रावण के द्वारा सीता हरण करने पर मंदोदरी ने रावण को बहुत समझाया कि वह माता सीता को भगवन राम के हवाले कर दे। लेकिन रावण नहीं माना। रावण और श्री राम के बीच भयंकर युद्ध हुआ जिसमे रावण की मृत्यु हुई। रावण की मौत के बाद मंदोदरी खुद उस स्थान पर गयी जहां पर रावण का वध हुआ। रावण के शव के पास वह पहुंची, वहां पर लंका के राक्षशों के शवों को देखा, यह सब देखकर वह बहुत दुखी हो गयी। लेकिन भगवान श्री राम का अलौकिक रूप भी उन्होंने देखा।
तब भगवान राम ने उन्हें समझाया कि वह विश्व विजयी लंकेश की पत्नी थी, उन्हें इस तरह उनकी मौत पर हताश नहीं होना चाहिए। भगवान श्री राम ने मंदोदरी से यह कहा कि आप अपना राजपाठ संभालें। विभीषण को श्री राम राज पाठ दे चुके थे इसलिए उन्होंने मंदोदरी से अनुरोध किया कि वो विभीषण से शादी कर ले। लेकिन मंदोदरी ने यह फैंसला तुरंत नहीं माना। मंदोदरी वापिस लंका में आयी।
अपने आप को उन्होंने कपाट बंद करके एक भवन में बंद कर लिया। बहुत दिनों तक वो उस भवन के अंदर रही, ना किसी से बात की और न ही बाहर आयी। उसके बाद मंदोदरी ने फैंसला लिया कि वो बाहर आएंगी और विभीषण से शादी करेंगी। तब बाहर आने के बाद विभीषण से शादी की और लंका को सही दिशा में ले जाने के लिए विभीषण के साथ मिलकर आगे काम किया।
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