द्र” का निर्माण किया, जिसका बजट लगभग 15 हजार रूपये था।
दादा साहेब फाल्के का जन्म 30 अप्रैल 1870 को नासिक के निकट त्र्यंबकेश्वर में हुआ था। वह सर जे. जे. स्कूल ऑफ आर्ट से प्रशिक्षित सृजनशील कलाकार थे।
दादा साहेब का असली नाम “धुन्दीराज गोविंद फाल्के” था। वो सिर्फ एक निर्देशक ही नहीं बल्कि एक जाने माने निर्माता और स्क्रीन राइटर भी थे। उन्होंने 19 साल के अपने फिल्मी करियर में 95 फिल्में और 27 शॉर्ट फिल्में बनाई थीं।
उनकी आखिरी मूक फिल्म ‘सेतुबंधन’ थी। दादा साहेब ने 16 फरवरी 1944 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। भारतीय सिनेमा में दादा साहब के ऐतिहासिक योगदान के चलते 1969 से भारत सरकार द्वारा उनके सम्मान में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार की शुरुआत की गई।
दादा साहब फाल्के पुरस्कार भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च और प्रतिष्ठित पुरस्कार माना जाता है।
दादा साहेब फाल्के की प्रमुख फ़िल्में
- राजा हरिश्चंद्र (1913)
- मोहिनी भस्मासुर (1913)
- सावित्री सत्यवान (1914)
- लंका दहन (1917)
- श्री कृष्ण जन्म (1918)
- कालिया मर्दन (1919)
- कंस वध (1920)
- शकुंतला (1920)
- संत तुकाराम (1921)
- भक्त गोरा (1923)
- भक्त प्रहलाद (1926)
- भक्त सुदामा (1927)
- हनुमान जन्म (1927)
- सेतु बंधन (1932)
- गंगावतरण (1937)
दादा साहेब फाल्के पुरस्कार और दादा साहब फाल्के फिल्म फाउंडेशन अवॉर्ड में अंतर
सरकार द्वारा दिया जाने वाला दादा साहब फाल्के पुरस्कार भारतीय सिनेमा का सबसे बड़ा पुरस्कार माना जाता है। इसकी शुरुआत 1969 से हुई थी। यह पुरस्कार भारतीय फिल्म जगत के जनक कहे जाने वाले दादा साहब फाल्के के नाम पर शुरू हुआ था।
सिनेमा में आजीवन अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वालों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है, जो कि हर साल किसी एक व्यक्ति को ही दिया जाता है।
जबकि दादा साहब फाल्के फाउंडेशन अवॉर्ड एक ट्रस्ट के ज़रिए दिया जाता है, जो कि दादा साहब फाल्के पुरस्कार से बिलकुल अलग पुरस्कार है। फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ी हुई बहुत सी कैटेगरी में यह फाउंडेशन अवॉर्ड दिए जाते हैं। इसमें एक्टर से लेकर मेकअप आर्टिस्ट तक की कैटेगरी भी शामिल होती है।
इसके अलावा इससे मिलते जुलते नाम दादा साहेब फाल्के एक्सलेन्स अवार्ड भी सिनेमा के जगत में ही दिया जाता है।
दादा साहेब फाल्के पुरस्कार किस क्षेत्र में दिया जाता है?
दादा साहेब फाल्के पुरस्कार सिनेमा के क्षेत्र में दिया जाने वाला भारत के फ़िल्मी जगत का सर्वोच्च पुरस्कार है जिसे प्रतिवर्ष राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में दिया जाता है। जो भारतीय सिनेमा में आजीवन योगदान के लिए भारत के केंद्र सरकार की ओर से दिया जाता है।
दादा साहेब फाल्के पुरस्कार सर्वप्रथम कब दिया गया?
श्रीमती देविका रानी रोरिक को वर्ष 1969 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार दिया गया था। उस वर्ष 1969 में राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार के लिए आयोजित 17वें समारोह में पहली बार यह सम्मान अभिनेत्री देविका रानी को प्रदान किया गया।
देविका रानी विख्यात कवि श्री रवीन्द्रनाथ टैगोर के वंश से सम्बंधित थीं, श्री टैगोर उनके चचेरे परदादा थे। देविका रानी के पिता कर्नल एम॰एन॰ चौधरी मद्रास (अब चेन्नई) के पहले ‘सर्जन जनरल’ थे। उनकी माता का नाम श्रीमती लीला चौधरी था।
देविका रानी की प्रमुख फिल्में
वर्ष | फ़िल्म |
---|---|
1943 | हमारी बात |
1941 | अंजान |
1937 | सावित्री |
1937 | इज़्ज़त |
1936 | अछूत कन्या |
1936 | जन्मभूमि |
1936 | जीवन नैया |
दादा साहेब फाल्के पुरस्कार क्यों दिया जाता है?
वर्ष 1969 में भारतीय सिनेमा की ओर फाल्के के अभूतपूर्व योगदान के सम्मान में दादा साहब फाल्के पुरस्कार शुरु हुआ। भारतीय सिनेमा के विकास में योगदान देने वाले फिल्मी हस्तियों को सम्मानित करने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा 1969 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार का शुभारम्भ किया गया था। यह पुरस्कार भारतीय सिनेमा के विकास में उत्कृष्ट योगदान देने वाले व्यक्तियों को दिया जाता है।
दादा साहेब फाल्के पुरस्कार में कितनी राशि दी जाती है?
सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह के मौके पर दादासाहेब फाल्के पुरस्कार दिया जाता है। इस पुरस्कार में एक स्वर्ण कमल पदक, एक शॉल और 10 लाख रुपए दिए जाते हैं।
दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित हस्तियों की सूची
दादा साहेब फाल्के पुरस्कार विजेता | कलाक्षेत्र | संबंधित भाषा | वर्ष |
---|---|---|---|
देविका रानी | अभिनेत्री | हिन्दी | 1969 |
बीरेंद्रनाथ सरकार | निर्माता | बंगाली | 1970 |
पृथ्वीराज कपूर ( मरणोपरांत ) | अभिनेता | हिन्दी | 1971 |
पंकज मलिक | संगीतकार | बंगाली, हिंदी | 1972 |
रूबी मेयर्स ( सुलोचना ) | अभिनेत्री | हिन्दी | 1973 |
बोम्मीरेड्डी नरसिम्हा रेड्डी | निर्देशक | तेलुगु | 1974 |
धीरेंद्रनाथ गांगुली | अभिनेता, निर्देशक | बंगाली | 1975 |
कानन देवी | अभिनेत्री | बंगाली | 1976 |
नितिन बोस | छायाकार, निर्देशक, लेखक | बंगाली, हिंदी | 1977 |
रायचंद बोराल | संगीतकार, निर्देशक | बंगाली, हिंदी | 1978 |
सोहराब मोदी | अभिनेता, निर्देशक, निर्माता | हिन्दी | 1979 |
पी. जयराज | अभिनेता, निर्देशक | हिन्दी, तेलुगु | 1980 |
नौशाद अली | संगीतकार | हिन्दी | 1981 |
एल. वी. प्रसाद | अभिनेता, निर्माता, निर्देशक | तेलुगु, तमिल, हिंदी | 1982 |
दुर्गा खोटे | अभिनेत्री | हिंदी, मराठी | 1983 |
सत्यजीत रे | निर्देशक | बंगाली | 1984 |
वी. शांताराम | अभिनेता, निर्माता, निर्देशक | हिंदी, मराठी | 1985 |
बी. नागि रेड्डी | निर्माता | तेलुगु | 1986 |
राज कपूर | अभिनेता, निर्देशक | हिन्दी | 1987 |
अशोक कुमार | अभिनेता | हिन्दी | 1988 |
लता मंगेशकर | पार्श्वगायिका | हिन्दी, मराठी | 1989 |
अक्किननी नागेश्वर राव | अभिनेता | तेलुगु | 1990 |
भालजी पेंढारकर | निर्देशक, निर्माता, लेखक | मराठी | 1991 |
भूपेन हजारिका | पार्श्वगायक | आसामी | 1992 |
मजरूह सुल्तानपुरी | गीतकार | हिन्दी | 1993 |
दिलीप कुमार | अभिनेता | हिन्दी | 1994 |
डॉ. राजकुमार | अभिनेता | कन्नड़ | 1995 |
शिवाजी गणेशन | अभिनेता | तमिल | 1996 |
कवि प्रदीप | गीतकार | हिन्दी | 1997 |
बलदेव राज चोपड़ा | निर्माता, निर्देशक | हिन्दी | 1998 |
ऋषिकेश मुखर्जी | निर्देशक | हिन्दी | 1999 |
आशा भोसले | पार्श्वगायिका | हिन्दी, मराठी | 2000 |
यश चोपड़ा | निर्माता, निर्देशक | हिन्दी | 2001 |
देव आनंद | अभिनेता, निर्माता, निर्देशक | हिन्दी | 2002 |
मृणाल सेन | निर्देशक | बंगाली | 2003 |
अडूर गोपालकृष्णन | निर्देशक | मलयाली | 2004 |
श्याम बेनेगल | निर्देशक | हिन्दी | 2005 |
तपन सिन्हा | निर्देशक | बंगाली, हिंदी | 2006 |
मन्ना डे | गायक | बंगाली, हिंदी | 2007 |
वी. के. मूर्ति | छायाकार | हिन्दी | 2008 |
डी. रामानायडू | निर्माता, निर्देशक | तेलुगु | 2009 |
के. बालाचंदर | निर्देशक | तमिल, तेलुगु | 2010 |
सौमित्र चटर्जी | अभिनेता | बंगाली | 2011 |
प्राण | अभिनेता | हिन्दी | 2012 |
गुलज़ार | गीतकार | हिन्दी | 2013 |
शशि कपूर | अभिनेता | हिन्दी | 2014 |
मनोज कुमार | अभिनेता | हिन्दी | 2015 |
कसीनथुनी विश्वनाथ | निर्देशक | तेलुगु | 2016 |
विनोद खन्ना ( मरणोपरांत ) | अभिनेता | हिन्दी | 2017 |
अमिताभ बच्चन | अभिनेता | हिन्दी | 2018 |
रजनीकांत | अभिनेता | तमिल | 2019 |
रेखा | अभिनेत्री | हिंदी | 2023 |
दादा साहेब फाल्के पुरस्कार 2023 में विजेताओं की लिस्ट
केटेगरी | विजेता |
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बेस्ट फिल्म | द कश्मीर फाइल्स |
फिल्म ऑफ़ द इयर | आर आर आर |
बेस्ट एक्टर | रणबीर कपूर (ब्रह्मास्त्र पार्ट वन: शिवा) |
बेस्ट एक्ट्रेस | आलिया भट्ट (गंगूभाई खटियावाड़ी) |
क्रिटिक्स बेस्ट एक्टर | वरुण धवन (भेड़िया) |
क्रिटिक्स बेस्ट एक्ट्रेस | विद्या बालन (जलसा) |
बेस्ट डायरेक्टर | आर बाल्की (चुप) |
वेस्ट सिनेमेटोग्राफर | पीएस विनोद (विक्रम वेधा) |
मोस्ट प्रोमिसिंग एक्टर | ऋषभ शेट्टी (कंटारा) |
बेस्ट एक्टर इन अ सपोर्टिंग रोल | मनीष पॉल (जुगजुग जियो) |
बेस्ट प्लेबैक सिंगर (मेल ) | सचेत टंडन (मैय्या मैनू – जर्सी) |
बेस्ट प्लेबैक सिंगर (फीमेल) | नीति मोहन (मेरी जान – गंगूभाई खटियावाड़ी) |
बेस्ट वेब सीरीज | रूद्र : द एज ऑफ़ डार्कनेस (हिंदी ) |
मोस्ट वर्सटाइल एक्टर | अनुपम खेर (द कश्मीर फाइल्स) |
टेलीविज़न सीरीज ऑफ़ द इयर | अनुपमा |
बेस्ट एक्टर इन अ टेलीविज़न सीरीज | फना के लिए ज़ैन इमाम (इश्क में मरजावां) |
बेस्ट एक्ट्रेस इन अ टेलीविज़न सीरीज | तेजस्वी प्रकाश (नागिन) |
दादा साहेब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल अवार्ड्स 2023 फॉर आउटस्टैंडिंग कॉन्ट्रिब्यूशन इन द फिल्म इंडस्ट्री | रेखा |
दादा साहेब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल अवार्ड्स 2023 फॉर आउटस्टैंडिंग कॉन्ट्रिब्यूशन इन द म्यूजिक इंडस्ट्री | हरिहरन |
51वें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार विजेता रजनीकांत
रजनीकांत एक प्रतिष्ठित अभिनेता हैं जिन्होंने पचास वर्षों से भारतीयों के दिलों पर राज किया है। 51वें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार के रूप में दिग्गज अभिनेता श्री रजनीकांत को यह पुरस्कार दिया जायेगा। बतौर एक्टर, प्रोड्यूसर और स्क्रीनराइटर उनका योगदान आइकॉनिक रहा है। इसे 3 मई को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों के साथ प्रस्तुत किया जाएगा।
रजनीकांत का असली नाम शिवाजी है, जिनका जन्म 12 दिसंबर 1950 को बेंगलुरू में एक मराठी परिवार में हुआ था। रजनीकांत की पहली तमिल फिल्म ‘अपूर्वा रागनगाल’ थी। उन्होंने सन 1978 में लीड रोल में पहली तमिल फिल्म ‘भैरवी’ में शानदार अभिनय किया, जिसको दर्शकों के द्वारा काफी पसंद किया गया।
रजनीकांत को 2014 में 6 तमिलनाड़ु स्टेट फिल्म अवॉर्ड्स से सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा उनको साल 2000 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था।
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