गणतंत्र दिवस 2023 | India Republic Day 2023

गणतंत्र दिवस (Republic Day) को भारत में 26 जनवरी को मनाया जाता है जो कि भारत का एक राष्ट्रीय पर्व है। इस दिन हर भारतवासी के मन में देशभक्ति का उत्साह चरम पर होता है। वर्ष 1950 में आज ही के दिन भारत वर्ष संविधान के अधीन आया था।

यह दिन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन वर्ष 1930 में कांग्रेस ने भारत को ‘पूर्ण स्वराज’ दिलाने की घोषणा की थी। जिसके बाद अंग्रेजी हुकूमत के साथ संघर्ष करते हुए साल 1947 को भारत को एक आजाद देश बनाया जा सका था।

इसके बाद हमारे देश को सुचारु रूप से चलाने के लिए संविधान तैयार किया गया जिसे तैयार करने में डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की एक अहम भूमिका रही। हमारे संविधान को तैयार करने में दो वर्ष, ग्यारह महीने और अठारह दिन का वक्त लगा था और 26 नवंबर, सन 1949 को यह बनकर तैयार हुआ था। जिसके बाद 26 जनवरी 1950 में इसे लागू किया गया था।

हमारे गणतंत्र दिवस से सम्बंधित कुछ रोचक बातें इस प्रकार हैं;

  1. राजपथ पर 26 जनवरी की परेड का आयोजन सन 1955 से किया जा रहा है।
  2. 11 जनवरी 1966 को पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी के निधन के कारण इस वर्ष किसी भी मुख्य अतिथि को नहीं बुलाया गया था।
  3. हमारा संविधान विश्व का सबसे बड़ा संविधान है।
  4. इस समारोह का आयोजन भारतीय सेना के वीर सैनिकों को उनकी वीरता के लिए सेना के सर्वोच्च पुरस्कार परमवीर चक्र, अशोक चक्र, कीर्ति चक्र एवं वीर चक्र से सम्मानित करने के लिए किया जाता है।
  5. गणतंत्र दिवस का समापन 29 जनवरी को विजय चौक पर “बीटिंग रिट्रीट” के द्वारा किया जाता है।

गणतंत्र दिवस 2023 कब है? (India Republic Day 2023)

गणतंत्र दिवस, India Republic Day

26 जनवरी 2023 में भारत अपना 74वां गणतंत्र दिवस मनाएगा। इस दिन भारत देश को एक लोकतांत्रिक, संप्रभु और गणतंत्र देश घोषित किया गया, इसलिए लिए हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।

गणतंत्र दिवस (Republic Day) के मौके पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में राजपथ पर खास कार्यक्रम का आयोजन होता है जिसमे आपको परेड के साथ देशभर के अलग-अलग राज्यों की झाकियां देखने को मिलती है। इस दिन राष्ट्रपति द्वारा विशेष सम्मान (अवार्ड्स) जैसे अशोक चक्र और कीर्ति चक्र दिए जाते हैं और बहादुरी पुरस्कार भी दिए जाते हैं।

हर वर्ष इस दिन राष्ट्रपति तिरंगा झंडा फहराते हैं और 21 तोपों की सलामी दी जाती है। यह भारत के तीन राष्ट्रीय अवकाशों में से एक है, अन्य दो स्‍वतन्त्रता दिवस और गांधी जयंती हैं। गणतंत्र दिवस को सभी धर्म जाति और समुदाय के लोग एक साथ मनाते हैं।

इस दिन स्कूल, कॉलेज, सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों में झंडा फहराया जाता है और कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। यह दिन लोगों के लिए बेहद गौरवमयी होता है जिसे हर्षोल्लास से मनाया जाता है।

गणतंत्र दिवस का इतिहास (India Republic Day History)

साल 1929 की दिसंबर में लाहौर में पंडित जावरहलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस का अधिवेशन किया गया था। इस अधिवेशन में प्रस्ताव पारित करते हुए इस बात की घोषणा की गई कि यदि अंग्रेज सरकार द्वारा 26 जनवरी 1930 तक भारत को उपनिवेश (डोमीनियन) का दर्जा नहीं दिया गया तो भारत को पूर्ण रूप से स्‍वतंत्र देश घोषित कर दिया जाएगा।

26 जनवरी 1930 तक जब अंग्रेज सरकार द्वारा ऐसा कुछ भी नहीं किया गया तब कांग्रेस ने राष्ट्र को स्वतंत्र बनाने की पहल करते हुए भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के निश्चय की घोषणा की और अपना सक्रिय आंदोलन आरंभ किया।

उस दिन से 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त होने तक 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता रहा। इसके बाद 15 अगस्त 1947 को वास्तविक स्वतंत्रा प्राप्त करने के बाद इस दिन स्वतंत्रता दिवस मनाया जाने लगा।

भारत के आज़ाद हो जाने के बाद संविधान सभा की घोषणा हुई और इसने अपना कार्य 9 दिसम्बर 1947 से शुरू किया। संविधान सभा के सदस्य भारत के राज्यों की सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा चुने गए थे।

डॉ० भीमराव आंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि इस सभा के प्रमुख सदस्य थे। संविधान निर्माण में कुल 22 समितीयां थी, जिसमें प्रारूप समिति (ड्राफ्टींग कमेटी) सबसे प्रमुख और महत्त्वपूर्ण समिति थी और इस समिति का कार्य संपूर्ण ‘संविधान लिखना’ या ‘निर्माण करना’ था।

प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ। भीमराव आंबेडकर थे। प्रारूप समिति ने और उसमें विशेष रूप से डॉ। आंबेडकर ने 2 साल, 11 महीने और 18 दिन में भारतीय संविधान का निर्माण किया और संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ। राजेन्द्र प्रसाद को 26 नवंबर 1949 को भारत का संविधान सुपूर्द किया।

जिसके बाद अनेक सुधारों और बदलावों के बाद सभा के 308 सदस्यों ने 24 जनवरी 1950 को संविधान की दो हस्तलिखित कॉपियों पर हस्ताक्षर किए। इसके दो दिन बाद संविधान 26 जनवरी को देश भर में लागू हो गया।

26 जनवरी का महत्व बनाए रखने के लिए इसी दिन संविधान निर्मात्री सभा (कांस्टीट्यूएंट असेंबली) द्वारा स्वीकृत संविधान में भारत के गणतंत्र स्वरूप को मान्यता प्रदान की गई। इसलिए 26 जनवरी को हर साल गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।

इस दिन बाबू राजेंद्र प्रसाद को गणतांत्रिक भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ दिलाई गई। डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इरविन स्टेडियम में झंडा फहराकर परेड की सलामी ली। इस परेड में सशस्त्र सेना के तीनों बलों ने हिस्सा लिया, जिसमें नौसेना, इन्फेंट्री, कैवेलेरी रेजीमेंट, सर्विसेज रेजीमेंट के अलावा सेना के सात बैंड भी शामिल हुए थे।

सन 1951 से गणतंत्र दिवस का समारोह किंग्स-वे (राजपथ) पर होने लगा। सन् 1952 से बीटिंग रिट्रीट का कार्यक्रम आरंभ हुआ। इसका एक समारोह रीगल सिनेमा के सामने मैदान में और दूसरा लालकिले में हुआ। गणतंत्र दिवस परेड और बीटींग रिट्रीट समारोह के लिए टिकटों की बिक्री 1962 में शुरू की गई।

‘बीटिंग द रिट्रीट’ समारोह

बीटिंग द रिट्रीट का आयोजन रायसीना हिल्स पर राष्ट्रपति भवन के सामने किया जाता है, जिसके चीफ़ गेस्‍ट राष्‍ट्र‍पति होते हैं। बीटिंग द रिट्रीट समारोह को गणतंत्र दिवस का समापन समारोह कहा जाता है। सभी महत्‍वपूर्ण सरकारी भवनों को 26 जनवरी से 29 जनवरी के बीच रोशनी से सुंदरता पूर्वक सजाया जाता है।

बीटिंग रिट्रीट का आयोजन गणतंत्र दिवस समारोह के तीसरे दिन यानी 29 जनवरी की शाम को किया जाता है। बीटिंग रिट्रीट में थल सेना, वायु सेना और नौसेना के बैंड पारंपरिक धुन बजाते हुए मार्च करते हैं। बैंड मार्च वापस जाते समय लोकप्रिय धुन सारे जहाँ से अच्‍छा बजाते हैं।

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