Computer Generations – कंम्यूटर के कालचक्र को अलग-अलग पीढियों में बाँटा गया है, जो इस प्रकार है :-
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पहली पीढ़ी के कम्प्यूटर (First Generation Computers) (1942 – 1955)
प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटरों में वैक्यूम ट्यूब (Vacuum tube) या निर्वात ट्यूब का प्रयोग होता था। वैक्यूम ट्यूब का आकार बडा होने के कारण प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटरों का आकार बड़ा होता था। शुरूआत में इनमें मशीनी भाषा (Machine language) का प्रयाेग किया जाता था और स्टोरेज के लिये पंच कार्ड (Punch Card) का प्रयोग किया जाता था, इनकी कार्य करने की गति धीमी थी। 1952 में असेम्बली भाषा (Assembly language) के अविष्कार हुआ और प्रोग्राम लिखना आसान हुआ
दूसरी पीढ़ी के कम्प्यूटर (Second Generation Computers) (1955 – 1964)
दूसरी पीढ़ी के कम्प्यूटरों में वैक्यूम ट्यूब (Vacuum tube) की जगह ली ट्रांजिस्टरों ने, ट्रांजिस्टर अर्द्ध चालक धातु से बना होता है ट्रांजिस्टर (Transistor) का आविष्कार 1947 में बेल लेबोरेट्रीज द्वारा किया गया था ट्रांजिस्टर (Transistor) का आकार वैक्यूम ट्यूब (Vacuum tube) से कहीं छोटा था ट्रांजिस्टर (Transistor) के आने से दूसरी पीढ़ी के कम्प्यूटरों छोटा गया वहीं ये Computer अधिक तीव्र गति से कार्य करने में सक्षम थे साथ ही दूसरी पीढ़ी के कम्प्यूटरों में उर्जा की खपत भी बहुत कम होती थी। इसके अलावा पंच कार्ड (Punch Card) के स्थान पर मैग्नेटिक स्टोरेज डिवाइस का प्रयोग किया जाने लगा साथ ही दूसरी पीढ़ी के कम्प्यूटरों में उच्च स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषाओं BASIC, COBOL, FORTRAN आदि का विकास हुआ साथ ही व्यवसाय में कंप्यूटरों का प्रयोग होने लगा
तीसरी पीढ़ी के कम्प्यूटर (Third Generation Computers) (1964 – 1975)
तीसरी पीढ़ी के कम्प्यूटरों में ट्रांजिस्टर (Transistor) के स्थान पर एकीकृत परिपथ (integrated circuit) यानि आईसी का प्रयोग किया जाने लगा शुरूआत मेें SSI (Small Scale Integrator) और बाद मेें MSI (medium Scale Integration) का प्रयोग होने लगा, जिसने कंप्यूटर आकार में छाेटा और कम खर्चीला बना दिया, इन आईसी का आकार छोटा और चपटा था जो आलू के चिप्स जैसा दिखाई देता था तो इन्हेंं चिप नाम से पुुुकारा जाने लगा, हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की अलग-अलग बिक्री होने लगी, टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम (Time Sharing Operating System) का विकास हुआ
Computer ShortCut Keys – कंप्यूटर शॉर्टकट कीज
चौथी पीढ़ी के कम्प्यूटर (Fourth Generation Computers (1975 – 1989)
चौथी पीढ़ी के कम्प्यूटरों में चिप और माइक्रोप्रोसेसर का विकास हुआ और बडे पैमाने पर LSI (Large Scale Integrated Circuits) और VLSI (Very Large Scale Integrated Circuits) का प्रयोग होने लगा, व्यक्तिगत कंप्यूटर (Personal computer) का विकास हुआ, ऑपरेटिंग सिस्टम में ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (Graphical user interface) के आने से कंम्यूटर का प्रयोग बहुत सरल हो गया, माइक्रोसॉफ्ट विंडोज और एप्पल ऑपरेटिंग सिस्टम का विकास हुआ, उच्च स्तरीय भाषा में C language का विकास हुआ
पाचवीं पीढ़ी के कम्प्यूटर (Fifth Generation Computers) (1989 – अब तक)
पांचवी पीढ़ी के के कम्प्यूटरों में USLI (Ultra Large Scale Integrated Circuits) का प्रयोग किया जाने लगा, एक USLI चिप पर 1 करोड इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बनाये जा सकते हैं, ऑप्टिकल डिस्क जैसे सीडी, डीवीडी ने स्टोरेज के क्षेञ में क्रांति ला दी, Internet, ईमेल का विकास हुआ, अब तक जिन कम्प्यूटरों के लिए बड़े-बड़े कमरों की आवश्यकता होती थी वो अब टेबिल पर रखे जाने लगे, ऑपरेटिंग सिस्टम का विकास हुआ, अब तो बडे अाकार के मोनिटर की जगह हल्के फुल्के एईडी ने ले ली है, लोग ऑगमेंटेड रियलिटी और वर्चुअल रियलिटी सोशल मीडीया से रूबरू हुए हैं, साथ कृत्रिम बुद्धि (Artificial intelligence) पर काम चल रहा है जीवन का शायद ही ऐसा कोई क्षेत्र बचा है जहां कि कम्प्यूटरों प्रयोग नहीं हो रहा हो।