तेनाली रामा की यह कहानी बहुत मशहूर है। राजा कृष्णदेव के उद्यान में बहुत स्वादिष्ट बैंगन उगा करते थे जो राजा को बहुत पसंद थे। वे समय —समय पर उसकी सब्जी बनवाकर खाया करते थे। उन बैंगनों का बहुत ध्यान रखा जाता था और बाग में उनकी पहरेदारी के लिए सिपाही लगाए जाते थे। उन बैंगनों की प्रसिद्धि बहुत दूर—दूर तक फैली हुई थी।
उन बैंगनों की प्रसिद्धि सुनकर तेनाली रामा का पुत्र उसे खाने की जिद करने लगा। तेनाली राम ने अपने पुत्र को बहुत समझाया लेकिन वह नहीं माना। तेनाली राम की पत्नी ने भी तेनाली राम को कहा की वह राजा का मंत्री है और अपने पुत्र को बैंगन की सब्जी भी नहीं खिला सकता है। तेनाली राम ने अपनी पत्नी को भी इसके लिए साफ मना कर दिया। तेनाली राम के एक सेवक ने पति—पत्नी का वार्तालाप सुन लिया।
सेवक को यह बुरा लगा कि उसके स्वामी का पुत्र बैंगन खाना चाहता है लेकिन उसकी इच्छी पूरी नहीं की जा रही है। सेवक ने स्वामी पुत्र की इच्छा पूरी करने का निश्चय किया। एक दिन रात को वह मौका पाकर राजा के उद्यान में घुस गया और बैंगन चुरा लिए। बैंगन चुरा कर वह तेनालीराम की पत्नी के पास पहुंचा और बैंगन उन्हें सौंप दिए।
तेनाली राम की पत्नी ने बैंगन की बहुत स्वादिष्ट सब्जी बनाई। तेनालीराम को जब यह बात पता चली तो वह बहुत क्रोधित हो गये। उन्होंने अपनी पत्नी और सेवक को बहुत डांटा क्योंकि राजा के उद्यान में चोरी की सजा मृत्युदण्ड थी। तेनाली राम ने अपने सेवक को इस संकट से निकालने का एक उपाय किया।
वे छत पर सो रहे अपने बेटे को उठाने गए तो उन्होंने एक जल पात्र से बहुत सारा पानी अपने बेटे पर डाला और उसे बताया कि बाहर बारिश हो रही है और उसे नीचे चलना चाहिए। बालक नीचे पहुंचा तो तेनालीराम ने उसे बैंगन की सब्जी और चावल खाने के लिए दिए ताकि उसकी जिद को पूरी किया जा सके।
इसके बाद उसने अपने बालक को कक्ष में ही सोने के लिए कहा क्योंकि बाहर बारिश हो रही है। अगले दिन राज दरबार में हड़कंप मच गया जब यह पता लगा कि उद्यान से बैंगन चोरी हुए हैं। तुरंत पता लगाया कि किस—किस के घर बैंगन की सब्जी बनी थी। दूसरे मंत्रियों को जब यह पता लगा कि तेनाली राम के घर बैंगन की सब्जी बनी थी तो उन्होंने राजा से कहा कि वह तेनाली राम को बुलाकर पूछताछ करें।
तेनालीराम को बुलाया गया। तेनाली राम ने राजा से कहा कि हो सकता है कि किसी ने महाराज को गलत जानकारी दी है। मेरे घर बैंगन की सब्जी नहीं बनी है। एक दूसरे मंत्री ने कहा कि महाराज तेनाली राम से नहीं उसके पुत्र से पूछिए क्योंकि बच्चे झूठ नहीं बोलते हैं।
तेनाली राम के पुत्र को बुलाया गया तो पुत्र ने कहा कि हां उसने कल रात को बैंगन की स्वादिष्ट सब्जी खाई थी जो राजा के उद्यान से तोड़े गए बैंगन से बनी थी। राजा क्रोधित हो गए तो तेनाली राम ने बताया कि इस बालक के मन में आपके उद्यान में उगे बैंगन की सब्जी खाने की लालसा थी और यह सपने में भी उसी सब्जी के देखता है इसलिए ऐसी बात करता है, कृपया इससे पूरी दिनचर्या पूछी जाए।
जब उससे पूछा गया कि पाठशाला से आने के बाद उसने क्या किया तो बालक ने बताया कि वह घर लौटा, खेला और छत पर ही सो गया। तभी तेज बरसात होने लगी तो मेरे पिता मुझे उठाकर नीचे ले गए और मुझे बैंगन की सब्जी खाने को दी। खाना खाने के बाद भी बरसात नहीं रूकी तो मैं कक्ष में ही सो गया।
राजा को यह पता था कि कल कोई बरसात नहीं हुई थी इसलिए यह बालक सच में अपने सपने के बारे में ही बता रहा था। ऐसे में राजा ने अपने उद्यान से और बैंगन मंगाकर बालक को दिए और तेनाली राम ने अपने सेवक की प्राण रक्षा कर ली।
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