हरियाणा प्रदेश का अधिकतर भाग मैदानी है तथा कृषि की उपज जलवायु और सिंचाई पर निर्भर है । राज्य में पहाड़ी क्षेत्र सीमित हैं और मैदानों की मिट्टी नदियों द्वारा बहाकर लाई मिट्टी है। हरियाणा में मुख्य रूप से तीन प्रकार की मिट्टियां पाई जाती हैं:
जलोढ़ मिट्टी – यह चिकनी मिट्टी तथा रेत के बारीक मिश्रण से बनी उपजाऊ मिट्टी है जो रवि तथा खरीफ दोनों प्रकार की फसलों के लिए उपयोगी है । यह मिट्टी हरियाणा के मैदानी भाग में पाई जाती है । इसका रंग पीला बुरा होता है । इसे यमुना और सरस्वती नदी ने यहां लाकर बिछाया है ।
पथरीली मिट्टी – यह मिट्टी हरियाणा प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती है । यह मिट्टी हमें मोरनी की पहाड़ियों पर देखने को मिलती है ।
रेतीली मिट्टी– इस मिट्टी में उपजाऊ तत्वों की मात्रा कम तथा लवण की मात्रा अधिक होती है । इस मिट्टी में पानी सूखने की क्षमता अधिक होती है ।यह मिट्टी राजस्थान से चलने वाली हवाओं द्वारा हरियाणा प्रदेश में लाई जाती है इस तरह की मिट्टी हरियाणा प्रदेश के दक्षिण पश्चिम भाग में दूर-दूर तक फैली हुई है।
हरियाणा की भूमि को निम्न तीन भागों में बाटाँ जा सकता है-
- पहाड़ी भूमि
- मैदानी भूमि
- रेतीली भूमि
1.) पहाड़ी : – इस क्षेत्र की मिट्टी पथरीली है तथा इस प्रकार की मिट्टी मोरनी की पहाड़ियों पर देखी जा सकती है । प्रदेश के दक्षिणी भाग में अरावली पर्वत की पहाड़ियों उपस्थिति होने के कारण ही यहां पथरीली और रेतीली मिट्टियां पाई जाती हैI प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्र में मिट्टी पतली और कठोर है।
2.) मैदानी :- प्रदेश के मैदानी भाग की मिट्टी उपजाऊ है I यह देखने में भूरे पीले रंग की है I यह मिट्टी यमुना ,सरस्वती आदि नदियों के बहाव के साथ आई है I इस क्षेत्र में अनेक फसलों की पैदावार की जाती है और सबसे उपजाऊ क्षेत्र भी हरियाणा के मैदानी भाग को ही माना जाता है I
3.) रेतीली :- हरियाणा के दक्षिण-पश्चिमी भाग में रेतीली मिट्टी पाई जाती है I इस मिट्टी का रंग हल्का भूरा है यह मिट्टी पड़ोसी राज्य राजस्थान से चलने वाली पवनों के साथ आती है I यह कृषि के लिए अधिक उपजाऊ नहीं मानी जाती है I
यह भी देखें
हरियाणा की भौगोलिक संरचना – Geographical structure of Haryana