धनतेरस 2023 तिथि, मुहूर्त – धनतेरस के दिन क्या ना लें? Dhanteras 2023 Date, Time

धनतेरस का पर्व कार्तिक मास कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि के दिन पूरी श्रद्धा व विश्वास के साथ मनाया जाता है। इस दिन मृत्यु के देवता यम और भगवान धन्वन्तरि की पूजा की जाती है। दीपावली – धनतेरस से प्रारम्भ हो कर नरक चौदस या छोटी दीपावली, दीपावली, गोवर्धन पूजा और अंत में भाई-दूज व चित्रगुप्त पूजा के साथ ही ये पर्व पाँच दिन में पूर्ण होता है। धनतेरस का अर्थ होता है धन की तेरह गुणा वृद्धि होना।

व्यक्ति चाहे व्यापार में हो या नौकरी में या कृषि के क्षेत्र में, हर इंसान अपने धन में वृद्धि करना चाहता है। धनतेरस के दिन खरीद करना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन आप छोटी या बड़ी वस्तु खरीदकर अपने लिए भाग्य का दरवाजा खोल सकते हैं।

शास्त्रों में वर्णित कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धनवंतरी अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए। मान्यता है कि भगवान धनवंतरी विष्णु के अंशावतार हैं। संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धनवंतरी का अवतार लिया था। जिस प्रकार देवी लक्ष्मी सागर मंथन से उत्पन्न हुई थी उसी प्रकार भगवान धनवन्तरि भी अमृत (औषधि) कलश के साथ सागर मंथन से उत्पन्न हुए हैं।

देवी लक्ष्मी हालांकि धन देवी हैं परन्तु उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए आपको स्वास्थ्य और लम्बी आयु भी चाहिए यही कारण है धन तेरस के दिन मृत्यु के देवता यमराज और भगवान धन्वंतरि की पूजा का महत्व है।

धनतेरस 2023 पर्व तिथि व मुहूर्त (Dhanteras 2023 Date, Time)

dhanteras
धनतेरस 2023 तिथि (Dhanteras 2023 Date):शुक्रवार, 10 नवंबर 2023
धनतेरस पूजन मुर्हुत:शाम 05:47 बजे से शाम 07:43 बजे तक
प्रदोष काल:शाम 05:30 से रात 08:08 बजे तक
वृषभ काल:शाम 05:47 से रात 07:43 बजे तक

धनतेरस कैसे मनाया जाता है? (How Dhanteras is celebrated)

  • शुभ मुहूर्त समय में लक्ष्मी पूजन करने के साथ सप्त धान्य (गेंहूं, उडद, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर) की पूजा की जाती है।सप्त धान्य के साथ ही पूजन सामग्री में विशेष रुप से स्वर्ण पुष्पा (पीली केतकी / अमलतास) के पुष्प से भगवती का पूजन करना लाभकारी रहता है| इस दिन पूजा में भोग लगाने के लिये नैवेद्य के रुप में श्वेत मिष्ठान का प्रयोग किया जाता है
  • धनतेरस के दिन हल्दी और चावल पीस कर उसके घोल से घर के प्रवेश द्वार पर “ॐ” बना दे।
  • धनतेरस के दिन घर में नई चीज, खासकर बर्तन और सोना-चांदी खरीदकर लाने की पारंपरिक रिवाज है।लक्ष्मी गणेश अंकित चांदी का सिक्का खरीदें या चांदी का कोई बर्तन नया बर्तन खरीदे जिसमें दीपावली की रात श्री गणेश व देवी लक्ष्मी के लिए भोग चढ़ाएं।
  • आज के दिन चाँदी खरीदना शुभ माना गया है चाँदी चंद्रमा का प्रतीक है जो शीतलता प्रदान करता है कुछ जगह तो यह कहावत है कि धन तेरस पर खरीदी गई वस्तु में तेरह गुनी वृद्धि होती है।
  • लक्ष्मी जी व गणेश जी की चांदी की प्रतिमाओं को इस दिन घर लाना, घर- कार्यालय,. व्यापारिक संस्थाओं में धन, सफलता व उन्नति को बढाता है
  • आज के दिन सुन्दरकाण्ड का पाठ जरूर करें।
  • धनतेरस की शाम को अखंड दीपक जलाना चाहिए जो दीपावली की रात तक जरूर जलता रह| अगर दीपक भैया दूज तक अखंड जलता रहे तो घर के सारे वास्तु दोष भी समाप्त हो जाते हैं|
  • गाय के शुद्ध घी के दीपक में केसर दाल कर लाल धागे की बाती लगा कर घर के ईशान कोण में जलाएं |
  • आर्थिक अनुकूलता के लिए अपने घर के मुख्य द्वार पर आज के दिन तेल का दीपक दो काली गुंजा दाल कर प्रज्वलित करें  गन्धादि से पूजन करके अन्न की ढ़ेरी पर रख दें। स्मरण रहे वह दीप रात भर जलते रहना चाहिये, बुझना नहीं चाहिये ।
  • धनतेरस के दिन यदि घर पर छिपकली दिख जाये तो यह समझे की पूरे वर्ष आपके घर पर धन की कमी नहीं होगी
  • इस दिन सूखे धनिया के बीज खरीद कर घर में रखना भी परिवार की धन संपदा में वृ्द्धि करता है. दीपावली के दिन इन बीजों को बाग/ खेतों में लागाया जाता है ये बीज व्यक्ति की उन्नति व धन वृ्द्धि के प्रतीक होते है.
  • धन तेरस और हस्त नक्षत्र का संयोग हरसिंगार का बाँदा घर में ले आएं और महालक्ष्मी पूजन करने के उपरांत लाल कप़डे में लपेट कर तिजोरी में रखें। धन और समृद्धि की बढ़ोत्तरी होती है, धन लाभ के नवीन अवसर प्राप्त होंगे।
  • अशोक वृक्ष का बांदा चित्रा नक्षत्र में लाकर रखने से ऐश्वर्य वृद्धि होती है।
  • सायंकाल पश्चात तेरह दीपक प्रज्वलित कर तिजोरी में कुबेर का पूजन करें।
  • लक्ष्मी यन्त्र, कुबेर यंत्र और श्री यन्त्र की स्थापना करें 

धनतेरस पूजा विधि (Dhanteras Puja Vidhi)

  • संध्याकाल में पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
  • पूजा के स्थान पर उत्तर दिशा की तरफ भगवान कुबेर और धन्वन्तरि की मूर्ति स्थापना कर उनकी पूजा करनी चाहिए।
  • इनके साथ ही माता लक्ष्मी और भगवान श्री गणेश की पूजा का विधान है।
  • ऐसी मान्‍यता है कि भगवान कुबेर को सफेद मिठाई, जबकि धनवंतरि‍ को पीली मिठाई का भोग लगाना चाहिए। क्योंकि धन्वन्तरि को पीली वस्तु अधिक प्रिय है।
  • पूजा में फूल, फल, चावल, रोली, चंदन, धूप व दीप का इस्तेमाल करना फलदायक होता है।
  • धनतेरस के अवसर पर यमदेव के नाम से एक दीपक निकालने की भी प्रथा है।
  • दीप जलाकर श्रद्धाभाव से यमराज को नमन करना चाहिए।

दीपक जलाते समय इस मंत्र का जाप करें: 

मृत्‍युना दंडपाशाभ्‍यां कालेन श्‍याम्‍या सह।
त्रयोदश्‍यां दीप दानात सूर्यज प्रीयतां मम।।

धनतेरस की कहानियाँ और किंवदंतियॉं

धनतेरस का जश्न मनाने के पीछे पौराणिक कथा, राजा हिमा के 16 साल के बेटे की कहानी है। उसके बारे में ऐसी भविष्य वाणी हुई थी कि उसकी मृत्यु शादी के चौथे दिन सॉप द्वारा काटने पर होगी। उसका पत्नी बहुत चालाक थी, उसने अपने पति का जीवन बचाने का रास्ते खोज लिया था। उसने उस विशेष दिन अपने पति को सोने नहीं दिया। उसने अपने सभी सोने व चॉदी के बहुत सारे आभूषण और सिक्के इकट्ठे किये और अपने शयन कक्ष के दरवाजे के आगे ढेर बना दिया और कमरे में प्रत्येक जगह दीये जला दिये। अपने पति को जगाये रखने के लिये उसने कहानियॉ सुनायी।

मृत्यु के देवता, यम साँप के रुप में वहॉ पहुंचे। गहनें और दीयों के प्रकाश से उनकी आँखें चौंधिया गयी। वह कमरे में घुसने में पूरी तरह असमर्थ थे, इसलिये उन्होनें सिक्कों के ढेर के ऊपर से कूद कर जाने का निश्चय किया। किन्तु राजकुमार की पत्नी का गीत सुनने के बाद वे वहीं पूरी रात बैठ गये। धीरे धीरे सुबह हो गयी और वे बिना उसके पति को लिये वापस चलें गये। इस तरह उसने अपने पति के जीवन की रक्षा की, तभी उसी दिन से यह दिन धनतेरस के रुप में मनाया जाने लगा।

दिवाली का जश्न मनाने के पीछे एक अन्य कथा, देवताओँ और राक्षसों द्वारा अमृत पाने के लिये समुन्द्र मंथन की कथा है। धनवंतरी (जिन्हें देवताओं के चिकित्सक और भगवान विष्णु के अवतार के रूप में जाना जाता है) सागर मंथन से (अमृत के जार के साथ) निकले थे। यहीं दिन धनतेरस के रुप में मनाया जाता है।

धनतेरस पर परम्पराएँ

  • हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार हिंदुओं द्वारा इस समारोह के अनुसरण करने के पीछे विभिन्न रीति रिवाजों और परंपराओं की किस्में है।
  • लोग नयी चीजें जैसें सोने व चॉदी के सिक्के, गहने, नये बर्तन और अन्य नयी वस्तुओं को खरीदने को अच्छा विचार मानते है।
  • लोगो का मानना है कि घर में नयी चीजें लाना पूरे वर्ष के लिये लक्ष्मी को लाने की पहचान है।
  • लक्ष्मी पूजा शाम को की जाती है, और लोग बुरी आत्माओं परछाई को दूर करने के लिये विभिन्न दीये जलाते है।
  • लोग बुरी शक्तियों को भी दूर करने के लिये भक्ति के गाने, आरती और मंत्र गाते है।
  • गाँव में लोग अपने मवेशियों को सजाते है और उनकी पूजा करते है क्योंकि उनकी आय का मुख्य स्त्रोत वे ही होते है।
  • दक्षिण भारतीय लोग गायों को सजा कर देवी लक्ष्मी के एक अवतार के रूप में उनकी पूजा करते हैं।

धनतेरस का महत्व (Importance of Dhanteras)

धनतेरस पर घर में नई चीजों को लाना बहुत शुभ माना जाता है। लोग कैलेंडर के अनुसार शुभ मुहूर्त के दौरान लक्ष्मी पूजा करते हैं। कुछ स्थानों पर सात अनाज (गेहूं, चना, जौ, उड़द, मूंग, मसूर) की पूजा की जाती है। माता लक्ष्मी की पूजा के दौरान सुनहरा फूल और मिठाई अर्पित की जाती हैं। यह त्यौहार सभी लोगों के जीवन में एक बड़ी भूमिका निभाता है।

यह सभी के लिए एक बहुत खुशी, धन, समृद्धि, बुद्धि और अच्छा भाग्य लाता है। लोग अपने आस पास से बुरी ऊर्जा और आल्स्य को हटाने के लिये सभी वस्तुओं को साफ करते है। पूजा करने से पहले लोग अपने शरीर, मस्तिष्क और आत्मा को साफ ककरने के लिये नहाते है।इस दिन देव धनवंतरि का जन्म दिन है, चिकित्सा विज्ञान से संबंधित सभी नए अनुसंधानों इसी दिन स्थापित किये जाते हैं।

धनतेरस के दिन लेने योग्य वस्तु

  • स्वास्तिक – स्वास्तिक अपने दरवाज़े पर लगाना अति शुभ माना जाता है
  • धनिया के बीज़ या खड़ा धनिया – इस दिन धनिया का  बीज खरीदना बहुत शुभ माना जाता है। इसे समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। लक्ष्मी पूजा के समय धनिया के बीज लक्ष्मी माँ को चढ़ाएं और पूजा के बाद अपनी तिजोरी में रखें ।
  • दिवाली की पूजा में लगने वाली सभी वस्तुएं दिवाली की  पूजा में लगने वाली सभी वस्तुएं जैसे – दीप, रुई बत्ती, धूप, कच्ची रुई, खील-खिलौने, लाई, बताशे आदि सब धनतेरस में ही ले लिए जाते हैं। साथ ही दिवाली के दिन पूजा करने के लिए माँ लक्ष्मी व गणेश जी की मूर्ति, उनके वस्त्र, माला इत्यादि भी धनतेरस के दिन ही ले लिए जाते हैं।    
  • बर्तन – जब भी कोई बर्तन लें। तो उसे खाली ले कर घर में प्रवेश ना करे, उसमे कुछ मात्रा में कोई अनाज़, धन या जल से भर कर ही प्रवेश करें, जिससे आपका घर धन-धान्य से भरा रहे। 
  • झाड़ू – जी हाँ धनतेरस में झाड़ू भी अवश्य खरीदें। झाड़ू खरीदने का सांकेतिक अर्थ ये है ,कि आप अपने घर से  ग़रीबी को हटा रहे हैं.

धनतेरस के दिन क्या ना लें?

इस दिन लोहे या एल्युमिनियम के समान, धारदार वस्तु जैसे चाकू, कैंची आदि, काँच का समान, कोई भी काली चीज़, नकली जेवर आदि ना खरीदें। यदि ऐसी कोई भी वस्तु आपको खरीदनी है, तो उसका भुगतान धनतेरस के एक दिन पहले कर लें, या धनतेरस के एक दिन पहले ही ले लें।

यह भी देखें: मकर संक्रांति तिथि, शुभ मुहूर्त – मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है?