Makar Sankranti 2023 Date and Time in Hindi – मकर संक्रांति का भारतीय धार्मिक परम्परा में विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ कर मकर राशि में प्रवेश कर उत्तरायण में आता है। शास्त्रों के अनुसार यह सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है और इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति परंपरागत रूप से 14 जनवरी या 15 जनवरी को मनाई जाती आ रही है।
मकर संक्रांति में ‘मकर’ शब्द मकर राशि को इंगित करता है जबकि ‘संक्रांति’ का अर्थ संक्रमण अर्थात प्रवेश करना है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। एक राशि को छोड़कर दूसरे में प्रवेश करने की इस विस्थापन क्रिया को संक्रांति कहते हैं। शास्त्रों के नियम के अनुसार रात में संक्रांति होने पर अगले दिन भी संक्रांति मनाई जाती है।
मकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से अपनी दिशा बदलकर उत्तरायण हो जाता है अर्थात सूर्य उत्तर दिशा की ओर बढ़ने लगता है, जिससे दिन की लंबाई बढ़नी और रात की लंबाई छोटी होनी शुरू हो जाती है। भारत में इस दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत मानी जाती है। अत: मकर संक्रांति को उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है। तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में मनाते हैं जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति ही कहते हैं।
मकर संक्रांति के पावन पर्व पर गुड़ और तिल लगाकर नर्मदा में स्नान करना लाभदायी होता है। इसके बाद दान संक्रांति में गुड़, तेल, कंबल, फल, छाता आदि दान करने से लाभ मिलता है और पुण्यफल की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही मकर संक्रांति का यह त्योहार भारत भर में पतंजबाजी के लिए भी काफी प्रसिद्ध है।
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मकर संक्रांति 2023 तिथि, शुभ मुहूर्त (Makar Sankranti 2023 Date, Time)
मकर संक्रांति 2023 तिथि (Makar Sankranti 2023 Date) | 15 जनवरी, 2022 (रविवार) |
पुण्य काल मुहूर्त: | 07:15:13 से 12:30:00 तक |
अवधि: | 5 घंटे 14 मिनट |
महापुण्य काल मुहूर्त: | 07:15:13 से 09:15:13 तक |
अवधि: | 2 घंटे 0 मिनट |
संक्रांति पल: | 20:21:45, 14 जनवरी को |
मकर संक्रांति का महत्व (Importance of Makar Sankranti)
- माना जाता है कि इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनिदेव से नाराजगी भूलाकर उनके घर गए थे।
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र नदी में स्नान, दान, पूजा आदि करने से व्यक्ति का पुण्य प्रभाव हजार गुना बढ़ जाता है।
- इस दिन से मलमास खत्म होने के साथ शुभ माह प्रारंभ हो जाता है।
- इस खास दिन को सुख और समृद्धि का दिन माना जाता है।
इस विषय से जुड़ा एक काफी प्रसिद्ध श्लोक है, जो इस दिन के महत्व को समझाने कार्य करता है।
इस श्लोक का अर्थ है कि “जो भी व्यक्ति मकर संक्रांति के दिन शुद्ध घी और कंबल का दान करता है, वह अपनी मृत्यु पश्चात जीवन-मरण के इस बंधन से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति करता है”।
मकर संक्रांति को क्यों कहा जाता है पतंग महोत्सव पर्व?
यह पर्व ‘पतंग महोत्सव’ के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग छतों पर खड़े होकर पतंग उड़ाते हैं। हालांकि पतंग उड़ाने के पीछे कुछ घंटे सूर्य के प्रकाश में बिताना मुख्य वजह बताई जाती है। सर्दी के इस मौसम में सूर्य का प्रकाश शरीर के लिए स्वास्थवर्द्धक और त्वचा और हड्डियों के लिए बेहद लाभदायक होता है।
मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है? Why Makar Sankranti is celebrated?
मकर संक्रांति के पर्व को लेकर कई सारी मान्यताएं प्रचलित हैं, लेकिन इस विषय की जो सबसे प्रचलित मान्यता है, वह यह है कि हिंदू धर्म के अनुसार जब सूर्य एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करता है, तो उसे संक्रांति कहा जाता है और इन राशियों की संख्या कुल मिलाकर बारह हैं लेकिन इनमें मेष, मकर, कर्क, तुला जैसी चार राशियां सबसे प्रमुख हैं और जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तो मकर संक्रांति का यह विशेष पर्व मनाया जाता है।
इस दिन को हिंदू धर्म में काफी पुण्यदायी माना गया है और मान्यता है कि इस दिन किया जाने वाला दान अन्य दिनों के अपेक्षा कई गुना अधिक फलदायी होता है। इसके साथ ही यदि मकर संक्रांति के इस पर्व को समान्य परिपेक्ष्य में देखा जाये तो इसे मानने का एक और भी कारण है क्योंकि यह वह समय होता है, जब भारत में खरीफ (शीत श्रृतु) के फसलों की कटाई की जाती है और क्योंकि भारत एक कृषि प्रधान देश है इसलिए यह फसलें किसानों के आय तथा जीवनयापन का एक प्रमुख जरिया है। इसीलिए अपने अच्छी फसलों के प्राप्ति के लिए, वह इस दिन का उपयोग ईश्वर को धन्यवाद देने के लिए भी करते हैं।
मकर संक्रांति कैसे मनाते हैं? How to celebrate Makar Sankranti?
मकर संक्रांति उत्सव और आनंद का पर्व है क्योंकि यह वह समय भी होता है, जब भारत में खरीफ की नई फसल के स्वागत की तैयारी की जाती है। इसलिए इस त्योहार के दौरान लोगों में काफी प्रसन्नता और उत्साह देखने को मिलता है। इस दिन किसान भगवान से अपनी अच्छी फसलों के लिए आशीर्वाद भी मांगते है। इसलिए इसे फसलों और किसानों के त्योहारों के नाम से भी जाना जाता है।
इस दिन लोग सुबह में सर्वप्रथम स्नान करते हैं और उसके बाद दान कार्य करते हैं।इस दान को सिद्धा के नाम से भी जाना जाता है जिसे ब्राम्हण या किसी गरीब व्यक्ति को दिया जाता है, इसमें मुख्यतः चावल, चिवड़ा, ढुंढा, उड़द, तिल आदि जैसी चीजें होती है।
हालांकि महाराष्ट्र में इस दिन महिलाएं एक दूसरे को तिल गुढ़ बांटते हुए “तिल गुड़ ध्या आणि गोड़ गोड़ बोला” बोलती हैं। जिसका अर्थ होता है तिल गुढ़ लो और मीठा बोलो, वास्तव में यह लोगो से संबंधों को प्रगाढ़ करने का एक अच्छा तरीका होता है। इस दिन बच्चों में भी काफी उत्साह देखने को मिलता है क्योंकि यह वह दिन होता है, जिस पर उन्हें बेरोक-टोक पतंग उड़ाने तथा मौज-मस्ती करने की अनुमति होती है।
इस दिन को भारत के विभिन्न राज्यों में विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है। उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में मकर संक्रांति के पर्व को खिचड़ी कहकर भी पुकारा जाता है। इस दिन इन राज्यों में खिचड़ी खाने तथा दान करने की प्रथा है। पश्चिम बंगाल में इस दिन गंगासागर स्थान पर काफी विशाल मेला भी लगता है, जिसमें लाखों के संख्या में श्रद्धालु इकठ्ठा होते हैं। पश्चिम बंगाल में मकर संक्रांति के पर्व पर तिल दिन करने की परम्परा है।
मकर संक्रांति मनाने की आधुनिक परम्परा
आज के वर्तमान समय में हर पर्व के तरह मकर संक्रांति का भी आधुनिकरण तथा बाजारीकरण हो चुका है। पहले समय में इस दिन किसान अपने अच्छी फसल के लिये ईश्वर को धन्यवाद देता था और घर पर उपलब्ध चीजों से खाने की तमाम तरह की सामग्रियां बनाई जाती थीं। इसके साथ ही घर बनी यह सामग्रियां लोग अपने आस-पड़ोस में भी बांटते थे, जिससे लोगों में अपनत्व की भावना का विकास होता था, परन्तु आज के समय में लोग इस पर्व पर खाने से लेकर सजावटी सामान जैसी सारी चीजें बाजार से खरीद लाते हैं।
जिससे लोगों में इस त्योहार को लेकर पहले जैसा उत्साह देखने को नही मिलता है। पहले के समय में लोग खुले मैदानों या खाली जगहों पर पतंग उड़ाया करते थे। जिससे किसी तरह के दुर्घटना होने की संभावना नही रहती थी, लेकिन आज के समय में इसका विपरीत हो गया है। अब बच्चे अपने छतों पर से पतंग उड़ाते हैं और इसके साथ ही उनके द्वारा चाईनीज मांझा जैसे मांझे का प्रयोग किया जाता है। जो हमारे लिए काफी खतरनाक हैं क्योंकि यह पशु-पक्षियों के लिए जानलेवा होने के साथ ही हमारे लिए भी कई तरह समस्याएं उत्पन्न करता है।
मकर संक्रांति में राशि के अनुसार दान
मेष राशि के लिए दान (For Aries)
मेष राशि के जातकों को मकर संक्रांति के दिन तांबे की वस्तुओं की दान करना चाहिए। इसके साथ ही आप लाल मसूर की दान भी इस दिन दान कर सकते हैं। यदि आप ऐसा करते हैं तो आपके क्रोध में कमीं आएगी और आप अपने जीवन के फैसलों को पूरी बुद्धिमता के साथ ले सकेंगे।
वृषभ राशि के लिए दान (For Taurus)
मकर संक्रांति के दिन वृषभ राशि के जातको को चांदी से बनी हुई किसी चीज का दान अवश्य करना चाहिए। यदि आप ऐसा करते हैं तो आपके ऐश्वर्य में लगातार वृद्धि होती रहेगी। इसके साथ ही आप सफेद वस्त्रों का दान भी कर सकते हैं।
मिथुन राशि के लिए दान (For Gemini)
मिथुन राशि के जातको को मकर संक्रांति के दिन हरी सब्जियों का दान अवश्य करना चाहिए। इसके साथ ही आप पीले वस्त्रों का दान भी कर सकते हैं। यदि आप ऐसा करते हैं तो आपके वैवाहिक जीवन में चल रही सभी प्रकार की समस्याएं समाप्त हो जाएंगी।
कर्क राशि के लिए दान (For Cancer)
कर्क राशि के जातको को मकर संक्रांति के दिन सफेद रंग का ऊन अवश्य दान करना चाहिए। इसके साथ ही आप मोती का दान भी कर सकते हैं।यदि आप इस दिन इन चीजों का दान करते हैं तो आपको मानसिक कष्टों में कमीं आएगी।
सिंह राशि के लिए दान (For Leo)
मकर संक्रांति के दिन सिंह राशि के जातको को मकर संक्रांति के दिन गुड़ का दान अवश्य करना चाहिए। इसके साथ ही इन्हें गेहूं का दान करना भी इनके लिए शुभ रहेगा। यदि सिंह राशि के जातक ऐसा करते हैं तो इनके मान- सम्मान में और भी अधिक वृद्धि होगी।
कन्या राशि के लिए दान (For Virgo)
मकर संक्रांति के दिन कन्या राशि के जातको को हरे रंग की मूंग की दाल की खिचड़ी का दान करना चाहिए। यदि आप ऐसा करते हैं तो आपको व्यापार में चल रही सभी प्रकार की परेशानियों से मुक्ति मिलेगी और आपके व्यापार में वृद्धि भी होगी।
तुला राशि के लिए दान (For Libra)
तुला राशि के जिन जातको का स्वास्थय अक्सर खराब रहता है। उन्हें मकर संक्रांति के दिन सात प्रकार के अनाज का दान करना चाहिए। ऐसा करने से आपका स्वास्थय पूरी तरह से ठीक हो जाएगा और आपको कभी भी गंभीर बीमारी का शिकार भी नहीं होना पड़ेगा।
वृश्चिक राशि के लिए दान (For Scorpio)
मकर संक्रांति के दिन वृश्चिक राशि के जातको को लाल रंग के कपड़ो का दान करना चाहिए। यदि आप ऐसा करते हैं तो आपको नौकरी में प्रमोशन की प्राप्ति हो सकती है। इतना ही नहीं लाल वस्त्रों के दान से आपमें सोचने और समझने की शक्ति भी बढ़ेगी।
धनु राशि के लिए दान (For Sagittarius)
धनु राशि के जातको को मकर संक्रांति के दिन सोने का दान अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से आपको सूर्यदेव की विशेष कृपा की प्राप्ति होगी। इसके साथ ही आप इस दिन पीले कपड़ों का दान भी कर सकते हैं।
मकर राशि के लिए दान (For Capricorn)
मकर संक्रांति के जिन जातको के अपने पिता के साथ संबंध खराब हैं उन्हें मकर संक्रांति के दिन काले रंग के कंबल का दान करन चाहिए। ऐसा करने से आपके संबंध अपने पिता के साथ पूरी तरह से ठीक हो जाएंगे। इतना ही नहीं ऐसा करने से आपके और उनके बीच में प्रेम भी बढ़ेगा।
कुंभ राशि के लिए दान (For Aquarius)
मकर संक्रांति के दिन कुंभ राशि के जातको को घी का दान अवश्य करना चाहिए। इसके साथ ही आपको मंदिर में तिल से बनी चीजों का दान भी अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से आपके जीवन की सभी परेशानियां पूरी तरह से समाप्त हो जाएंगी।
मीन राशि के लिए दान (For Pisces)
मीन राशि के जातको को मकर संक्रांति के दिन चने की दाल का दान अवश्य करना चाहिए। इसके साथ ही यदि आप गुड़ का दान भी कर सकें तो आपके लिए काफी उत्तम रहेगा। ऐसा करने से आपको न केवल सूर्य देव की बल्कि देवगुरु बृहस्पति की कृपा भी प्राप्त होगी।
भारत में मकर संक्रांति के विभिन्न नाम
नाम | स्थान |
---|---|
मकर संक्रांति | छत्तीसगढ़, गोआ, ओड़ीसा, हरियाणा, बिहार, झारखण्ड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, सिक्किम, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, बिहार, पश्चिम बंगाल, और जम्मू |
लोहड़ी | हरियाणा, पंजाब, हिमाचल |
ताईपोंगल, उझवर, तिरुनल, பொங்கல் | तमिलनाडु |
उत्तरायण | गुजरात, दीव दमण, उत्तराखण्ड |
संक्रांत मक्रात | बिहार, झारखंड, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश |
माघी | हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब |
भोगाली माघबिहु | असम |
शिशुर सेंक्रात | कश्मीर घाटी |
खिचड़ी | उत्तर प्रदेश, पश्चिमी बिहार |
पौष संक्रान्ति | पश्चिम बंगाल, उत्तरपूर्व भारत, बांग्लादेश |
मकर संक्रमण | कर्नाटक |
मकरचुला | ओडिशा |
सुग्गी | कर्नाटक |
माघसाजी | हिमाचल प्रदेश |
घुघूती | कुमाऊँ |
भारत के बाहर मकर संक्रांति के विभिन्न नाम
देश | नाम |
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बांग्लादेश | शक्रेण/ पौष संक्रान्ति |
नेपाल | माघे संक्रान्ति, माघी संक्रान्ति, खिचड़ी संक्रान्ति |
थाईलैण्ड | สงกรานต์, सोंगकरन |
लाओस | पि मा लाओ |
म्यांमार | थिंयान |
कम्बोडिया | मोहा संगक्रान |
श्रीलंका | पोंगल, उझवर तिरुनल |
मकर संक्रांति और लोहड़ी में अंतर क्या है?
- हमारे देश में मकर संक्रांति के पर्व को कई नामों से जाना जाता है। पंजाब और जम्मू-कश्मीर के लोग में इसे लोहड़ी के नाम से बड़े पैमाने पर मनाते हैं।
- लोहड़ी का त्यौहार मकर संक्रांति के एक दिन पहले मनाया जाता है।
- जब सूरज ढल जाता है तब घरों के बाहर बड़े-बड़े अलाव जलाए जाते हैं और स्त्री-पुरुष सज-धजकर नए-नए वस्त्र पहनकर एकत्रित होकर उस जलते हुए अलाव के चारों ओर भांगड़ा नृत्य करते हैं और अग्नि को मेवा, तिल, गजक, चिवड़ा आदि की आहुति भी देते हैं।
- सभी एक-दूसरे को लोहड़ी की शुभकामनाएं देते हुए आपस में भेंट बांटते हैं और प्रसाद वितरण भी करते हैं।
- प्रसाद में मुख्य पांच वस्तुएं होती हैं जिसमें तिल, गुड़, मूंगफली, मक्का और गजक होती हैं।
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