लाल किला: इतिहास, रोचक और अनसुने तथ्य

लाल किला भारत देश की शान है। भारत के इतिहास, अखंड भारत की झलक कुछ शब्दों के रूप में तो हम सभी ने देखी है। हम सभी ने हज़ारों कहानियां सुनी हैं, की कैसे अंग्रेजों ने भारत में अपना आधिपत्य स्थापित करने के लिए फुट डालो राज करो की नीति को अपनाया था।

आज हम भारत की एक ऐसी धरोहर के बारे में जानेंगे, आज़ादी के बाद जिस पर सबसे पहले भारत के झंडे को फहराया गया था, आज हम बात करेंगे दिल्ली की शान “लाल किला”; लाल किला न सिर्फ दिल्ली की शान अपितु पूरे भारत की शान है, प्रधानमंत्री द्वारा विशेष अवसरों जैसे छब्बीस जनवरी, पंद्रह अगस्त और दो अक्टूबर पर इसी लाल किले में ध्वज फहराया जाता है।

15 अगस्त, 1947 में भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिलने के बाद, देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने दिल्ली के लाल किले से पहली बार ध्वजा रोहण कर देश की जनता को संबोधित किया था और अपने देश में अमन, चैन, शांति बनाए रखने एवं इसके अभूतपूर्व विकास करने का संकल्प लिया था।

इसलिए इस किले को जंग-ए-आजादी का गवाह भी माना जाता है। वहीं तभी से हर साल यहां स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश के प्रधानमंत्री द्धारा लाल किले पर झंडा फहराए जाने की परंपरा है।

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लाल किले का इतिहास (Lal Quila History)

राजधानी दिल्ली में स्थित भारतीय और मुगल वास्तुशैली से बने इस भव्य ऐतिहासिक कलाकृति का निर्माण पांचवे मुगल शासक शाहजहां ने करवाया था।मुगल बादशाह शाहजहां के द्धारा बनवाई गई सभी इमारतों का अपना-अपना अलग-अलग ऐतिहासिक महत्व है।

उनके द्धारा बनवाये गए ताजमहल को उसके सौंदर्य और आर्कषण की वजह से दुनिया के सात आश्चर्यों में शामिल किया गया है, उसी तरह दिल्ली के लाल किले को न सिर्फ देश भर में अपितु विश्व भर में शोहरत मिली है। विश्व धरोहर की सूची में शामिल दुनिया के इस सर्वश्रेष्ठ किले के निर्माण कार्य की शुरुआत मुगल सम्राट शाहजहां द्वारा 1638 ईसवी में करवाई गई थी।

शाहजहां, इस किले को उनके द्धारा बनवाए गए सभी किलों में बेहद आर्कषक और सुंदर बनाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने 1638 ईसवी में ही अपनी राजधानी आगरा को दिल्ली स्थानांतरित कर लिया था, और फिर तल्लीनता से इस किले के निर्माण में सहयोग देकर इसे भव्य और आर्कषक रुप दिया था।

यह शानदार किला दिल्ली के केन्द्र  में यमुना नदी के तट पर स्थित है, जो कि तीनों तरफ से यमुना नदीं से घिरा हुआ है, जिसके अद्भुत सौंदर्य और आर्कषण को देखते ही बनता है। भारत के इस भव्य लाल किले का निर्माण काम 1648 ईसवी तक करीब 10 साल तक चला।

इस भव्य किला बनने की वजह से भारत की राजधानी दिल्ली को शाहजहांनाबाद कहा जाता था, साथ ही यह शाहजहां के शासनकाल की रचनात्मकता का मिसाल माना जाता था। मुगल सम्राट शाहजहां के बाद उसके बेटे औरंगजेब ने इस किले में मोती-मस्जिद का भी निर्माण करवाया था।

भारत की आजादी के बाद सबसे पहले देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इस पर तिरंगा फहराकर देश के नाम संदेश दिया था।

वहीं आजादी के बाद लाल किले का इस्तेमाल सैनिक प्रशिक्षण के लिए किया जाने लगा और फिर यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रुप में मशहूर हुआ, वहीं इसके आर्कषण और भव्यता की वजह से इसे 2007 में विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया गया था और आज इसकी खूबसूरती को देखने दुनिया के कोने-कोने से लोग इसे देखने दिल्ली जाते हैं।

लाल किले में दूसरे शासकों का शासन

मुग़ल शासक औरंगजेब के सत्ता में आने के बाद, मुग़ल सल्तनत की वित्तीय व् प्रशासनिक संरचना पर फर्क पड़ा, 18वी सदी आते आते मुग़ल साम्राज्य का पतन हो गया।औरंगजेब ने अपने शासन में लाल किले में मोती मस्जिद का निर्माण करवाया, औरंगजेब के सत्ता से हटने के बाद लाल किला 30 सालों तक शासकहीन रहा।

1712 में जहंदर शाह को यहाँ का शासक बनाया गया, कुछ ही साल में फर्रुखसियर राजा बन गया। फर्रुखसियर ने यहाँ बहुत लूट मचाई, चांदी से जड़ी उपरी दिवार को ताम्बे में बदल दिया गया।

1719 में लाल किले में मुहम्मद शाह आ गए, उन्होंने यहाँ 1739 तक राज्य किया, इसके बाद फारसी सम्राट नादिर शाह से वे हार गए, जिससे बाद लाल किले की गद्दी नादिर शाह को मिली। नादिर शाह ने, मुग़ल साम्राज्य को अंदर से खोखला कर दिया था,

यहाँ 3 महीने रहने के बाद वो वापस अपनी जगह चला गया। 1752 में मराठाओं ने दिल्ली की लड़ाई जीत ली, 1761 में मराठा पानीपत की तीसरी लड़ाई हार गए, जिसके बाद दिल्ली अहमद शाह दुर्रानी की हो गई.

1803 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी से मराठाओं की लड़ाई हुई, जिसमें वे हार गए, और दिल्ली व् लाल किला दोनों पर मराठा का हक नहीं रहा। लड़ाई जितने के बाद ब्रिटिश लोगों ने मुगलों की इस एतेहासिक जगह को अपना घर बना लिया, आखिरी मुग़ल बहादुर शाह 2 थे, जो किले में रहे थे, इन्होने 1857 की लड़ाई में ब्रिटिश को हराया था, लेकिन वे ज्यादा दिन तक यहाँ राज्य नहीं कर पाए।

ब्रिटिशों के इस महल में कब्जे के बाद इसे पूरी तरह से बदल दिया गया, दीवाने खास, मोती महल, शीश महल, बगीचा, हरम, फर्नीचर सब कुछ तोड़ दिया गया। किले को अंदरूनी रूप से तोड़ दिया गया था, 1890-1900 के दौरान ब्रिटिशर लार्ड ने लाल किले के टूटे हिस्से को फिर बनवाने का आदेश दिया।

लाल किले की संरचना

अष्टकोणीय आकार में बने दुनिया के इस सबसे खूबसूरत किले का निर्माण लाल बलुआ पत्थर एवं सफेद संगमरमर के पत्थरों से किया गया है। वहीं इस किले का जब निर्माण किया गया था तब इसे कोहिनूर हीरा जैसे कई बहुमूल्य रत्नों से सजाया गया था, लेकिन जब भारत पर अंग्रेजों का राज हुआ, तब वे इसे निकाल कर ले गए थे।

इसके साथ ही इस विशाल किले के अंदर शाही मयूर राज सिंहासन भी बनाया गया था, जिस पर बाद में अंग्रेजों में अपना कब्जा जमा लिया था। करीब डेढ़ किलोमीटर की परिधि में फैले भारत के इस भव्य ऐतिहासिक स्मारक के चारों तरफ करीब 30 मीटर ऊंची पत्थर की दीवार बनी हुई है,जिसमें मुगलकालीन वास्तुकला का इस्तेमाल कर बेहद सुंदर नक्काशी की गई है।

इसके साथ ही इसमें रेशमी चादर का भी इस्तेमाल किया गया है। मुगल, हिंदू और फारसी स्थापत्य शैली से मिलकर बने दुनिया के इस विशाल किले के परिसर में कई सुंदर और भव्य इमारते बनी हुई हैं, जो कि इसकी खूबसूरती को चार चांद लगा रही हैं और इसके आर्कषण को दो गुना बढ़ा देती है।

करीब डेढ़ किलोमीटर की परिधि में फैले इस भव्य लाल किले के अंदर  मोती मस्जिद, नौबत खाना, मीना बाजार, दीवाने खास, रंग महल, दीवानेआम, सावन जैसी कई खूबसूरता ऐतिहासिक इमारते बनी हुई हैं।

दुनिया के इस सबसे विशाल किले के अंदर तीन द्धार भी बने हुए हैं, इस किले के अंदर बने दिल्ली द्धार और लाहौर द्धार प्रमुख हैं, जिनका अपना ऐतिहासिक महत्व भी है। वहीं कई इतिहासकारों के मुताबिक पहले इस भव्य किले के अंदर 4 अलग-अलग दरवाजों का निर्माण करवाया गया था,

लेकिन सुरक्षा के चलते बाद में 2 दरवाजों को बंद कर दिया गया था।  भारत के राष्ट्रीय गौरव माने जाने वाले इस भव्य किले के अंदर मुगल काल की लगभग सभी कलाकृतियां मौजूद हैं।

इसके साथ ही दुनिया के इस सबसे खूबसूरत ऐतिहासिक स्मारक के आस-पास बने हर-भरे फूलों का बगीचा, मंडप और सजावटी मेहराब भी हैं। विश्व की इस सबसे भव्य और खूबसूरत ऐतिहासिक इमारत को बनाने में उस दौरान  करीब 1 करोड़ रुपए की लागत का खर्चा आया था, यह उस समय का सबसे शानदार और महंगा किला था, जिसका प्राचीन नाम ”किला-ए-मुबारक था ”।

महल की आंतरिक संरचना

लाहोरी गेट

लाहोरी गेट लाल किले का मुख्य गेट है जिसका नाम जिसका नाम लाहौर शहर से लिया गया है। औरंगजेब के शासनकाल के दौरान इस गेट का सौंदर्य खराब हो गया था, जिसे शाहजहाँ ने “एक सुंदर महिला के चेहरे पर घूंघट” के रूप में वर्णित किया था। 1947 के बाद से भारतीय स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राष्ट्रीय ध्वज को इस किले पर फहराया जाता है और प्रधानमंत्री अपना भाषण देते हैं।

दिल्ली गेट

दिल्ली गेट दक्षिण में एक सार्वजनिक प्रवेश द्वार है, जो बनावट में लाहौरी गेट के समान दिखता है। इस गेट के दोनों ओर दो बड़े पत्थर के हाथी एक दूसरे के आमने-सामने बने हुए हैं।

मुमताज महल

मुमताज महल, लाल किला परिसर के अंदर की 6 संरचनाओं में से एक है। लाल किले के अंदर की सभी संरचनाएँ यमुना नदी से जुड़ी हुई हैं। इस महल का निर्माण सफ़ेद संगमरमर से किया गया था और जिन पर फूलों की आकृति बनी हुई है। यह मुग़ल शासकों की वास्तुकला और डिजाइन का पता लगाने के लिए एक प्रभावशाली संरचना है।

ये पहले महिलाओं का रहने की जगह हुआ करता था और अब यह एक पुरातत्व संग्रहालय है। इस संग्रहालय के अंदर, मुगल काल से कई कलाकृतियां हैं जैसे तलवारें, कालीन, पर्दे, पेंटिंग और अन्य वस्तुएं रखी हुई हैं।

खस महल

खस महल पहले मुगल सम्राट का निजी आवास हुआ करता था। इस महल के अंदर तीन कक्ष हैं। जिसमे से एक बैठने का कमरा, सोने का कमरा और एक और कक्ष। इस महल को बड़ी सुंदरता के साथ सफेद संगमरमर और फूलों की बनावट से सजाया गया है।

रंग महल

इस महल में सम्राट की पत्नियाँ  रहती थीं। जब से इसे उज्वल रूप से चित्रित किया गया तब इसका नाम “पैलेस ऑफ कलर्स” रखा गया। इस महल को दर्पण के साथ सजाया गया था। इस महल में जमीन के नीचे बहते हुए पानी की एक धारा थी जो गर्मियों के दौरान इस महल के तापमान को ठंडा रखती थी।

हीरा महल

हीरा महल, लाल किले के दक्षिणी किनारे का एक भाग है, जिसे बहादुर शाह द्वितीय ने बनाया गया है। बताया जाता है कि बहादुर शाह ने इस महल के अंदर एक बहुत ही कीमती हीरे को छिपाया हुआ था, जो कोहिनूर हीरे से भी ज्यादा कीमती था। उत्तरी तट पर मोती महल को 1857 के विद्रोह के दौरान नष्ट कर दिया गया था।

मोती मस्जिद

औरंगज़ेब ने मोती मस्जिद को अपने निजी इस्तेमाल के लिए बनवाया था मोती मस्जिद का अर्थ है पर्ल मस्जिद। इस मस्जिद में कई गुंबद और मेहराब हैं। इस मस्जिद को संगमरमर से बनवाया गया था। इस मस्जिद में एक आंगन है। जहाँ पर आपको  वास्तुकला और डिजाइन की सादगी को देख सकते हैं।

दीवान-ए-खास

दीवान-ए-आम को मुग़ल बादशाह शाहजहां ने 1631 से 1640 के बीच बनवाया था। यह बादशाहों के महलनुमा शाही अपार्टमेंट हुआ करता था। इस जगह को अलंकृत सजावट के साथ सफेद संगमरमर में बनाया गया है। इस जगह पर सम्राट लोगों को देखते थे और लोग उन्हें देखते थे।

हमाम

हमाम एक ऐसी इमारत है जिसमें स्नान किया जाता था। इस इमारत का उपयोग सम्राटों द्वारा किया जाता था। इस इमारत में एक ड्रेसिंग रूम और नलों से बहता गर्म पानी है। जब यहाँ पर मुगलों ने शासन था उस  समय इन स्नान में गुलाब जल का उपयोग किया जाता था। यह स्नानघर  पुष्प रूपांकनों और सफेद संगमरमर में डिज़ाइन किए गए हैं।

नौबत खाना

दुनिया के इस सर्वश्रेष्ठ इमारत के अंदर बना नौबत खाना, यहां की प्रमुख ऐतिहासिक संरचनाओं में से एक है, जिसे प्रमुख रुप से संगीतकारों के लिए बनाया गया था। यह संगीतज्ञों के लिए बने महल का मुख्य द्वार है। छत्ता चौक के पास ही नक्कारखाना है जहां संगीतकारों की महफिल सजा करती थी। इसके अन्य आकर्षणों में दीवान-ए-आम, दीवान-ए-ख़ास, हमाम, शाही बुर्ज, मोती मस्जिद, रंगमहल आदि शामिल हैं।

चट्टा चौक

इस ऐतिहासिक और भव्य लाल किले के अंदर मुगलों के समय में हाट लगता था, जहां बेशकीमती गहने और कपड़े मिलते थे।

वास्तुशिल्प

लाल किले के निर्माण में प्रयोग में लाए गए लाल बालू पत्थरों के कारण ही इसका नाम लाल किला पड़ा। इसकी दीवारें ढाई किलोमीटर लंबी और 60 फुट ऊंची हैं। यमुना नदी की ओर इसकी दीवारों की कुल लंबाई 18 मीटर और शहर की ओर 33 मीटर है।

लाल किला सलीमगढ़ के पूर्वी छोर पर स्थित है। इसको अपना नाम लाल बलुआ पत्थर की प्राचीर एवं दीवार के कारण मिला है। यही इसकी चारदीवारी बनाती है।

वास्तुकला

लाल किले में उच्चस्तर की कला का निर्माण है। यहां की कलाकृतियां फारसी, यूरोपीय एवं भारतीय कला का मिश्रण हैं, जिसको विशिष्ट एवं अनुपम शाहजहांनी शैली कहा जाता था। दिल्ली की एक महत्वपूर्ण इमारत है जो भारतीय इतिहास एवं उसकी कलाओं को स्वयं में समेटे हुए है।

यह वास्तुकला संबंधी प्रतिभा एवं शक्ति का प्रतीक है। 1913 में राष्ट्रीय स्मारक घोषित होने से पहले भी लाल किले को संरक्षित एवं परिरक्षित करने के प्रयास किए गए थे। लाल किले की दीवारें दो मुख्य द्वारों दिल्ली गेट एवं लाहौर गेट पर खुली हैं।

पर्यटन की दृष्टि से

लाल किला के सौंदर्य, भव्यता और आर्कषण को देखने दुनिया के कोने-कोने से लोग आते हैं और इसकी शाही बनावट और अनूठी वास्तुकला की प्रशंसा करते हैं। यह शाही किला मुगल बादशाहों का न सिर्फ राजनीतिक केन्द्र है बल्कि यह औपचारिक केन्द्र भी हुआ करता था, जिस पर करीब 200 सालों तक मुगल वंश के शासकों का राज रहा।

दिल्ली का लाल किला को राष्ट्रीय राजधानी के सबसे अच्छे और जरूर देखने योग्य स्थान के तौर पर गिना जाता है। निस्संदेह, इस चमत्कृत कर देने वाले ढांचे से जुड़ा इतिहास मुगल राजशाही और ब्रिटिशर्स के खिलाफ संघर्ष की दास्तान सुनाता है।

लाल बलुआ पत्थर से बना लाल किला 250 एकड़ में फैला है। इसमें भारतीय, यूरोपीय और फारसी वास्तुकला का बेहतरीन मिश्रण देखने को मिलता है।

लाल किले का आर्किटेक्चर इतना आकर्षक है कि यह आज भी पुरानी दिल्ली के सबसे ज्यादा लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक बना हुआ है। सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों से आने वाले पर्यटक भी लाल किले को देखने का मौका नहीं गंवाना चाहते।

लाल किला पुरानी दिल्ली में स्तिथ है, जो दिल्ली का मुख्य दर्शनीय स्थल है। यहाँ हजारों की संख्या में हर साल लोग आते है। यह हफ्ते में 6 दिन आम जनता के लिए खुला रहता है, सोमवार को ये बंद रहता है।

यहाँ अंदर जाने के लिए भारतियों की टिकट 10 रूपए व् विदेशियों की 150 रूपए की आती है। यह सुबह 9:30 से शाम 4:30 बजे तक खुला रहता है. यहाँ रोज शाम को साउंड व् लाइट शो होता है, जो मुगलों के इतिहास को दिखाता है।

इस लाइट शो को देखने के लिए अलग से 50 रूपए लगते है। ये लाइट शो पर्यटकों का मुख्य आकर्षण का केंद्र होता है। यहाँ कुछ महल को बिलकुल पहले की तरह की सजा के रखा गया है, ताकि लोग हमारी पुरानी संस्कृति को करीब से जान सके, और इतिहास को भी देख पायें।

यहाँ मस्जिद, हमाम को जनता के लिए बंद करके रखा हुआ है। लाहोर गेट को भी हस्तकला के द्वारा सजाया गया है, यहाँ के संग्रहालय में बहुत सी पुरानी चीजों को संजों के रखा गया है।

लाल किले तक पहुंचना बहुत आसान है। यदि आप बाहर से आए पर्यटक हैं तो किसी भी टैक्सी या परिवहन के किसी अन्य साधन के जरिए लाल किले तक पहुंच सकते हैं।

यदि आपके पास शहर का नक्शा हैं तो वह भी लाल किले तक पहुंचने में आपकी मदद कर सकता है। आप सही रास्ता पकड़ लो तो न केवल आसानी से लाल किले तक पहुंच सकते हैं, बल्कि आसपास के कुछ अन्य पर्यटक स्थल भी देख सकते हैं।

यमुना नदी के किनारे स्थित लाल किला आज भी एक महत्वपूर्ण स्मारक के तौर पर जगह बनाए हुए हैं। इसमें भव्य इतिहास की झलक दिखाई देती है। इस आलीशान किले के अंदर पर्यटकों के लिए कई खूबसूरत ढांचे मौजूद हैं, जो उन्हें आश्चर्यचकित करने के साथ ही इतिहास के प्रति गौरवान्वित होने का अनुभव देते हैं।

इनमें दीवान-ए-आम, संगमरमर से बने भव्य महल, मस्जिद, बगीचे और आलीशान महल शामिल हैं। इनमें आपको मुगल शासकों का समृद्ध इतिहास दिखाई देता है। यह किला आज भी अपनी प्रभावशाली लाल बलुआ पत्थर की दीवार, विशाल गढ़ और दीवार पर किए गए बेहतरीन काम के सहारे पर्यटकों को सम्मोहित कराता है।

Lal Quila Entry Fee, Timing, Address

स्थानःनेताजी सुभाष मार्ग, चांदनी चौक, नई दिल्ली 110006
Nearest Metro Station:चांदनी चौक
Opening Time:सुबह 9:30 बजे से शाम 4:30 बजे तक
अवकाशःसोमवार
Entry Fee10 रुपए (भारतीयों के लिए), 250 रुपए (विदेशियों के लिए)
साउंड और लाइट शो वयस्कों के लिए एंट्री फीः80 रुपए
साउंड और लाइट शो बच्चों के लिए एंट्री फीः30 रुपए
फोटोग्राफीःकोई शुल्क नहीं
वीडियो फिल्मिंगः25 रुपए
फोन नंबर (ऑफिशियल):+91-11-23277705
ऑफिशियल वेबसाइट:www.delhitourism.gov.in

Light and Sound Show (लाइट एंड साउंड शो)

यह शाम छह बजे शुरू होता है। मुगल इतिहास के बारे में हिंदी व अंग्रेजी में विस्तार से बताया जाता है। आपको इस शो के लिए अतिरिक्त टिकट खरीदना होगा। टिकट की कीमत 80 रुपए (वयस्क के लिए) और 30 रुपए (बच्चों के लिए) है।

लाल किले के बारे में रोचक और अनसुने तथ्य

1. दुनिया के इस सबसे खूबसूरत किले के नाम भले ही इसके लाल रंग की वजह से मिला हो, लेकिन वास्तव में यह सफेद किला है, वहीं पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अनुसार इस ऐतिहासिक किले के कुछ भाग को चूने के पत्थर से बनाया गया है।

2. मुगलकालीन वास्तुकला की इस सर्वश्रेष्ठ इमारत लाल किले को उस्ताद हामिद और उस्ताद अहमद ने बनाया है, जो कि अपने समय की सबसे महंगी इमारत थी।

3. लाल किले पर करीब 200 साल तक मुगल सम्राटों का राज रहा, जबकि साल 1747 ईसवी में नादिर शाह द्धारा इसे लूट लिया गया था, और फिर भारत में अंग्रेजों का राज होने पर उन्होंने इसे लूटने में कोई कोई कसर नहीं छोड़ी।

4. मुगल सम्राट शाहजहां ने दुनिया के इस सबसे खूबसूरत और भव्य किले का निर्माण तब करवाया था, जब उसने अपनी राजधानी को आगरा से दिल्ली शिफ्ट कर लिया था, वहीं इस भव्य किले का निर्माण मुर्हरम के महीने में शुरु हुआ था।

किन बातों का ध्यान रखें?

1. अपने साथ पानी लेकर जाएं, बाहर से कुछ खाने का सामान लाने की अनुमति नहीं है।

2. जेबकतरों और ठगों से सावधान रहे।

3. लाइट एंड साउंड शो जरूर देखें। यह काफी रोचक है।

4. चट्टा चौक में शॉपिंग करते वक्त मोल-भाव पर ध्यान दें। हर छोटे-बड़े सामान की कीमत बहुत ज्यादा रखी है। एक बार आप स्मारक को देख लें तो आप शॉपिंग कर सकते हैं। चांदनी चौक मार्केट में खाने-पीने की दुकानों पर भी धावा बोल सकते हैं। पराठे वाली गली में पराठे जरूर खाएं। आपको यह अच्छा लगेगा।

दिल्ली के लाल किले की विश्व भर में अपनी एक अलग पहचान है, इसका ऐतिहासिक महत्व होने के साथ-साथ अपनी भव्यता और शानदार बनावट के लिए भी जाना जाता है।

लाल किले से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न (FAQs)

लाल किला कहाँ स्थित है?

दिल्ली में

लाल किले से पहली बार ध्वजारोहण कब हुआ?

15 अगस्त 1947

लाल किले से पहली बार ध्वजारोहण किसने किया?

देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने

लाल किले को किसके गवाह के रूप में जाना जाता है?

जंग-ए-आजादी का गवाह

लाल किले के निर्माण कार्य की शुरुआत कब हुई?

1638 ईसवी

लाल किले के निर्माण कार्य की शुरुआत किसने की?

मुगल सम्राट शाहजहां

लाल किले को विश्व धरोहर की सूची में शामिल कब किया गया?

2007 में

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