महाभारत के अस्तित्व की कल्पना ही नही की जा सकती, अगर पांडव पुत्र भीम को नज़रअंदाज़ किया जाए। हस्तिनापुर के राजा पाण्डु के पांच पुत्रों को पांडव के नाम से जाना जाता है। ये पाँचों पांडव धर्मानुसार तो महाराज पाण्डु के पुत्र थे परन्तु ये पाँचों पांडव अलग अलग देवताओं के पुत्र थे। युधिष्ठिर देवता “धर्मराज” के पुत्र थे तो अर्जुन देवराज “इंद्रा” के पुत्र थे, नकुल एवं सहदेव “कुमार अश्विनी” के पुत्र थे और इसी प्रकार भीम “पवन देव” के पुत्र थे। भीम उन्हीं पवन देव के पुत्र थे जिनके पुत्र त्रेतायुग में “श्री हनुमान” जी थे।
महाबली भीम के बलशाली होने का प्रमाण उसके बचपन से ही मिलने लगा था। आइये जानते हैं भीम के जीवन से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से :
1. भीम जब मात्रा दो तीन महीने के ही थे तो माता कुंती उन्हें गोद में लिए अपने आश्रम की कुटिया के बाहर महाराज पाण्डु के साथ बैठी थी। तभी अचानक एक बाघ आश्रम की कुटिया के समीप आ गया था, उस बाघ को देख माता कुंती अत्यधिक भयभीत हो गयी और उठकर कुटिया के अंदर जाने लगी। अपने उस भय में माता कुंती यह भी भूल गयी की बालक भीम उनकी गोद में सो रहे हैं। जैसे ही माता कुंती अंदर जाने के लिए उठी, बालक भीम उनकी गोद से गिरकर एक चट्टान से जाकर टकरा गए। जिस चट्टान से बालक भीम जाकर टकराये थे वो चट्टान छोटे छोटे टुकड़ों में बंट गयी, जबकि बालक भीम पूरी तरह स्वस्थ थे और उन्हें बिलकुल भी चोट नहीं आयी थी। यह देख कर महाराज पाण्डु और माता कुंती को बहुत आश्चर्य हुआ था।
2. महाभारत को पढ़ने और टीवी पर देखने वाले ये बात तो जानते ही होंगे की महाराज पाण्डु ने किन्धव् ऋषि और उनकी पत्नी को शिकार खेलते समय मार दिया था। ऋषि किन्धव और उनकी पत्नी उस समय “हिरन” योनि में थे। राजा पाण्डु का बाण लगते ही किंधव ऋषि अपने मनुष्य रूप में आ गए थे, और उन्होंने राजा पाण्डु को श्राप दिया था की “तुमने जिस अवस्था में मुझे मारा है उस अवस्था में तुम जब भी होंगे तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी। किंधव ऋषि के इसी श्राप के कारन राजा पाण्डु ने अपना राज्य त्याग, अपने नेत्रहीन भाई “धृतराष्ट्र” को राजा बना दिया और स्वयं वन में चले गए थे, वन में माता कुंती और माता माद्री भी उनके साथ थी। एक दिन किंधव ऋषि के उसी श्राप के कारन राजा पाण्डु की मृत्यु हो गयी, राजा पाण्डु की मृत्यु के साथ ही माता माद्री ने अपने शरीर का त्याग कर दिया और माता कुंती पांचो पुत्रों को लेकर हस्तिनापुर लौट आयी। हस्तिनापुर में पांचो पांडव और कौरव भाई साथ में मिलकर खेला करते थे, परन्तु भीम खेल ही खेल में कौरव भाइयों को खूब मारा करते थे।
3. भीम के कौरवों के साथ इस व्यवहार से सभी कौरव परेशान थे, और एक दिन दुर्योधन ने भीम के खाने में उस समय ज़हर मिला दिया था जब सभी भाई खेल ही खेल में नदी किनारे जल विहार करने गए थे। जब भीम ज़हर के सेवन से मूर्छित हुए तो दुर्योधन ने भीम को उसी अवस्था में अपने भाइयों के साथ मिलकर गंगा नदी में फिंकवा दिया था| इस मूर्छित अवस्था में भीम पानी के अंदर ही अंदर ही नागलोक पहुँच गए और वहां के सभी नागों ने उन्हें डसना प्रारम्भ कर दिया था। इस प्रकार नागों के ज़हर की वजह से भीम के खाये हुए ज़हर का असर खत्म हो गया और भीम को होश आ गया। भीम की नज़र जब अपने चारों और खड़े नागों पर पड़ी तो उन्होंने नागों को मारना प्रारम्भ कर दिया, जिससे कई नाग मृत्यु को प्राप्त हुए| बचे हुए नाग नागराज “वासुकि” के पास गए और वासुकि अपने साथियों के साथ भीम के पास आये। वासुकि के एक साथी “आर्यक” ने भीम को पहचान लिया था, क्यूंकि वे भीम के नाना के नाना थे। आर्यक के आग्रह करने पर वासुकि ने भीम को उस कुन्दक का रास पिलाया जिसे पीने पर 10000 हाथियों का बल प्राप्त हो जाता था। कहा जाता है भीम का यही गुण उनके पुत्र “घटोत्कच” को भी प्राप्त हुआ था।
इस प्रकार भीम को 10000 हाथियों का बल प्राप्त हो गया था, जिस बल का प्रयोग महाबली भीम ने अपने जीवनकाल में बहुत बार प्रयोग किया था, और शत्रुओं का विनाश किया था।
भीम द्वारा किये गए कुछ प्रमुख वध हैं:
१. जरासंध वध
२. कीचक वध
३. दुःशासन वध
४. दुर्योधन वध
भीम मल युद्ध में परिपूर्ण थे, और उनकी इसी विशेषता और पराक्रम के कारन उन्होंने जरासंध को दो टुकड़ो में बाँट दिया था। कीचक का वध भीम ने द्रौपदी के अपमान का प्रतिशोध लेने के लिए किया था। दुर्योधन का वध उन्होंने प्रतिज्ञा पूर्ण करने के लिए और दुःशासन का वध उन्होंने दौपदी की प्रतिज्ञा पूर्ण करने के लिए और द्रौपदी के अपमान का बदला लेने के लिए किया था।
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