एकादशी व्रत 2023 तिथियां, नियम, महत्व | Ekadashi 2023 List in Hindi

एकादशी व्रत (Ekadashi Vrat) का हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व है। हिंदू धर्म में व्रत एवं उपवास को धार्मिक दृष्टि से एक अहम स्थान दिया गया है। हिंदू धर्म में कई प्रकार के व्रत एवं उपवासों का प्रचलन है, जैन में नवरात्रि, शिवरात्रि, जन्माष्टमी आदि प्रमुख हैं, इन्हीं में से एक है एकादशी

हिंदू पंचांग के 11 में तिथि को एकादशी कहते हैं। एकादशी का दिन या तिथि महीने में 2 बार आती है जिसमें से एक पूर्णिमा के बाद आती है। पूर्णिमा के बाद आने वाले इस एकादशी को कृष्ण पक्ष की एकादशी कहा जाता है तथा दूसरी अमावस्या के बाद आती है जिसे शुक्ल पक्ष की एकादशी कहा जाता है। इन दोनों एकादशी का हिंदू धर्म में अति महत्वपूर्ण स्थान है इस में आस्था रखने वाले लोग इस दिन व्रत अथवा उपवास करते हैं।

एकादशी व्रत 2023 तिथियां (Ekadashi 2023 List in Hindi)

ekadashi vrat
पौष पुत्रदा एकादशी2 जनवरी 2023, सोमवारशुक्ल पक्ष
षटतिला एकादशी18 जनवरी 2023, बुधवारकृष्ण पक्ष
जया एकादशी1 फरवरी 2023, बुधवारशुक्ल पक्ष
विजया एकादशी16 फरवरी 2023, गुरुवारकृष्ण पक्ष
आमलकी एकादशी3 मार्च 2023, शुक्रवारशुक्ल पक्ष
पापमोचिनी एकादशी18 मार्च 2023, शनिवारकृष्ण पक्ष
कामदा एकादशी1 अप्रैल 2023, शनिवारशुक्ल पक्ष
वरुथिनी एकादशी16 अप्रैल 2023, रविवारकृष्ण पक्ष
मोहिनी एकादशी1 मई 2023, सोमवारशुक्ल पक्ष
अपरा एकादशी15 मई 2023, सोमवारकृष्ण पक्ष
निर्जला एकादशी31 मई 2023, बुधवारशुक्ल पक्ष
योगिनी एकादशी14 जून 2023, बुधवारकृष्ण पक्ष
देवशयनी एकादशी29 जून 2023, गुरुवारशुक्ल पक्ष
कामिका एकादशी13 जुलाई 2023, गुरुवारकृष्ण पक्ष
पद्मिनी एकादशी29 जुलाई 2023, शनिवार
परम एकादशी12 अगस्त 2023, शनिवार
श्रावण पुत्रदा एकादशी27 अगस्त 2023, रविवारशुक्ल पक्ष
अजा एकादशी10 सितंबर 2023, रविवारकृष्ण पक्ष
परिवर्तिनी एकादशी25 सितंबर 2023, सोमवारशुक्ल पक्ष
इंदिरा एकादशी10 अक्टूबर 2023, मंगलवारकृष्ण पक्ष
पापांकुशा एकादशी25 अक्टूबर 2023, बुधवारशुक्ल पक्ष
रमा एकादशी9 नवंबर 2023, गुरुवारकृष्ण पक्ष
देवउठनी एकादशी23 नवंबर 2023, गुरुवारशुक्ल पक्ष
उत्पन्ना एकादशी8 दिसंबर 2023, शुक्रवारकृष्ण पक्ष
मोक्षदा एकादशी22 दिसंबर 2023, शुक्रवारशुक्ल पक्ष
सफला एकादशी19 दिसंबर 2023, सोमवारकृष्ण पक्ष

उपवास करने के मुख्य नियम

  • इस व्रत का पालन एकादशी से पहले दशमी की रात्रि से ही शुरू कर दिया जाता है।
  • दसवीं के रात्रि को विष्णु भगवान जी एवं माता लक्ष्मी जी की आराधना की जाती है तथा एकादशी के व्रत का संकल्प लिया जाता है।
  • संकल्प करने के पश्चात बस स्टैंड प्याज और लहसुन से बना हुआ भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए तथा सात्विक भोजन ही करना चाहिए।
  • इसके अलावा सभी प्रकार के भोग विलास से दूर रहना चाहिए और पूर्णता ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
  • इसके बाद अगले दिन अथवा एकादशी के दिन प्रातः काल स्नान आदि से निवृत होकर साफ-सुथरे स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए।
  • इस दिन दाँत  साफ करने के लिए लकड़ी का दातुन इस्तेमाल नहीं करना चाहिए इसके स्थान पर नींबू या आम के पत्ते चबा सकते हैँ अगर नींबू अथवा आम के पत्ते ना हो तो पानी से 12 बार कुल्ला भी  कर सकते हैं तथा उंगली से कंठ को साफ कर लें।
  • इसके पश्चात प्रातः काल की इन प्रक्रियाओं से निवृत्त होकर श्री लक्ष्मी नारायण अर्थात भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करनी चाहिए संभव हो तो मंदिर में जाकर गीता पाठ भी कर सकते हैं खुद पाठ ना कर सके तो गीता पाठ का श्रवण कर सकते हैं।
  • इस प्रकार जितना हो सके भगवान की सेवा में समय व्यतीत करना चाहिए बुरे कार्यों से दूर रहना चाहिए। इस दिन किसी की भी निंदा आदि नहीं करनी चाहिए।
  • इस दिन ओम नमो भगवते वासुदेवाय द्वादश मंत्र का जाप करना चाहिए तथा सारे दिन मन में भी इस मंत्र का जाप निरंतर करते रहना चाहिए जैसे कि किसी भी तरह के बुरे विचार हमारे मन में नहीं आए।
  • इस दिन जितना हो सके अपने क्षमता एवं योग्यता अनुसार दान पुण्य करना चाहिए तथा किसी अन्य से कुछ भी दान स्वरूप ग्रहण नहीं करना चाहिए।
  • इस दिन को जितना हो सके सत्कर्म तथा दूसरे एवं भगवान की सेवा में लगाना चाहिए।
  • इस दिन अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए अगर चाहे तो केला आम आदि फलों का सेवन कर सकते हैं।

एकादशी व्रत कथा

एकादशी के व्रत के पीछे भी एक कथा प्रचलित है। मान्यता अनुसार कहा जाता है कि एक बार धर्मराज युधिष्ठिर जी ने भगवान श्रीकृष्ण से सभी दुखों को दूर करने सभी पापों को हरने हजार यज्ञों का अनुष्ठान द्वारा फल प्राप्ति तथा मुक्ति पाने हेतु उपाय पूछा इसके उत्तर में भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें एकादशी व्रत के बारे में बताया इसके महत्व को बताते हुए भगवान श्री कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को यह व्रत करने का निर्देश दिया जिससे कि व्यक्ति के जीवन के सभी दुखों का निवारण हो जाता है तथा उसे एकादशी व्रत का दिव्य फल प्राप्त होता है।

भगवान विष्णु के मंत्र (Lord Vishnu Mantra)

  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
  • श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
  • ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
  • ॐ विष्णवे नम:
  • ॐ हूं विष्णवे नम:

एकादशी व्रत का महत्व (Significance of Ekadashi Vrat)

  • एकादशी तिथि का व्रत नियम और निष्ठा पूर्वक करने वाले मनुष्य के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • इसके व्रत से राक्षस आदि की योनि से छुटकारा मिलता है और यह सर्वकार्य सिद्धि करती है।
  • एकादशी विवाह, सुख-समृद्धि और शांति प्रदान करती है,
  • साथ ही मोह-माया के बंधनों से मुक्त करती है।
  • इसका व्रत करने से व्यक्ति पारिवारिक सुख पाता है।
  • एकादशी व्रत से संतान सुख प्राप्त होता है।