Uttarakhand Tribes – उत्तराखंड की प्रमुख जनजाति निम्नलिखित हैं:
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भोटिया
- राज्य में तिब्बत एवं नेपाल के सीमावर्ती भागों को भोट प्रदेश कहते हैं। भोट प्रदेश में निवास करने वाले लोगों को भोटिया कहा जाता है।
- भोटिया जनजाति के लोग अल्मोड़ा, चमोली, पिथौरागढ़ व उत्तरकाशी के क्षेत्रों में फैले हैं।
- भोटिया लोग मंगोल प्रजाति के वंशज है।
- भोटिया लोग हिमालय के तिब्बती बरमन परिवार से संबंधित बोलियां बोलते हैं।
- भोटिया युवक पाजामा, कोट में पहाड़ी टोपी पहनते हैं तथा युवती ऊँची बाहों वाला कोट पहनती है जिसे चुंग कहते हैं।
- महिलाएं कमर से नीचे तक का कुर्ता पहनती है जिसे फूया बेल कहते हैं। मूंगे की माला भोटिया महिलाओं का मुख्य आभूषण होता है।
- भोटिया लोग बैग, गावला, रैगचिम देवताओं की पूजा करते हैं।
- भोटिया जनजाति में अपहरण विवाह की प्रथा प्रचलित है। यह लोग हुड़के वाद्ययंत्र बजाकर मनोरंजन करते हैं। यह कृषि तथा पशुपालन द्वारा अपनी आजीविका कमाते हैं।
जौनसारी
- जौनसारी उत्तराखंड का सबसे बड़ा जनजातीय समुदाय है।
- जौनसारी जनजाति टिहरी गढ़वाल जिले की पहाड़ियों पर निवास करती है।
- जौनसारी जनजाति के लोग पांडवों को अपना पूर्वज मानते हैं।
- जौनसारी लोग महासू देवता की पूजा करते हैं।
- इन लोगों में बहुपति प्रथा प्रचलित है एवं जन अंतर्जातीय विवाह का भी प्रचलन है।
- जौनसारी महिलाएं कृषि कार्य करने में दक्ष होती है। इसी के द्वारा यह लोग अपना पेट पालते हैं।
- पुरुष पजामा, कुर्ता पहनते हैं तथा महिलाएं घुटनों तक का कुर्ता व घागरा पहनती है।
- आधुनिकता के इस समय में पेंट-कोट तथा साड़ी ब्लाउज का प्रचलन बढ़ गया।
राजी
- राजी जनजाति को वनरौत भी कहते हैं।
- यह जनजाति पिथौरागढ़ के धारचूला व डीडीहाट के चिपलथड़ा, गानागांव, किमखोला, चौरानी, जमतडी आदि में निवास करते हैं।
- राजी लोग प्राय जंगल में निवास करते हैं
- इसके मुख्य देवता बाघानाथ है।
- यह लोग मुंडा तथा कुमाऊँनी भाषा बोलते हैं।
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थारु
- थारु जनजाति अपने को मातृ पक्ष से राजपूत व पितृपक्ष से भील उत्पत्ति को मानते हैं।
- राजस्थान के थार क्षेत्र से आकर यहां बसने व शराब का अधिक सेवन करने के कारण इन्हें थारु कहा जाता है।
- यह उधमसिंह नगर जिले में निवास करती है।
- थारु लोग कृषि करके जीविकोपार्जन करते हैं।
- पुरुष अंगरखा पहनते हैं एवं महिलाएं रंगीन लहंगा, चोली तथा ओढ़नी पहनती है।
बुक्सा या भुक्सा
- बुक्सा लोग तराई भाबर स्थित बाजपुर, गदरपुर, रामनगर, दुगड्डा देहरादून जनपद के डोईवाला, विकास नगर, सहसपुर विकास खंडों में निवास करते हैं।
- इसके मुख्य भाषा हिंदी है।
- बुक्सा समाज में विधवा विवाह, घरजवाई तथा बहुपत्नी प्रथा प्रचलित है।
- बुक्सा लोग दुर्गा, महादेव, काली, लक्ष्मी, राम व कृष्ण भगवान की पूजा करते हैं।
- आजीविका- धान, मक्का, चना, गेहूं की खेती एवं पशुपालन है।
शौका
- शौका जनजाति कूमाऊँ प्रमंडल की पिथौरागढ़ के पूर्वी भाग में निवास करती है।
- जीविकोपार्जन हेतु ये लोग कृषि, जड़ी-बूटी तथा ऊनी वस्त्रों का व्यवसाय करते हैं।
उत्तराखंड के प्रमुख मेले – Fairs of Uttarakhand
उत्तराखंड की जनजाति (Uttarakhand Tribes) से सम्बंधित महत्वपूर्ण याद रखने योग्य बातें
- उत्तराखंड की प्रमुख जनजाति→थारू, जौनसारी, भोटिया, बोक्सा, राज़ी (वनरावत)
- उत्तराखंड में सर्वाधिक जनसंख्या वाली जनजाति →थारू
- उत्तराखंड में सबसे कम जनसंख्या वाली जनजाति →राज़ी (वनरावत)(2.5%)
- भोटिया जनजाति मुख्यतः निवास करती है → उत्तरकाशी, चमोली, एवं पिथोरागढ़
- भोटिया जनजाति किस जाति से सम्बन्ध रखते है → मंगोलियन
- भोटिया जनजाति के पुरुष की वेशभूषा है →रंगा, खगचसी, बाँखे आदि
- भोटिया जनजाति की महिला की वेशभूषा है →च्न्यूमाला, च्यूकला, च्युब्ती, च्युज्य
- पिथोरागढ़ की भोटिया जनजाति के लोग कहलाते है →जौहारी व शौका
- चमोली की भोटिया जनजाति के लोग कहलाते है →मारछा एवं तोरछा
- उत्तरकाशी की भोटिया जनजाति के लोग कहलाते है →जाड़
- जाड़ भोटिया स्वयं को मानते है →जनक के वंश
- जाड़ भोटियाओ की भाषा → रोम्बा
- जाड़ भोटियाओ के मुख्य त्यौहार →लौहसर व शूरगैन
- सर्वाधिक भोटिया जनजाति वाल जिला →पिथौरागढ़
- भोटिया जनजाति के लोगो के ग्रीष्मकालीन आवास कहलाते है →मैत
- भोटिया जनजाति के लोगो के शीतकालीन आवास कहलाते है → गुण्डा या मुनसा
- भोटिया जनजाति के लोगो का मुख्य भोजन है →छाकू, छामा, कूटो
- भोटिया जनजाति के लोगो का प्रिय पेय पदार्थ है →ज्या(चाय), छंग(मदिरा )
- भोटिया जनजाति के लोगो का मुख्य व्यवसाय →कृषि पशुपालन एवं व्यापार
- भोटिया जनजाति के लोगो का मुख्य वाधयंत्र है →छुडके
- भोटिया जनजाति के लोगो में विवाह की कितनी पधतिया प्रचलित है→2 (तत्सम, दामोला)
- उत्तराखंड विधानसभा में अनुसूचित जनजाति हेतु कुल सुरक्षित सीटें →2
- उत्तराखंड राज्य में सर्वाधिक अनुसूचित जनजाति वाला जिला → ऊधमसिंह नगर (7.46%)
- उत्तराखंड राज्य में सबसे कम अनुसूचित जनजाति वाला जिला → रुद्रप्रयाग (.14%)
- उत्तराखंड में कहाँ सर्वाधिक जौनसारी जनजाति पायी जाती है →जौनसार –बावर
- जौनसारी किस जाति से सम्बन्ध रखते है →मंगोल व डोमो का मिश्रित रूप
- जौनसारी स्वयं को मानते है →पांडवो का वंशज
- जौनसारियों का मुख्य व्यवसाय →कृषि एवं पशुपालन
- जौनसारी पुरुषो की वेशभूषा →कोट, सूती टोपी कुर्ता आदि
- जौनसारी महिलाओ की वेशभूषा → घाघरा, चोली, अंगोली आदि
- जौनसारी व भोटिया के लोग किस धर्म को मानते है → हिन्दू धर्म को
- जौनसार के लोगो के मुख्य देवता है → महासू(शिव)
- जौनसार-बावत क्षेत्र का सबसे बड़ा मेला → विस्सू मेला (देहरादून)
- जौनसारियों का प्रमुख तीर्थ स्थल → हनोल
- जौनसारियों का परिवार है → संयुक्त एवं पित्रसत्तात्मक
- फादर ऑफ़ जौनसारी नाम से सम्मानित है → भाव सिंह चौहान
- जौनसारियों में विवाह के लिए प्रचलित पद्धतिया है → 3
- जौनसारी संगीत के जनक → नन्दलाल भारती (जौनसार रत्न)
- जौनसार के प्रथम कवि → पंडित शिवराम
- जौनसार के लोगो के मुख्य हथियार →तलवार, फरसा, कटार
- जौनसारी ले लोगो का मुख्य भोजन है →चावल, दाले, मांस, शराब आदि
- वीर केसरी मेला कब लगता है →3 मई को (शहीद केशरी चन्द की स्मृति में)
- जौनसारियों का त्यौहार जागड़ा मनाया जाता है→भाद्रपद में (जौनसारी)
- नुणाई त्यौहार मनाया जाता है → भटाड़ मानथात (लाखामंडल, देहरादून)
- वीर केसरी मेला कहा लगता है →चैलीथाप (चकराता)
- बोक्सा जनजाति के लोगो का निवास स्थान है →रामनगर, उधमसिंह नगर के बाजपुर पौड़ी के दुगड्डा एवं डोईवाला (देहरादून)
- बोक्सा जनजाति के लोग स्वयं को मानते है →पवांर वंशीय राजपूत
- बोक्सा जनजाति के लोगो का समाज है →संयुक्त व पितृसत्तात्मक
- सर्वाधिक बोक्सा जनसंख्या निवास करती है →उधमसिंह जनपद
- बोक्सा जनजाति की प्रमुख 5 उपजातियां है →जादुवंशी, पंवार, परतज़ा , राजवंशी ,तनुवार
- बोक्सा लोगो की सबसे पूजनीय देवी है → बाला सुंदरी (काशीपुर)
- बोक्सा के प्रमुख देवी देवता है →शिव, दुर्गा, हुल्का देवी, साकरिया देवता, ज्वालादेवी
- बोक्सा लोगो के प्रमुख पर्व है → चैती, नौबी, रामलीला, दीपावली, तेरस, होली आदि
- बोक्सा लोगो के प्रमुख मेला है →चैती मेला
- बोक्सा समुदाय का मुख्य भोजन है → माँस, मछली, चावल
- बोक्सा समुदाय का मुख्य व्यवसाय → कृषि आखेट, दस्तकारी
- देहरादून में निवास करने वाली बोक्सा जनजाति कहलाती है →महर बोक्सा
- नैनीताल एवं उधमसिंह नगर में बोक्सा जनजाति बाहुल्य क्षेत्र कहलाता है → बुकसाड
- बोक्सा जनजाति की मुख्य भाषाएँ है →भांवरी, कुमैय्या, रचभैंसी
- बोक्सा जनजाति के पुरुषों की वेशभूषा है →धोती, कुर्ता, पगड़ी आदि
- बोक्सा जनजाति की स्त्रियों की वेशभूषा है→लहंगा, चोली, साड़ी, ब्लाउज
- बोक्सा जनजाति में जादू-टोना तंत्र-मन्त्र विद्या के जानकार व्यक्ति को कहा जाता था →भरारे
- थारू जनजाति के लोगो का निवास स्थान है →खटीमा, सितारगंज, किच्छा, नानकमत्ता, बनबसा आदि
- थारू जनजाति के लोग स्वयं को मानते है →राणा प्रताप के वंशज
- थारुओ के शारीरिक लक्षण किस प्रजाति से मिलते है →मंगोल प्रजाति से
- इतिहासकारों के अनुसार थारुओ का वंशज माना जाता है →किरात वंश
- थारू जनजाति के लोगो का मुख्य व्यवसाय है →कृषि, आखेट, पशुपालन
- थारू जनजाति के लोगो का मुख्य भोजन है →चावल, मछली
- थारू जनजाति के लोगो का प्रिय पेय पदार्थ है →जाड़ (चावल की शराब)
- थारू समाज है → मातृसत्तात्मक
- थारू जनजाति के पुरूषों की वेशभूषा है →लंगोटी, कुर्ता, टोपी, साफा एवं सफ़ेद धोती
- थारू जनजाति स्त्रियों की वेशभूषा है→लहंगा, चोली, आभूषण
- थारू समाज के प्रमुख देवी देवता है →पछावन, खड्गाभूत काली, भूमिया, कलुवा, आदि
- थारू लोग दीपावली को किस पर्व के रूप में मानते है →शोक के पर्व के रूप में
- थारु जनजाति के लोगो में विवाह की कितनी पधतिया प्रचलित है→4
- थारु जनजाति में विधवा विवाह के बाद दिए जाने वाला भोजन कहलाता है →लठभरता भोजन
- थारु जनजाति में सगाई की रस्म कहलाती है →अपना-पराया
- थारु जनजाति के मुख्य त्यौहार है →दशहरा, होली, दीपावली, बज़हर,माघ की खिचड़ी आदि
- थारु जनजाति की प्रमुख कुरियां (गोत्र) है → बाडवायक, बट्ठा रावत वृत्तियाँ, महतो व डहैत
- थारु जनजाति में विवाह की पधतिया है→ अपना-पराया, बात-कट्ठी, विवाह, चाला
- उत्तराखंड की सबसे कम जनसंख्या वाली जनजाति है→राजी (वनरावत)
- राजी जनजाति मुख्यतः निवास करती है → कनालीछीना, डीडीहाट, धारचूला, नैनीताल, चम्पावत
- राजी जनजाति स्वय को मानते है → रजवार (राजपूत)
- राज्य में सर्वाधिक राजी जनजाति कहाँ निवास करती है →पिथौरागढ़
- राजी जनजाति के लोगो का मुख्य भोजन है →मांस, कन्दमूल फल, मंडुवा, मक्का, भट्ट तथा तरुड़
- राजी जनजाति के लोगो का मुख्य व्यवसाय है → आखेट, पशुपालन एवं कृषि
- राजी जनजाति की मातृभाषा है → मुण्डा
- राजी जनजाति द्वारा सामान्यतः प्रयुक्त होने वाली भाषा है →कुमाऊनी
- राजी जनजाति के लोगो अधिकाशतः कैसे आवासों में निवास करते है →झोपड़ियो में
- राजी जनजाति के आवास कहलाते है → रौत्युड़ा या रौत्यांश
- राजी जनजाति के प्रमुख देवी-देवता है →नंदादेवी, बाघनाथ, मलैनाथ, गणेनाथ, सैम, छुरमुल आदि
- राजी जनजाति के मुख्य त्यौहार है →कर्क एवं मकर संक्रांति, गोरा अट्ठावली
- राजी जनजाति के लोगो का विशेष नृत्य कहलाता है →रिघडांस
- राजी जनजाति के लोगो में विवाह में से पूर्व प्रचलित पद्दतिया है →2 (सांगजांली तथा पिंठा)
- राजी किस शिल्प कला में निपुण होते है → काष्ठ शिल्पकला
- प्रारंभ में राजियों में विनिमय की कौन सी प्रथा प्रचलित थी →मूक विनिमय प्रथा