राष्ट्रीय मतदाता दिवस (National Voters Day) 25 जनवरी को मनाया जाता है जो कि भारत निर्वाचन आयोग के स्थापना दिवस के दिन मनाया जाता है। सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार को पूर्ण वास्तविकता बनाने हेतु मतदाताओं के पंजीकरण में वृद्धि करने के उद्धेश्य के साथ, राष्ट्रीय मतदाता दिवस देशभर में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है।
यह युवा पीढ़ी को एक ज़िम्मेदार नागरिक के भाव का बोध कराने के साथ-साथ उन्हें नव मताधिकार का प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित करता है। भारत निर्वाचन आयोग, राष्ट्रीय मतदाता दिवस महोत्सव के एक भाग के रूप में पूरे भारत में सात लाख से ज्यादा मतदान केंद्रों सबडिवीजनल / डिवीजनल / जिलों / राज्य मुख्यालयों में सभी नए योग्य पंजीकृत मतदाताओं को सम्मानित करता है।
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राष्ट्रीय मतदाता दिवस 2023 कब है? (Rashtriya Matdata Diwas)
राष्ट्रीय मतदाता दिवस (National Voters’ Day 2023 in India) 2023 में बुद्धवार 25 जनवरी को है। भारत का लोकतंत्र दुनिया में सबसे मजबूत लोकतंत्र है। देश के मतदाता ग्राम प्रधान, पार्षद से लगाए विधायक एवं सांसद का चुनाव करते हैं और यही विधायक और सांसद प्रदेश एवं देश के मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री बनते हैं।
राष्ट्रीय मतदाता दिवस 2023 थीम
राष्ट्रीय मतदाता दिवस 2023 की थीम है ‘मजबूत लोकतंत्र के लिए चुनावी साक्षरता’। इस राष्ट्रीय मतदाता दिवस पर आपको यह कोशिश करनी चाहिए कि देश के नागरिक के रूप में अपनी जिम्मेदारियों के प्रति ईमानदार रहें।
कब से शुरू हुआ मतदाता दिवस?
राष्ट्रीय मतदाता दिवस का आयोजन 25 जनवरी 2011 से शुरू हुआ था। इस दिन तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने ‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस’ का शुभारंभ किया। इस आयोजन के दो प्रमुख विषय थे, ‘समावेशी और गुणात्मक भागीदारी’। जिसका उद्देश्य लोगों की मतदान में अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित करने के साथ-साथ मतदाताओं को एक अच्छी साफ-सुथरी छवि का प्रतिनिधि चुनने के लिए मतदान के लिए जागरूक करना है।
राष्ट्रीय मतदाता दिवस थीम (Rashtriya Matdata Diwas Theme)
- राष्ट्रीय मतदाता दिवस थीम 2021: ‘मतदाताओं को सशक्त, सचेत, सुरक्षित और जागरूक बनाना’ (Making Our Voters Empowered, Vigilant, Safe and Informed)
- राष्ट्रीय मतदाता दिवस थीम 2020: “Electoral Literacy for a Stronger Democracy”
- राष्ट्रीय मतदाता दिवस थीम 2019: “No Voter to be left behind”
- राष्ट्रीय मतदाता दिवस थीम 2018: “Accessible Elections”
- राष्ट्रीय मतदाता दिवस थीम 2017: “Empowering Young and Future Voters”
- राष्ट्रीय मतदाता दिवस थीम 2016: “Inclusive and qualitative participation”
- राष्ट्रीय मतदाता दिवस थीम 2015: “Easy Registration, Easy Correction”
राष्ट्रीय मतदाता दिवस क्यों मनाया जाता है?
राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाये जाने का उद्देश्य मतदाताओं के पंजीकरण में वृद्धि करना, विशेषकर युवा मतदाताओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करना और सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार सुनिश्चित करना है। इसके माध्यम से युवाओं में जागरूकता फैलाई जाती है ताकि वे एक जिम्मेदार व्यक्ति को अपना वोट दे सकें और देश के विकास में भाग ले सकें। मतदाता के पास वह ताकत होती है कि वह सरकार बना भी सकता है और बदल भी सकता है, इसलिए कभी भी एक अदद वोट की ताकत को कम नहीं आंकना चाहिये।
राष्ट्रीय मतदाता दिवस कैसे मनाया जाता है?
- राष्ट्रीय मतदाता दिवस की एक थीम होती है जो हर साल अलग अलग रखी जाती है, जिसका उद्देश्य मतदाताओं को जागरूक करना होता है।
- इस दिन नेशनल अवॉर्ड से चुनाव प्रक्रिया में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले लोगों को सम्मानित किया जाता है।
- वोटर्स डे के दिन भाषण प्रतियोगिता, हस्ताक्षर अभियान, नए वोटर्स को वोटर आईडी वितरण, वोटर्स की फोटोग्राफी आयोजन होते हैं
- देश में मतदान योग्य वयस्कों का पता लगाने, वोटर्स को चिन्हित करने के लिए, वोटर संख्या पता करने के लिए, वोटिंग को बढ़ावा देने के लिए भी मतदाता दिवस मनाया जाता है
भारत में कौन वोट दे सकता है?
- भारत के संविधान के मुताबिक, जो भारत का नागरिक है और जिसकी उम्र 18 साल या उससे ज्यादा है. बिना किसी भेदभाव या सिटीजनशिप एक्ट के तहत इन लोगों को वोटिंग अधिकार दिया जाता है
- जिन एनआरआई (NRI) के पास इंडियन पासपोर्ट होता है, उन्हें भी वोट देने का अधिकार होता है
- 18 साल का होने पर वह सभी प्रकार के लोकतांत्रिक चुनावों में वोट डाल सकता है
- हमारे लोकतंत्र को विश्व में इतना मजबूत बनाने के लिए मतदाताओं के साथ-साथ भारत देश के निर्वाचन आयोग का भी अहम् योगदान है
Frequently Asked Questions (FAQs)
निर्वाचक नामावली में नाम लिखवाने के लिए न्यूनतम आयु क्या है?
संविधान के अनुच्छेद 326 और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 19 के अनुसार निर्वाचक नामावली में नाम लिखवाने के लिए न्यूनतम आयु 18 साल है।
18 साल की आयु योग्यता को निश्चित करने के लिए प्रासंगिक तारीख कौन सी है?
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 14 (ख) के अनुसार “अर्हता की तारीख” का अर्थ है उस साल के जनवरी माह का पहला दिन जिस साल में निर्वाचक नामावली अन्तिम रूप से प्रकाशित की जाती है।
क्या ऐसा व्यक्ति जो भारत का नागरिक नहीं है मतदाता बन सकता है?
नहीं। कोई व्यक्ति, जो भारत का नागरिक नहीं है, मतदाता के रूप में रजिस्ट्रीकृत नहीं हो सकता है।
क्या एक अनिवासी भारतीय नागरिक मतदाता बन सकता है?
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 19 के अनुसार कोई व्यक्ति जो किसी निर्वाचन क्षेत्र का मामूली तौर पर निवासी है उस निर्वाचन क्षेत्र की निर्वाचक नामावली में रजिस्ट्रीकृत होने का हकदार होगा।
तो भी ऐसे अनिवासी भारतीय नागरिक जो भारत सरकार के अधीन किसी पद पर भारत के बाहर नियुक्त हैं, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 20(3) के साथ पठित धारा 20(8)(घ) के अनुसार मतदाता के रूप में रजिस्ट्रीकृत होने के पात्र हैं।
क्या कोई अपना नाम एक से अधिक स्थानों पर निर्वाचक नामावली में लिखा सकता है?
नहीं, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 17 और 18 के प्रावधानों के अनुसार कोई व्यक्ति उसी निर्वाचन-क्षेत्र में एक से अधिक स्थानों में अथवा एक से अधिक निर्वाचन-क्षेत्र में रजिस्ट्रीकृत नहीं हो सकता।
संसदीय अथवा विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र की निर्वाचक नामावलियाँ तैयार करने का जवाबदायित्व किसका है?
निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण ऑफिसर का. दिल्ली के मामले में ये क्षेत्रीय उपप्रभागी मजिस्ट्रेट/अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी होते हैं।
निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण आफिसर की नियुक्ति कौन करता है?
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 13 ख के अधीन भारत निर्वाचन आयोग राज्य/संघ राज्य क्षेत्र की सरकार के परामर्श से सरकार अथवा स्थानीय प्राधिकरण के किसी अधिकारी का निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण आफिसर के रूप में नियुक्त करता है.
इसके अतिरिक्त भारत निर्वाचन आयोग निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण आफिसर की निर्वाचक नामावलियों की तैयारी/पुनरीक्षण के कार्यों में सहायता देने के लिए एक या अधिक सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण आफिसर नियुक्त करता है।
यह भी देखें
भारत के स्वतंत्रता दिवस पर भाषण (Independence Day Speech in Hindi)