बिहार राज्य सरकार द्वारा वन्य जीव-जंतु, पक्षी एवं पर्यावरण के संरक्षण के लिए 13 क्षेत्रों को पर्यावरणीय संवेदनशील क्षेत्र (Eco Sensitive Zone) घोषित किया गया हैं। पर्यावरणीय संवेदनशील क्षेत्र (Eco Sensitive Zone) के अंतर्गत वन्य प्राणी अभयारण्य की सीमा से 2 किलोमीटर तक का वन क्षेत्र शामिल किया गया है।
बिहार में वर्तमान समय में एक राष्ट्रीय उद्यान (National Park) एवं 12 वन्य जीव अभयारण्य (Wildlife Sanctuaries) हैं। वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान (Valmiki National Park) बिहार का एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान, पश्चिमी चंपारण में स्थित है, इसकी स्थापना वर्ष 1989 ई. हुई थी।
- वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान (Valmiki National Park) में गैंडा, जंगली कुत्ता, बाघ, तेंदुआ, हिरण, काला भालु, जंगली भैंस आदि संरक्षित हैं।
- गौतम बुद्ध वन्य जीव अभयारण्य (Gautam Buddha Wildlife Sanctuary) गया में स्थित है, जिसमें तेंदुआ, हिरण, चीता, साँभर, चीतल आदि पाए जाते हैं।
- विक्रमशिला गांगेय डॉल्फिन अभयारण्य (Vikramshila Gangeti Dolphin Sanctuary) में डॉल्फिनो की संख्या 240 – 500 के मध्य है।
- भीमबाँध वन्य जीव अभयारण्य (Bhimbandh Wildlife Sanctuary) में साँभर, जंगली सूअर, तेंदुआ, भालु, भेड़िया, नीलगाय, बंदर, लंगूर, आदि संरक्षित हैं।
बिहार में वन्य जीव अभ्यारण्य (Wildlife Sanctuary in Bihar) निम्नलिखित हैं
- नागी बाँध पक्षी अभयारण्य, जमुई,
- नकटी बाँध पक्षी अभयारण्य, जमुई,
- वाल्मीकि वन्य जीव अभयारण्य, पश्चिमी चंपारण,
- वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान, पश्चिमी चंपारण,
- वाल्मीकि टाइगर रिजर्व, पश्चिमी चंपारण,
- कुशेश्वर स्थान पक्षी अभयारण्य, दरभंगा,
- गौतम बुद्ध वन्य जीव अभयारण्य, गया,
- भीमबाँध वन्य जीव अभयारण्य, मुंगेर,
- विक्रमशिला गांगेय डॉल्फिन आश्रयणी, भागलपुर,
- उदयपुर वन्य जीव अभयारण्य, पश्चिमी चंपारण,
- राजगीर या पंत वन्य जीव अभयारण्य, राजगीर, नालंदा,
- बरेला झील पक्षी आश्रयणी, वैशाली,
- कैमूर वन्य प्राणी आश्रयणी, कैमूर एवं रोहतास।
Quick Links
वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान
वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना वर्ष 1990 में हुई थी। वाल्मीकि नगर बेतिया से लगभग 100 किमी० की दूरी पर स्थित है जो कि पश्चिमी चंपारण जिले के सबसे उत्तरी भाग में नेपाल की सीमा के पास स्थित है। वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान उत्तर में नेपाल के रॉयल चितवन नेशनल पार्क और पश्चिमी जिले पर हिमालय पर्वत की गंडक नदी से घिरा हुआ है।
यह 898.45 वर्ग किलोमीटर (346.89 वर्ग मील) के क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां पर आप बाघ, स्लॉथ बीयर, भेड़िए, हिरण, सीरो, चीते, अजगर, पीफोल, चीतल, सांभर, नील गाय, चीते, हाइना, भारतीय सीवेट, जंगली बिल्लियां, हॉग डीयर, जंगली कुत्ते, बंदर, एक सींग वाले राइनोसिरोस तथा भारतीय भैंसों को देख सकते हैं।
भीमबांध वन्य जीव अभयारण्य
भीमबांध वन्य जीव अभयारण्य मुंगेर से 56 किलो मीटर की दूरी पर स्थित है। यह अभ्यारण्य मुंगेर जिले के दक्षिण पश्चिम में स्थित है। इस अभ्यारण्य की जमुई रेलवे स्टेशन से दूरी 20 किमी० तथा पटना हवाई अड्डे से दूरी 200 किमी० है। महाभारत के अनुसार, पांडवों में से एक भीम ने यहां एक बांध (बंद) का निर्माण किया था और इसलिए इसे भीमबांध कहा जाता है।
यह जंगल प्रसिद्ध खड़गपुर पहाड़ी श्रृंखला में स्थित है, जो गंगा नदी के दक्षिण में है और यह चारों ओर घनी आबादी के साथ गैर वन्य क्षेत्रों से घिरा हुआ है। इन वनों की वनस्पति बहुत घनी है, जहां साल, केंड, एवं अन्य पेड़ पाए जाते हैं।
अभयारण्य में बाघ, चीते, स्लॉथ बीयर, नील गाय, सांभर, बार्किंग डीयर, बंदर, वन्य भालू, चार सींग वाले एंटीलोप पाए जाते हैं। अभयारण्य के पास कई पर्यटक स्थल हैं, जिनमें ऋषि कुंड, सीता कुंड , हा-हा पंच कुमारी, रामेश्वर कुंड और खड़गपुर झील शामिल हैं।
राजगीर वन्यजीव अभयारण्य
राजगीर वन्यजीव अभयारण्य राजगीर रेलवे स्टेशन से 2 किमी० की दूरी पर स्थित है। इसकी पटना हवाई अड्डे से दूरी 105 किमी० है। पर्यावरण एवं वन विभाग द्वारा सन् 1978 में 35.84 वर्ग किलोमीटर के राजगीर अरण्य क्षेत्र को वन्यजीव अभ्यारण्य बना दिया गया था। हालाँकि कुछ वर्ष पहले तक इसे पंत वन्यजीव आश्रयणी के नाम से भी जाना जाता था।
इस क्षेत्र में गर्म पानी के कई झरने हैं। इन गर्म झरनों में सल्फर की काफी मात्रा पाई जाती है। राजगीर अभ्यारण्य में वनस्पतियों और वन्यप्राणियों की कई दुर्लभ प्रजातियां देखने को मिलती हैं। इस अभयारण्य में चीते, हाइना, बार्किंग डीयर और नील गाय आदि पाए जाते हैं। यहां पाए जाने वाली चिड़ियाँ इस प्रकार हैं – पीफाउल, जंगल फाउल, पार्टिज, काले और भूरे क्वेल्स, हार्न बील, तोते, डव, माइना आदि। राष्ट्रीय राजमार्ग 82 राजगीर वन क्षेत्रों से होते हुए जाती है।
कैमूर वन्यप्राणी आश्रयणी
कैमूर वन्यजीव अभयारण्य डीएफओ शाहबाद प्रभाग के तहत कैमूर जिले में स्थित है। इस अभयारण्य का क्षेत्रफल 1342 वर्ग किलोमीटर है। इस क्षेत्र में बाघों का आना-जाना लगा रहता है। यहां ब्लैक बक, नील गाय, चिंगारा, बाघ, चीते, हाइना, जंगली सुअर, स्लॉथ बीयर आदि पाए जाते हैं।
गौतम बुद्ध वन्य जीव अभयारण्य
यह अभयारण्य गया से 20 किलो मीटर की दूरी पर और बोध गया से 60 किलो मीटर की दूरी पर स्थित है। इस अभयारण्य का क्षेत्रफल 259 वर्ग किलो मीटर है। इस वनक्षेत्र की पहुंच छोटानागपुर की पहाड़ी और उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती इलाके तक है। इस कारण यह क्षेत्र वन्यप्राणियों के लिए बहुत बड़ा और अनुकूल इलाका माना जाता है। यहां पर बाघ, चीते, हाइना, स्लॉथ बीयर, जंगली कुत्ते, जंगली सुअर, सांभर, चित्तीदार हिरण और नील गाय आदि पाए जाते हैं।
उदयपुर वन्य जीव अभयारण्य
उदयुपर वन्यजीव अभयारण्य बेतिया से लगभग 15 किलो मीटर की दूरी पर पश्चिमी चंपारण जिले में स्थित है। यह 1978 में स्थापित किया गया था। यह लगभग 8.87 वर्ग किलो मीटर के क्षेत्र में फैला है। वन्यजीव अभयारण्य मुख्य रूप से आर्द्रभूमि है, जो गंडकी नदी के बाढ़ के मैदान में एक बैल झील पर स्थित है। यहां चित्तीदार हिरण, बार्किंग डीयर, जंगली सुअर, नील गाय, भेड़िए, जंगली बिल्लियां आदि पाई जाती हैं।
काबर झील पक्षी अभयारण्य
काबर झील पक्षी अभयारण्य बेगूसराय के उत्तर पश्चिम में 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस अभयारण्य का क्षेत्रफल 42 वर्ग किलोमीटर है। यह झील बूढ़ी गंडक नदी के किनारे बनी है जो लगभग 59 प्रकार के प्रवासी पक्षियों और 106 स्थानीय प्रजातियों के साथ मछलियों की 31 प्रजातियों का घर भी है। इसके अलावा यहां 165 पौधों की प्रजातियां पाई जाती हैं। इस झील को पक्षी विहार का दर्जा बिहार सरकार ने 1984 में दिया था।
गोगाबिल पक्षी अभयारण्य
यह अभयारणय कटिहार से 26 किलो मीटर की दूरी पर स्थित है और यह लगभग 217.99 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला है। इस इलाके को 21 मार्च 1990 में सरकार ने निषिद्ध क्षेत्र घोषित किया था। और यह वर्ष 2000 तक निषिद्ध क्षेत्र रहा। यह आर्द्र भूमि तरह तरह के जलीय जीवों और वनस्पति से भरपूर है तथा यह प्रवासी पक्षियों के लिए शीतकालीन आवास का कार्य होता है। ठंड का मौसम आते ही यहां देश-विदेश से लालसिर वाले ग्रीन, पोर्टचाई स्पाटबिल, टीलकूट, बहूमणि हंस, लालसर, श्वंजन, चाहा, क्रेन, आइविस, डक, अंधिगा आदि पक्षी आते हैं जो तीन-चार माह तक यहां पर रहते हैं।