बिहार में सिंचाई के प्रमुख साधन निम्नलिखित हैं:
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नहरें (Canals)
नहरें बिहार में सिंचाई का प्रमुख साधन है। बिहार में 11 प्रमुख नहरें एवं इनकी उप-शाखाएँ हैं, जो विभिन्न जिलों में विस्तृत हैं। बिहार में नहरों को दो प्रमुख भागों में वर्गीकृत किया जा सकता हैं –
- नित्यवाही नहरें – वह नहरें जिनमे वर्ष भर जल भंडारण रहता हैं नित्यवाही नहरें कहलाती है। उत्तरी बिहार की अधिकांश नहरें नित्यवाही नहरें हैं, जो या तो सीधे नदियों से या उन पर निर्मित बांधो के कृत्रिम जलाशयों से निकाली गई हैं।
- मौसमी नहरें (अनित्यवाही नहरें) – वह नहरे जो नदियां से निकाली गई हैं, किन्तु इनमें नदियों से वर्षा काल का अतिरिक्त जल प्रवाहित होता है तथा अतिरिक्त समय इनमे बहुत कम पानी उपलब्ध होता है।
नलकूप (Tube well)
नलकूप बिहार में सिंचाई का दूसरा प्रमुख साधन हैं। बिहार में गंगा के मैदान की भौगोलिक बनावट पातालतोड़ कुआँ (Artigion Well) की तरह है, जिस कारण इस क्षेत्र में भूमिगत जल कम गहराई पर पाया जाता है। यह नलकूप (Tubewell) सिंचाई के लिए आदर्श स्थिति उत्पन्न करता है।
तालाब (Pond)
तालाबों द्वारा सिंचाई एक पुरानी पद्धति है, जो बिहार राज्य में लगभग सभी जिलों में अपनाई जाती है। तालाब प्राकृतिक और कृत्रिम दोनों प्रकार हैं। इनमें जल का भंडारण कर दिया जाता है, जो सिंचाई में उपयोग होता है।
कुएँ (Well)
इसके अतिरिक्त कुएँ प्राचीन समय से ही बिहार में सिंचाई का प्रमुख साधन रहे हैं। गंगा के मैदान में भू-जलस्तर पर्याप्त ऊँचाई पर है। कहीं-कहीं तो 10 फीट खोदने पर जल का स्रोत मिलने लगता है। कुओं से पानी निकालने के लिए ढेकली और रहट का प्रयोग किया जाता है, जो नालियों द्वारा खेतों तक पहुँचता है।