- छत्तीसगढ़ राज्य में अलेक्जेंडराइट, हीरा, सोना, चांदी जैसे 28 प्रकार के बहुमूल्य खनिज पाए जाते है ।
- राष्टीय खनिज उत्पादन में छत्तीसगढ़ का देश में दूसरा स्थान है ।
- यहाँ देश का 23.24 प्रतिशत लौह अयस्क उपलब्ध है ।
- इसी प्रकार देश का 18.02 प्रतिशत कोयला भंडार और 6.6 प्रतिशत लाइम स्टोन भंडार यहां पाया जाता है ।
- यहां धातु श्रेणी का बाक्साइट का भंडार भी है ।
- छत्तीसगढ़ सामरिक महत्व के खनिज टिन अयस्क का देश में एकमात्र उत्पादक राज्य है ।
- फ्लोराइट, फायरक्ले कोरन्डम, गारनेट , ग्रेनाईट, मार्बल, स्टीयटाईड, सोप स्टोन , क्लोलिन, स्वर्ण धातु , टिन अयस्क, टिन धातु जैसे सभी प्रमुख खनिज छत्तीसगढ़ में उपलब्ध है ।
- खनिज संसाधनों की प्रचुर उपलब्धता के कारण छत्तीसगढ़ में बहुत बड़ी संख्या में स्टील, स्पन्ज आयरन और सीमेंट संयंत्र स्थापित किये गये है ।
- एल्यूमीनियम ऊर्जा उत्पादन के मामले में भी देश का अव्वल राज्य बन रहा है।
छत्तीसगढ़ में खनिज संसाधन (Mineral Resources in Chhattisgarh) निम्नलिखित हैं:
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चूना पत्थर (lime stone)
- चूना पत्थर कडप्पा चट्टान से मिलता है।
- कुल संचित भंडार 9038 मिलियन टन होता है।
- राज्य के कुल भण्डारण की प्रतिशत 5.15% है।
- उत्पादन की दृस्टि से देशमें छत्तीसगढ़ का स्थान 7वा है।
- उत्पादन मे कुल प्रतिशत 9% है
- सर्वाधिक उत्पादन क्षेत्र – करहीझीपन
- सर्वाधिक उत्पादन व भण्डारण जिला – बलौदाबाजार
- बलौदाबाजार को सीमेंट उद्योग का केंद्र कहा जाता है।
उपयोग:
- चूना पत्थर का उपयोग मुख्यतः सीमेंट, चूना बनाने तथा लौह अयस्क उद्योग में किया जाता है।
प्रमुख़ क्षेत्र:
- बलौदाबाजार – करहीझीपन, हिरमी ,सोनाडीह ,भरवाडीह , कुकुरही ,रवान
- रायपुर – मांदर , तिल्दा , सिलयारी
- जांजगीर-चांपा – अकलतरा , मेआभाटा , पामगढ़ , अरसमेटा
- दुर्ग – जामुल , अघोली ,नंदनीकुदनी
- राजनाँदगाँव – मंचागपार , भाटागांव, चारभाटा
- कवर्धा – रंचितपुर , नवापारा , डोंगरिया , सहसपुर
डोलोमाइट (Dolomite)
- कडप्पा शैल समूह में पाया जाता है।
- चूना के चट्टान में मैग्नीशियम की मात्रा 45% अधिक हो जाती है तब वह डोलोमाइट कहलाता है।
- प्रदेश में कुल सचित भंडार 847 मिलियन टन है।
- देश के कुल संचित भंडार का 11.24 % है।
- डोलोमाइट उत्पादन में पहला स्थान है
- भण्डारण में चौथा स्थान है।
उपयोग:
- लोहे की अशुद्धि दूर करने में।
- तापसह ईटों को निर्माण में।
प्रमुख क्षेत्र:
- बिलासपुर – हिर्री , बेलपान ,लाल खदान
- जांजगीर-चांपा – अकलतरा , डभरा , बाराद्वार , सक्ति , मदनपुर
- रायगढ़ – कंटगपाली
- बेमेतरा – कोदवा , मोहभट्टा
- बस्तर – तिरिया ,मंचकोटा , कुम्हाली , जीरागांव
- बलौदाबाजार – भाटापारा
अभ्रक (mica)
- चट्टान – आग्नेय तथा परिवर्तित चट्टान से
- उपयोग – विधुत सामग्रियों में इन्सुलेशन के रूप में वायु यानो में ऊंच शक्ति वाले मोटर के रूप में।
- निक्षेप – दंतेवाड़ा , बस्तर , जशपुर , बिलासपुर ,रायपुर
- दन्तेवाड़ा में जगदलपुर – सुकमा मार्ग में दरभा घाटी के सड़क के किनारे किनारे निक्षेप मिलता है। गोलापल्ली पहाड़ी जीरम ,बोडणार ,जुगानी ,तथा मुरना नदी के किनारे किनारे मिलता है।
- जशपुर तहसील के रंगोला जगमारा ,डुमरघाट ,क्योंनघन पानी , बोरतली , तेराताली ,झारंगाव तथा बुरनीजारटोला में अभ्रक मिलता है।
- कोरबा के रतनखण्डी में मिलता है।
- सूरजपुर के पेंट्री में तथा सूरजपुर के कालिकापुर में अभ्रक मिलता है।
हीरा (daimond)
- हीरा की प्राप्ति किम्बरलाइट चट्टानों से होती है।
- अपररूप – कार्बन
- उपयोग – आभूषण ,कांच को काटने में
- प्रदेश में अनुमानित भंडार 13 लाख कैरेट है।
- प्राप्ति क्षेत्र – गरियाबंद – मैनपुर, पायलीखंड, बेहराडीह, कोदोमाली, जांगड़ा, कुसुमपुरा, देवभोग .
- बस्तर – तोकापाल
- प्रदेश में हीरा खनिज का विकास का अधिकार राज्य खनिज विकाश निगम को दिया गया है।
कोयला
- काला हीरा के नाम से प्रसिद्ध कोयला तापीय उद्योग का मुख्य साधन है। छत्तीसगढ़ में कोयल गोंडवाना युग के चट्टानों में पाया जाता है।
- छत्तीसगढ़ में बिटुमिनस प्रकार का कोयला पाया जाता है।
- प्रदेश में कोयला का अनुमानित भण्डारण 54912 मिलियन टन है , जो कि देश के कुल भण्डारण का 17.91 % है। भण्डारण की दृष्टि से राज्य का तीसरा स्थान है।
कोयला क्षेत्र:
- कोरबा – मुकुलघाट , कुसमुण्डा ,गेवरा ,दीपका ,मानिकपुर आदि।
- रायगढ़ – मांड रायगढ़ कोयला क्षेत्र , गारेपालमा , कुडुमकेला, धरमजयगढ़ , तेलाईपाली ,घरघोड़ा , जामपाली , चिमटापाली
- कोरिया – सोनहट ,चिरमिरी ,कोरासिया ,झगराखंड
- सूरजपुर – विश्रामपुर
- बलरामपुर – रामकोला , तातापानी
- सरगुजा – लखनपुर
लौह अयस्क
- लौह अयस्क मुख्यतः शैल समूह में पाया जाता है।
- छत्तीसगढ़ मुख्यतः हेमेटाइट प्रकार का लौह अयस्क पाया जाता है।
उत्पादन:
- 2017- 18 में लौह अयस्क उत्पादन में छत्तीसगढ़ का लगभग 34546 हज़ार टन है। जो देश के कुल उत्पादन का 17.19 % है।
- उत्पादन की दृष्टि से देश में छत्तीसगढ़ का कर्नाटक के बाद दूसरा स्थान है।
लौह अयस्क क्षेत्र:
- बालौद – दल्लीराजहरा ,डौंडी लोहरा
- दंतेवाड़ा – बैलाडीला , किरणदुल , बचेली
- कांकेर – रावघाट , आरीडोंगरी , चरामा , मेआबोदेली , भानुप्रतापपुर
- नारायणपुर – छोटेडोंगरी
- कवर्धा – एकलामा , चेलिकलामा
- राजनाँदगाँव – बोरिया टिब्बू , नचनिया
- गरियाबंद – मछुआ बहल
- महासमुंद – सरगुणभाटा
मैगनीज (Maganese)
- यह धारवाड़ चट्टानों में प्राकृतिक आक्साइड के रूप में मिलता है।
- ये बिलासपुर और बस्तर जिलों में पाया जाता है।
- इसका प्रयोग बैटरी निर्माण ,फोटोग्राफी में लवंडों के रूप में ,चमड़ा तथा माचिस उधोग में ,वस्त्र उधोग में , कांच को रंगने में पटरी पेण्ट में और रंगीन ईंट बनाने में होता है।
- जांजगीर चंपा जिले -मुलमुला , सेमरा , कोलिहाटोला , बिलासपुर रतनपुर क्षेत्र -करियामुण्डा ,कोरी , और , गोरखाना में निक्षेप पाए जाते है। इस क्षेत्र के मैगनीज की मात्रा 13 से 41 % मिलता है।
- बस्तर क्षेत्र – कुछ निक्षेप पाए जाते है।
- गरियाबंद – छुरा , पारसोली में निक्षेप मिलते है।
कोरण्डम (Korandam)
- राज्य में कोरण्डम का अनुमानित भण्डार 48 टन है।
- ये हिरा के बाद दूसरा कठोर खनिज है।
- इसमें 52. 9 % एल्युमिनियम होता है।
- क्षेत्र बीजापुर – भोपालपटनम से 2किमी की दुरी पर कुचनूर में है।
- सुकमा जिले में – सोनाकुकानार एवं नगारास।
बॉक्साइट
- यह एल्युमिनियम का अयस्क है जो राज्य में मुख्य रूप से दक्कन ट्रैप (बेसाल्ट ) के चट्टानों में पाया जाता है।
उत्पादन:
- 2017-18 के अनुसार लगभग 2558453 हज़ार टन हुआ जोकि देश के कुल उत्पादन 11.47 % है। उत्पादन के दृष्टि से छत्तीसगढ़ का स्थान चौथा है।
बॉक्साइट क्षेत्र:
- सरगुजा – मैनपाट ,बरिमा , डांडकेसरा , सरभंजा , जमीर पाट
- जशपुर – पंड्रापाठ , दातुनपानी , कदमपाट , केरापाट
- बलरामपुर – समीरपाट
- कोरबा – फुटका पहाड़ , पवनखेड़ा पहाड़
- कवर्धा – बोदई, दलदली
- बस्तर – आसना , तारापुर
टिन
- सामरिक धातु के नाम के विख्यात देश में छत्तीसगढ़ टिन का एकमात्र उत्पादक राज्य है।
- टिन की प्राप्ति कैसेराइट अयस्क से होती है।
उत्पादन:
- 2017- 18 के अनुसार 16758 किग्रा हुआ। जो देश के कुल उत्पादन का 100 % है।
प्रमुख क्षेत्र:
- दंतेवाड़ा – कटेकल्याण , बचेली
- सुकमा – चिंतलनाल , कोंटा
क्वार्ट्ज
- इसका उपयोग सजावटी लिए किया जाता है जैसे की सजावटी पत्थर, चीनीमिट्टी, काँच, कपड़ा एवं कागज उधोग में चमक लाने में किया जाता है।
प्रमुख क्षेत्र:
- दंतेवाड़ा
- राजनाँदगाँव
- दुर्ग
- रायगढ़
यह भी देखें ???????? छत्तीसगढ़ में कृषि