सूर्य पुत्र कर्ण के जन्म की कथा

महाभारत कथा में कर्ण की भूमिका बहुत ही अहम है। कर्ण ने यूं तो महभारत का युद्ध दुर्योधन के पक्ष से किया था, पंरतु कर्ण जैसे महान योद्धा की मृत्यु के समय दोनों ही पक्ष उनके शव के समक्ष नतमस्तक थे। कर्ण भी माता कुंती के ही पुत्र थे जो सूर्य भगवान के आशीर्वाद से हुए थे। उस समय कुंती का विवाह पांडू से नहीं हुआ था जिसके कारण माता कुंती को इस बात का भय हुआ कि लोग बच्चे के विषय में क्या पूछेंगे इसलिए उन्होंने करण को एक टोकरी में डाल कर नदी के पानी में बहा दिया। वह शिशु बाद में अधिरथ और राधा को मिला जिन्होंने उन्हें बड़ा किया। कर्ण भीअर्जुन की तरह ही महान धनुर्धर थे। कर्ण ने अपनी मृत्यु को रोकने वाले कवच और कुण्डल भी देवराज को युद्ध के प्रारम्भ से पहले दान कर दिए थे, इसी कारण कर्ण को महान दान वीर के रूप में जाना जाता है।

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