भाई दूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला हिन्दू धर्म का पर्व है जिसे यम द्वितीया और भ्रातृ द्वितीया भी कहते हैं। भाई दूज दीपावली के दो दिन बाद आने वाला ऐसा पर्व है, जो भाई के प्रति बहन के स्नेह को अभिव्यक्त करता है एवं बहनें अपने भाई की खुशहाली के लिए कामना करती हैं।इसी वजह से इस पर्व पर यम देव की पूजा की जाती है। मान्यता के अनुसार जो यम देव की उपासना करता है, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है।
हिन्दू धर्म में त्यौहारों का अति महत्व है, त्यौहारों की श्रृंखला से ऐसा प्रतीत होना है मानों प्राचीन काल में प्रसन्नता व्यक्त करने का यह सबसे सरल माध्यम था। सभी त्यौहारों में कुछ त्यौहार ऐसे भी हैं जिनका विशेष रिश्तों के बीच में ही मनाया जाता है, और ऐसे त्यौहारों में दो त्योहारों का ज़िक्र सबसे पहले किया जाता है, रक्षाबंधन और भाई दूज।
हिंदुओं के बाकी त्योहारों कि तरह यह त्योहार भी परंपराओं से जुड़ा हुआ है। इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर और उपहार देकर उसकी लंबी आयु की कामना करती हैं, बदले में भाई अपनी बहन कि रक्षा का वचन देता है। इस दिन भाई का अपनी बहन के घर भोजन करना विशेष रूप से शुभ होता है। मिथिला नगरी में इस पर्व को आज भी यमद्वितीया के नाम से जाना जाता है। इस दिन चावलों को पीसकर एक लेप भाईयों के दोनों हाथों में लगाया जाता है, साथ ही कुछ स्थानों में भाई के हाथों में सिंदूर लगाने की भी परंपरा देखी जाती है।
भाई दूज 2021 तिथि: | शनिवार, 06 नवंबर 2021 |
भाई दूज तिलक मुहूर्त: | 13:10 से 15:21 तक (06 नवंबर 2021) |
द्वितीय तिथि प्रारंभ: | 11:14 PM (05 नवंबर 2021) |
द्वितीय तिथि समाप्त: | 07:44 PM (06 नवंबर 2021) |
होली भाई दूज | मंगलवार | 30 मार्च 2021 |
द्वितीया तिथि शुरू: | 20:55 – 29 मार्च 2021 |
द्वितीया तिथि ख़त्म: | 17:25 – 30 मार्च 2021 |
इस दिन बहनें भाई के मनपसंद पकवान बनाकर खिलाती हैं. थाली में खीर, पूरी, नारियल के गोले की बर्फी और इससे बनने वाली मिठाइयों के साथ पंजीरी, सब्जी आदि खास होते हैं.
भाई दूज के विषय में एक पौराणिक मान्यता के अनुसार यमुना ने इसी दिन अपने भाई यमराज की लंबी आयु के लिए व्रत किया था और उन्हें अन्नकूट का भोजन खिलाया था। कथा के अनुसार यम देवता ने अपनी बहन को इसी दिन दर्शन दिए थे। यम की बहन यमुना अपने भाई से मिलने के लिए अत्यधिक व्याकुल थी, अपने भाई के दर्शन कर यमुना बेहद प्रसन्न हुई। यमुना ने प्रसन्न होकर अपने भाई की बहुत आवभगत की।यम ने प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया कि इस दिन अगर भाई-बहन दोनों एक साथ यमुना नदी में स्नान करेगें, तो उन्हें मुक्ति प्राप्त होगी। इसी कारण से इस इन यमुना नदी में भाई-बहन के साथ स्नान करने का बड़ा महत्व है। इसके अलावा यम ने यमुना ने अपने भाई से वचन लिया कि आज के दिन हर भाई को अपनी बहन के घर जाना चाहिए, तभी से भाई दूज मनाने की प्रथा चली आ रही है।
पद्म पुराण में कहा गया है कि कार्तिक शुक्लपक्ष की द्वितीया को पूर्वाह्न में यम की पूजा करके यमुना में स्नान करने वाला मनुष्य यमलोक को नहीं देखता।
जिस तिथि को यमुना ने यम को अपने घर भोजन कराया था, उस तिथि के दिन जो मनुष्य अपनी बहन के हाथ का उत्तम भोजन करता है उसे उत्तम भोजन समेत धन की प्राप्ति भी होती रहती है।
लोगों को इस तिथि को अपने घर मुख्य भोजन नहीं करना चाहिए। उन्हें अपनी बहन के घर जाकर उन्हीं के हाथ से बने हुए पुष्टिवर्धक भोजन को स्नेह पूर्वक ग्रहण करना चाहिए तथा जितनी बहनें हों उन सबको पूजा और सत्कार के साथ विधिपूर्वक वस्त्र, आभूषण आदि देना चाहिए। सगी बहन के हाथ का भोजन उत्तम माना गया है। उसके अभाव में किसी भी बहन के हाथ का भोजन करना चाहिए। यदि अपनी बहन न हो तो अपने चाचा या मामा की पुत्री को या माता पिता की बहन को या मौसी की पुत्री या मित्र की बहन को भी बहन मानकर ऐसा करना चाहिए। बहन को चाहिए कि वह भाई को शुभासन पर बिठाकर उसके हाथ-पैर धुलाये। गंधादि से उसका सम्मान करे और दाल-भात, फुलके, कढ़ी, सीरा, पूरी, चूरमा अथवा लड्डू, जलेबी, घेवर आदि जो भी उपलब्ध हो यथा सामर्थ्य उत्तम पदार्थों का भोजन कराये। भाई बहन को अन्न, वस्त्र आदि देकर उससे शुभाशीष प्राप्त करे।
विधि में यदि निम्न चीज़ों की कमी हो तो विधि को पूर्ण नहीं माना जाता:
भाई के हाथों में सिंदूर और चावल का लेप लगाने के बाद उस पर पान के पांच पत्ते, सुपारी और चांदी का सिक्का रखा जाता है। उस पर जल उड़ेलते हुए भाई की दीर्घायु के लिये मंत्र बोला जाता है। भाई अपनी बहन को उपहार देते है. भाई की आरती उतारते वक्त बहन की थाली में सिंदूर, फूल, चावल के दाने, पान, सुपानी, नारियल, फूल माला और मिठाई होना जरूरी है।
एक उच्चासन (मोढ़ा, पीढ़ी) पर चावल के घोल से पांच शंक्वाकार आकृति बनाई जाती है। उसके बीच में सिंदूर लगा दिया जाता है। आगे में स्वच्छ जल, 6 कुम्हरे का फूल, सिंदूर, 6 पान के पत्ते, 6 सुपारी, बड़ी इलायची, छोटी इलाइची, हर्रे, जायफल इत्यादि रहते हैं। कुम्हरे का फूल नहीं होने पर गेंदा का फूल भी रह सकता है। बहन भाई के पैर धुलाती है। इसके बाद उच्चासन (मोढ़े, पीढ़ी) पर बैठाती है और अंजलि-बद्ध होकर भाई के दोनों हाथों में चावल का घोल एवं सिंदूर लगा देती है। हाथ में मधु, गाय का घी, चंदन लगा देती है। इसके बाद भाई की अंजलि में पान का पत्ता, सुपारी, कुम्हरे का फूल, जायफल इत्यादि देकर कहती है – “यमुना ने निमंत्रण दिया यम को, मैं निमंत्रण दे रही हूं अपने भाई को; जितनी बड़ी यमुना जी की धारा, उतनी बड़ी मेरे भाई की आयु।” यह कहकर अंजलि में जल डाल देती है। इस तरह तीन बार करती है, तब जल से हाथ-पैर धो देती है और कपड़े से पोंछ देती है। टीका लगा देती है। इसके बाद भुना हुआ मखान खिलाती है। भाई बहन को अपनी सामर्थ्य के अनुसार उपहार देता है। इसके बाद उत्तम पदार्थों का भोजन कराया जाता है।
स्पष्ट है कि इस व्रत में बहन को अन्न-वस्त्र, आभूषण आदि इच्छानुसार भेंट देना तथा बहन के द्वारा भाई को उत्तम भोजन कराना ही मुख्य क्रिया है। यह मुख्यतः भाई-बहन के पवित्र स्नेह को अधिकाधिक सुदृढ़ रखने के उद्देश्य से परिचालित व्रत है।
वर्तमान में भाई दूज के जगह रक्षा बंधन का पर्व अधिक लोकप्रिय हो चुका है। क्योंकि दोनो ही पर्व भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित है। इसलिए आज के समय में भाई दूज के पर्व की लोकप्रियता काफी कम होती जा रही है।
इसके साथ ही वर्तमान में इस पर्व में कई सारे परिवर्तन देखने को मिले है क्योंकि आज के व्यस्त और भागदौड़ से भरे जीवन में रिश्ते भी सिर्फ नाम मात्र के रह गये है और इसके साथ ही क्योंकि इस दिन अवकाश भी नही रहता है। इसलिए भी लोग इस दिन को पहले की तरह धूम-धाम से मनाने में असमर्थ होते है।
पहले के समय में लोग इस दिन अपने बहनों के घर जाकर टिका करवाया करते थे, लेकिन आज के समय में यह प्रथा बिल्कुल ही समाप्त हो चुकी है। अब बहुत ही कम लोग द्वारा इस प्रथा का पालन किया जाता है। यदि हमें भाई दूज के इस पर्व का महत्व बनाये रखना है, तो हमें इसके पारंपरिक स्वरुप को बनाये रखना होगा।
भाई-बहन के इस विशेष रिश्ते को समर्पित भाई दूज का यह पर्व काफी महत्वपूर्ण है। इस पर्व का मूल उद्देश्य भाई-बहन के बीच प्रेम तथा सद्भावना के प्रवाह को हमेंशा इसी तरह से बनाये रखना। यमुना और यमराज की कथा हमें यह संदेश देती है कि रिश्ते सभी कार्यों से बढ़कर होते हैं।
हम अपने जीवन में चाहे कितने भी व्यस्त क्यों ना हो लेकिन हमें इस बात का प्रयास करना चाहिए कि विशेष अवसरों पर हम अपने स्वजनों के लिए समय अवश्य निकाले और भाई दूज का पर्व भी हमें यहीं संदेश देता है। यहीं कारण है कि हमें इस पर्व के महत्व को समझते हुए, हर वर्ष इसे और भी उत्साह के साथ मनाने का प्रयास करना चाहिए।
भारत रत्न महामहोपाध्याय डॉ० पी० वी० काणे के अनुसार भ्रातृ द्वितीया का उत्सव एक स्वतंत्र कृत्य है, किंतु यह दिवाली के तीन दिनों में संभवतः इसीलिए मिला लिया गया कि इसमें बड़ी प्रसन्नता एवं आह्लाद का अवसर मिलता है जो दीवाली की घड़ियों को बढ़ा देता है। भाई दरिद्र हो सकता है, बहिन अपने पति के घर में संपत्ति वाली हो सकती है; वर्षों से भेंट नहीं हो सकी है आदि-आदि कारणों से द्रवीभूत होकर हमारे प्राचीन लेखकों ने इस उत्सव की परिकल्पना कर डाली है। भाई-बहन एक-दूसरे से मिलते हैं, बचपन के सुख-दुख की याद करते हैं। इस कृत्य में धार्मिकता का रंग भी जोड़ दिया गया है।
बहन चाहे भाई का प्यार नहीं चाहे महंगे उपहार, रिश्ता अटूट रहे सदियों तक मिले मेरे भाई को खुशियां अपार हैप्पी भाई-दूज....
प्रेम और विश्वास के बंधन को मनाओ जो दुआ माँगो उसे तुम हमेशा पाओ, भाई दूज के त्यौहार है, भईया जल्दी आओ; अपनी प्यारी बहना से आकर तिलक लगवाओ भाई दूज की शुभ कामनायें....
खुशनसीब होती है वो बहन जिसे भाई का प्यार मिलता है खुशनसीब होते हैं लोग जिन्हें यह संसार मिलता है, भाई दूज के त्यौहार की सभी को शुभ कामनायें...
बहन का प्यार किसी दुआ से कम नही होता, दूर रहकर भी, भाई-बहन का प्यार कम नही होता। भाई दूज की शुभकामनाएं
भाई दूज का आया है शुभ त्योहार, बहनों की दुआएं भाइयों के लिए हजार, भाई बहन का यह अनमोल रिश्ता है बहुत अटूट, बना रहे यह बंधन हमेशा खूब भाई दूज की शुभकामनाएं
दिल की यह कामना है कि आपकी ज़िंदगी खुशियों से भरी हो कामयाबी आपके कदम चूमे और हमारा यह बंधन सदा ही प्यार से भरा रहे भाई दूज की शुभकामनाएं
आज मुझे उन क्षणों की याद आ रही है भैया जब हमने आपके साथ वक़्त बिताया था हैप्पी भाई दूज
बहन लगाती तिलक, फिर मिठाई हैं खिलाती भाई देता पैसे और बहन है मुस्कुराती भाई बहन का ये रिश्ता ना पड़ें कभी लूज़ मेरे प्यारे भैया मुबारक हो आपको भाई दूज
भाईदूज का त्यौहार यक़ीनन है ख़ास यूँ ही बनी रहे हमेशा हमारे इस रिश्ते की मिठास भाईदूज की शुभकामनाएं
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