इन्टरनेट का इस्तेमाल दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। इन्टरनेट पर कोई भी जानकारी ढूँढने के लिए हम वेबसाइट का इस्तेमाल करते हैं जैसे Google.com, Yahoo.com, Bing.com इत्यादि।
क्या आप जानते हैं Google.com यह पूरा नाम जो हम देखते और पढ़ते हैं, वास्तव में यह क्या है? सामान्य जानकारी में इसे DNS के नाम से जाना जाता है। कुछ शब्दों में इसे Domain Name भी कहा जाता है।
क्या आप DNS की फुल फॉर्म (DNS Full Form) के बारे में जानते हैं? क्या आपको DNS का मतलब पता है? अगर नही तो इस लेख में आपको इसके बारे में पूरी जानकरी दी जा रही है।
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DNS की फुल फॉर्म क्या है? (DNS Full Form)
DNS का पूरा नाम Domain Name System होता है। यह एक प्रकार का यूनिक आईपि एड्रेस होता हैं जो सर्वर और ब्राउज़र को जोड़ने का काम करता हैं। किसी भी वेबसाइट को सर्वर से जोड़ने में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। DNS की खोज सन 1983 में Paul Mockapetris ने की थी जिसने IP Address से सम्बंधित समस्या को दूर करने में काफी मदद की। IP Address से सम्बंधित की समस्या क्या थी यह आप “DNS के इतिहास” में नीचे पढ़ सकते हैं।
DSN क्या होता है?
हम अगर इसे सामान्य भाषा में समझे तो हम जानते हैं कि कंप्यूटर या मशीन इंसानी भाषा को नही समझ पाती है। इसलिए मशीन और मनुष्य के बीच किसी बात को समझने के लिए हमे Binary Languages की जरूरत होती है। कुछ जगह बाइनरी भाषा काम में आती हैं तो कुछ जगह 0 और 1 से अलग नंबर।
DNS भी IP Address के रूप में नंबर का ही काम करता है। DNS एक विशेष प्रकार का कोड होता है जो Web Address यानी Domain Name और Server को बीच में जोड़ने का काम करता है।
DNS नंबर यानी Server के Ip Address को हमेशा याद रखना मुश्किल होता है इसलिए उनके लिए हमे Domain name की आवश्यकता होती हैं जैसे Wikipedia.com, Google.com, Bing.com इत्यादि। यह सभी डोमेन नाम अपने-अपने सर्वर में Domain Server से जुड़े हुए होते हैं।
DNS और डोमेन जो एक साथ जोड़ने के लिए हमे कम से कम एक Domain Name और Domain Name Server की जरूरत होती है। इसके बाद यह दोनों आपस में जुड़ जाते हैं और Domain Name के आधार पर DNS अपना काम शुरू कर देता है।
DNS का इतिहास
DNS का पहली बार इस्तेमाल आज से करीब 40 साल पहले हुआ था। उस समय जब इन्टरनेट का विस्तार कम था और IP Address को याद रखना आसान था तब इस तकनीक का विस्तार हुआ था। इसके बाद जैसे – जैसे नेटवर्क बढ़ता गया वैसे – वैसे IP Address को याद रखना मुश्किल होता गया और उनकी जगह DNS का इस्तेमाल होने लगा और उनके बाद DN यानी Domain Name का इस्तेमाल होने लगा।
DNS की बढती समस्या को देखते Paul Mockapetris ने इस समस्या से निदान पाने के लिए Domain Name का अविष्कार किया। Domain Name का विस्तार में आना इस समस्या समाधान था कि मनुष्य किसी भी वेबसाइट और कंपनी का नाम आसानी से पढ़ सके।
DNS कैसे काम करता हैं ?
DNS कैसे काम करता है, इसके बारे में जानना एक आम बात बन गई हैं। चलिए समझते हैं उन तरीकों के बारे में ताकि आपको समझ में आ सके कि आखिर DNS कैसे काम करता है?
उदाहरण के तौर पर हम Google.com वेबसाइट (सर्च इंजन) को ही समझते हैं कि आप जब भी Google को ओपन करते हैं तो यह कैसे आपके सामने डाटा दिखाती है।
- जब भी आप अपने Web Browser में Google.com या कोई अन्य साईट को टाइप करते हैं और उसको ओपन करते हैं तो इसमें Browser का पहला काम होता है उस वेबसाइट के IP Address के खोजना।
- जैसे ही ब्राउज़र में उसका IP Address मिल जाता है तो ब्राउज़र उस IP Address के सर्वर से जो भी डाटा होता है उसे ढूंढ कर उसका डाटा आपकी स्क्रीन पर दिखा देता है।
- अगर आप Google.com को अपने मोबाइल और कंप्यूटर में पहली बार खोल रहे हैं तो उसके बाद आपके कंप्यूटर के नाम और सर्वर के नाम से IP Address के जरिये सर्वर को Request करेगा जिसके बाद वो साईट ओपन हो पाएगी।
यह काफी साधारण तरीका हैं जिसे आप समझ सकते हैं।
Domain क्या होता है?
हम जब भी DNS की बात करते हैं तो हमारे दिमाग में Domain Name का भी जिक्र आता हैं। क्या आप जानते हैं की Domain क्या होता है? इसके बारे में साधारण शब्दों में समझे तो यह वेबसाइट का एक नाम होता हैं जो किसी वेबसाइट के IP Address के ऊपर इस्तेमाल होता है।
अगर आपकी वेबसाइट है जिसका नाम उदहारण के तौर पर MyWebsite.com है। अगर आप अपनी साईट को होस्ट करते हैं तो उस सर्वर से आपको एक IP Address मिलता है और उस IP Address को इस Domain Name से जोड़ सकते हैं। इसके बाद अगर कोई यूजर आपके Domain Name को सर्च करेगा तो वो सीधा आपके वेबसाइट के IP Address से जुड़ जायेगा और आपकी वेबसाइट खुल जायेगी।
Domain Name और DNS को कैसे कनेक्ट करे?
Domain Name को DNS से जोड़ने के लिए कुछ आवश्यक जरूरतें होती हैं जैसे Domain Name, IP Address या Name Server और Server Information।
- सबसे पहले यह जरुरी होता है कि आप किस सर्वर पर अपनी वेबसाइट होस्ट करते हो।
- उस सर्वर से आपको एक Name Server/IP Address मिलता है। इस Name Server और IP Address को अपने Domain Name की DNS setting के साथ जोड़ना होता है।
- इसके बाद आपका डोमेन Server से जुड़ जाएगा और आपकी वेबसाइट काम करना शुरू कर देगी।
DNS के प्रकार
DNS के बारे में इतना जानने के बाद हम अब जानते हैं कि DNS के कितने प्रकार होते हैं या DNS को कितने भागों में बांटा गया है?
DNS को सामान्य रूप में 4 भागों में बांटा गया है जो इस प्रकार हैं:
- DNS Resolver
- Root name server
- TLD name servers
- Authoritative name server
DNS Resolver – DNS resolver ISP (internet service provider) के माध्यम से प्राप्त कर लिया जाता है
DNS Root Server – अगर इसे देखा जाए तो यह 12 अलग-अलग ऑर्गेनाइजेशन के द्वारा कंट्रोल होता है और उपयोग की दृष्टि से या विश्वव्यापी है अर्थात इसका उपयोग पूरी दुनिया में किया जाता है इसका मुख्य रूप से उपयोग इनफॉरमेशन पेज बनाने के लिए होता है. ex. – www.root-servers.org
TLD name server – अगर देखा जाए तो इसका उपयोग एक व्यापारी के गोदाम की तरह होता है इस सर्वर में सभी डोमेन नेम और वेबसाइट की जानकारी को संग्रहित कर के रखा जाता है. ex -.com, .net, .in, edu
DNS Authoritative Server – इसका उपयोग भी TLD name server की भांति होता है लेकिन इसमें सभी वेबसाइट कि आईपी एड्रेस की जानकारी संग्रहित होती है
डीएनएस रिकॉर्ड कौन कौन से होते हैं? (DNS Records)
DNS सिस्टम में यूजर द्वारा जानकारी के लिए अनुरोध किया जाता है, जिसको DNS रिकॉर्ड के नाम से जाना जाता है।
A (address) | Hostname, Time to live (TTL), और IPv4 Address के बारे में जानकारी स्टोर करना |
CNAME (canonical name) | Hostname, IPv6 Address को संग्रहीत करना |
MX (mail exchange) | ई-मेल के आदान प्रदान के लिए |
NS (name server) | Domain Name के लिए Name Server |
PTR (pointer) | IP address को host name से पॉइंट करता है |
SOA (start of authority) | Declares the most authoritative host for the zone |
TXT (text record) | डेटा को वहन और प्रसारित करना |
CERT (Certificate Record) | encrypted certificates को संग्रहीत करता है और केवल प्रामाणिक प्राप्तकर्ताओं को जानकारी प्रदान करता है। |
SRV (Service Location) | लोकेशन (जैसे कि होस्टनेम, पोर्ट नंबर) के बारे में डाटा संग्रहीत करता है |
DNS की अन्य फुल फॉर्म
सामान्य भाषा में हम DNS का पूरा नाम Domain name server/Domain name system के तौर पर जानते हैं परन्तु इसकी कुछ और भी फुल फॉर्म हैं जैसे –
- DNS Full form in medical – मेडिकल में इस DNS का पूरा नाम Deviated Nasal Septum होता हैं।
- DNS Full form in pharmacy– मेडिकल के अलावा फार्मेसी में इस DNS का पूरा नाम Do Not Substitute होता हैं।
- DNS Full form in Nursing Staff – नर्सिंग स्टाफ में DNS को Director of nursing offer के तौर पर जाना जाता हैं।
- Fluid में DNS की फुल फॉर्म – Fluid में Dextrose/Sodium Chloride Solution-Intravenous के संक्षिप्त नाम के रूप में DNS को जाना जाता हैं।
- DNS Full form in Merchant Navy – मर्चंट नेवी में भी DNS की एक Full form हैं जिसे हम Diploma In Nautical Science के नाम से जानते हैं।
- Networking में DNS का पूरा नाम – नेटवर्किंग में इसका पूरा नाम होता हैं Digital networking Services जिसका संक्षिप्त रूप DNS कहलाता हैं।
- ट्रांसपोर्ट में DNS का पूरा नाम – Do Not Ship को ट्रांसपोर्ट में DNS की फुल फॉर्म के रूप में जाना जाता हैं।
अंतिम शब्द
यह थी सामान्य जानकारी DNS की फुल फॉर्म (DNS Full Form) के बारे में और DNS क्या है, के बारे में। उम्मीद है कि आपको यह लेख पसंद आया होगा और आपको जरुरी जानकारी मिल पाई होगी। अगर आपके मन में कोई सवाल है तो आप हमसे ईमेल के जरिये पूछ सकते हैं।
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