कैग (CAG) क्या होता है? आइये जानते हैं – Comptroller and Auditor General of India (नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक) का संक्षिप्त रूप CAG (कैग) है। CAG भारतीय संविधान के अध्याय द्वारा स्थापित एक प्राधिकारी है जो भारत सरकार तथा सभी प्रादेशिक सरकारों के आय-व्यय के लेखों का अंकेक्षण करता है। वह सरकार के स्वामित्व वाली कम्पनियों का भी अंकेक्षण करता है। भारत के नियन्त्रक और महालेखापरीक्षक की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक ही भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा सेवा का भी मुखिया होता है।
“भारत का नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (CAG of India) संभवतः भारत के संविधान का सबसे महत्त्वपूर्ण अधिकारी है। वह ऐसा व्यक्ति है जो यह देखता है कि संसद द्वारा अनुमन्य खर्चों की सीमा से अधिक धन खर्च न होने पाए या संसद द्वारा विनियोग अधिनियम में निर्धारित मदों पर ही धन खर्च किया जाए।” -डॉ. भीम राव अम्बेडकर
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भारत के वर्तमान नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक कौन हैं?
गुजरात कैडर में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारी रहे गिरीश चंद्र मुर्मू भारत के वर्तमान नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG of India) हैं। मुर्मू इससे पहले जम्मू-कश्मीर में उपराज्यपाल (LG) के पद पर तैनात थे। देश के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक यानी CAG एक संवैधानिक पद है।
कैग का काम क्या है?
CAG का काम सरकारी खातों और उसके द्वारा खर्च किये जा रहे धन की जांच करना है। दरअसल, सरकार जो भी धन खर्च करती है, सीएजी (CAG of India) उस खर्च की गहराई से जांच पड़ताल करता है और पता लगाता है कि धन सही तरीके से खर्च हुआ है या नहीं। यह केंद्र और राज्य सरकार दोनों के सार्वजनिक खातों और आकस्मिक निधि का भी परीक्षण करता है।
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक का कार्यालय कहाँ है?
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG of India) का कार्यालय 9 दीनदयाल उपाध्याय मार्ग,नई दिल्ली में स्थित है। भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक का पद बहुत ही ज्यादा महत्तवपूर्ण पद है। इसके द्वारा देश की वित्तीय प्रणाली को चलाया जाता है।
अब तक के नियन्त्रक एवं महालेखा परीक्षक की सूची
क्रमांक | नियन्त्रक एवं महालेखा परीक्षक | कार्यकाल का आरम्भ | कार्यकाल का अन्त |
1 | वी० नरहरि राव | 1948 | 1954 |
2 | ए० के० चन्द | 1954 | 1960 |
3 | ए० के० राय | 1960 | 1966 |
4 | एस० रंगनाथन | 1966 | 1972 |
5 | ए० बक्षी | 1972 | 1978 |
6 | ज्ञान प्रकाश | 1978 | 1984 |
7 | त्रिलोकी नाथ चतुर्वेदी | 1984 | 1990 |
8 | सी० एस० सोमैया | 1990 | 1996 |
9 | वी० के० शुंगलू | 1996 | 2002 |
10 | वी० एन० कौल | 2002 | 2008 |
11 | विनोद राय | 2008 | 2013 |
12 | शशिकान्त शर्मा़ | 2013 | 2017 |
13 | राजीव महर्षि | 2017 | 2020 |
14 | गिरीश चंद्र मुर्मू | 2020 | वर्तमान |
CAG कैसे काम करता है?
CAG ऑडिट को दो वर्गों में बांटता है – रेग्युलेरिटी ऑडिट और परफॉर्मेंस ऑडिट (नियामक लेखा परीक्षा और प्रदर्शन लेखा परीक्षा) में बांटा गया है। रेग्युलेरिटी ऑडिट (जो कम्पलायंस ऑडिट भी कहलाता है) में फाइनैंशल स्टेटमेंट का ऐनालिसिस किया जाता है और देखा जाता है कि उसमें सभी नियम-कानून का पालन किया गया है नहीं। परफॉर्मेंस ऑडिट में सीएजी (CAG of India) यह चेक करता है कि क्या सरकारी प्रोग्राम शुरू करने का जो मकसद था, वह कम से कम खर्च में सही तरीके से हासिल हो पाया है नहीं।
क्या CAG स्वतंत्र है?
सीएजी (CAG of India) भारतीय सविधान द्वारा स्थापित एक प्राधिकारी (अथॉरिटी) है। लेकिन सरकार का इस पर कोई ज़ोर नहीं है। सरकार द्वारा इसे सरकारी की आमदनी और खर्च पर नज़र रखने के लिए बनाया गया है। देश का राष्ट्रपति कैग की नियुक्ति करता है और इस पद से हटाने के नियम ठीक वैसे ही है जैसे सूप्रीम कोर्ट के जज को हटाने के लिए अपनाई जाती है। 65 वर्ष की आयु पूरी करने पर भी वह पद से हट जाता है। वह किसी भी समय राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र सौंप सकता है। अपने पद से हटने के बाद वह भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन कोई और पद स्वीकार नहीं कर सकता।
CAG को हटाना
CAG के काम और शक्तियों को देखते हुए उन्हें हटाने यानि पदमुक्त करने की प्रक्रिया भी निर्धारित है। सीएजी (CAG of India) को हटाने के लिए संविधान में दर्ज प्रक्रिया का ही पालन करना होगा। यह ठीक वैसी प्रक्रिया है, जैसी सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश को हटाने की प्रक्रिया है।
CAG के कार्य और शक्तियाँ
- CAG को विभिन्न स्रोतों से ऑडिट करने के अधिकार प्राप्त हैं, जैसे-
- संविधान का अनुच्छेद 148 से 151
- नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (कर्त्तव्य, शक्तियाँ और सेवा की शर्तें) अधिनियम, 1971
- महत्त्वपूर्ण निर्णय
- भारत सरकार के निर्देश
- लेखा और लेखा-परीक्षा विनियम, 2017
- सीएजी (CAG of India) भारत की संचित निधि और प्रत्येक राज्य, केंद्रशासित प्रदेश जिसकी विधानसभा होती है, की संचित निधि से संबंधित खातों के सभी प्रकार के खर्चों का परीक्षण करता है।
- भारत की आकस्मिक निधि और भारत के सार्वजनिक खाते के साथ-साथ प्रत्येक राज्य की आकस्मिक निधि और सार्वजनिक खाते से होने वाले सभी खर्चों का परीक्षण करता है।
- केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के किसी भी विभाग के सभी ट्रेडिंग, विनिर्माण, लाभ- हानि खातों, बैलेंस शीट और अन्य अतिरिक्त खातों का ऑडिट करता है।
- संबंधित कानूनों द्वारा आवश्यक होने पर वह केंद्र या राज्यों के राजस्व से वित्तपोषित होने वाले सभी निकायों, प्राधिकरणों, सरकारी कंपनियों, निगमों और निकायों की आय-व्यय का परीक्षण करता है।
- सीएजी (CAG of India) राष्ट्रपति या राज्यपाल द्वारा अनुशंसित किये जाने पर किसी अन्य प्राधिकरण के खातों का ऑडिट करता है, जैसे- कोई स्थानीय निकाय।
- केंद्र और राज्यों के खाते जिस प्रारूप में रखे जाएंगे, उसके संबंध में राष्ट्रपति को सलाह देता है।
- केंद्र के खातों से संबंधित अपनी ऑडिट रिपोर्ट को राष्ट्रपति को सौंपता है, जो संसद के दोनों सदनों के पटल पर रखी जाती है।
- किसी राज्य के खातों से संबंधित अपनी ऑडिट रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपता है, जो राज्य विधानमंडल के समक्ष रखी जाती है।
- संसद की लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee) के मार्गदर्शक, मित्र और सलाहकार के रूप में भी कार्य करता है।
कैग (CAG) के कुछ तथ्य
- अनुच्छेद 148 से 151 में कैग के शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन किया गया है।
- CAG की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है और इसे सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश को जिस प्रकार से हटाया जाता है उसी प्रकार से हटाया।
- सीएजी (CAG of India) भारत सरकार और राज्य सरकार के व्यय के खातो की लेखा जांचना (auditing) करने का उत्तरदायी होता है, कैग सुनिश्चित करता है की धन का विवेकपूर्ण ढंग से, विधि पूर्वक वैध साधनों के माध्यम से उपयोग किया गया है और वित्तीय अनियमित्ता की भी जांच करता है।
- डा. अम्बेडकर के अनुसार, कैग भारतीय संविधान का चौथा स्तम्भ है, अन्य तीन हैं, सर्वोच्च न्यायालय, लोक सेवा आयोग, चुनाव आयोग।
- सीएजी (CAG of India) का कार्यकाल, वेतन और सेवानिवृत्त होने की आयु का निर्धारण संसद में पारित किये गए कानून के अनुसार किया जायेगा। इसका कार्य कल 6 वर्ष होता है और सेवानिवृत्त होने की आयु 65 वर्ष होती है।
- सीएजी (CAG of India) के हाथों में मामलो आने के बाद वह किसी अन्य सरकारी या सावर्जनिक पद को ग्रहण करने का अधिकारी नहीं होता है।
- सीएजी (CAG of India) के रूप में नियुक्त व्यक्ति तीसरी अनुसूची में दिए प्रयोजन के अनुसार, अपना कार्यभार सँभालने से पूर्व राष्ट्रपति के समक्ष शपथ लेते है।
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