श्री राम की माँ कौशल्या महाराजा सुकौशल और अमृतप्रभा की पुत्री थी। कौशल्या के विवाह के योग्य हो जाने पर उनके स्वयम्बर के लिए सभी राज्यों के राजकुमारों को आमंत्रित किया गया। लेकिन आपसी मतभेदों के कारण सुकौशल ने महाराज दशरथ को आमंत्रित नहीं किया। चूंकि दशरथ कौशल्या को पसंद करते थे इसलिए उन्होंने सुकौशल के सामने मित्रता का हाथ बढ़ाया। राजा सुकौशल ने इस प्रस्ताव को ठुकराकर दशरथ को युद्ध के लिए ललकारा। इस युद्ध में दशरथ की विजय हुई और फिर कौशल्या का विवाह दशरथ के साथ हुआ। इस प्रकार कौशल्या अयोध्या की रानी बनी। राजा दशरथ के प्रथम पुत्र श्री राम थे जिनकी माता कौशल्या थी।
रामायण में आप सीता हरण के प्रसंग के बारे में जानते ही होंगे, जहां रावण के द्वारा अपनी बहन शूर्पणखा के अपमान का बदला लेने के लिए देवी सीता का हरण किया था। रामायण ग्रन्थ के अनेक संस्करण हैं जिनमे से आनंद रामायण के अनुसार लंकापति रावण ने माता सीता से पहले श्री राम की माँ कौशल्या का हरण किया था। ऐसा इसलिए हुआ क्योकि ब्रह्मा जी ने रावण के जीवन की भविष्यवाणी करते हुए बताया था कि दशरथ और कौशल्या पुत्र राम उसकी मृत्यु का कारण बनेंगे और राम के द्वारा ही उसका वध होगा। अपनी मृत्यु की बात सुन रावण भयभीत हो गया था जिस कारण उसने कौशल्या का अपहरण कर लिया।
अपहरण कर लेने के बाद रावण ने कौशल्या को एक बक्से में बंद करके एक द्वीप पर छोड़ दिया। जैसे ही नारद मुनि को इस बात का पता चला, उन्होंने राजा दशरथ को रानी कौशल्या के विषय में बताया। राजा दशरथ उस द्वीप पर पहुंचे और रावण की सेना से युद्ध करते हुए अंततः उस बक्से तक पहुंचे जहां रावण ने कौशल्या को बंद किया था। उन्होंने रानी कौशल्या को मुक्त किया और वापिस महल में ले गए। रावण के द्वारा यह कृत्य श्री राम के जन्म से ठीक पूर्व किया गया था। लेकिन आप सभी जानते हैं कि अंततः रावण का वध श्री राम के हाथों ही हुआ।