टीचर्स डे स्पीच इन हिंदी – भारत में शिक्षक दिवस (टीचर्स डे) प्रति वर्ष 5 सितम्बर को मनाया जाता है। 5 सितंबर, 1888 को तमिलनाडु के एक पवित्र तीर्थ स्थल तिरुतनी ग्राम में भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का जन्म हुआ था। समाज के लिए शिक्षकों द्वारा किये गए योगदान को श्रद्धांजलि का एक चिन्ह के रूप में शिक्षक दिवस मनाया जाता है।
डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन शिक्षा में कट्टर विश्वाश रखते थे और जाने-माने विद्वान्, राजनयिक और आदर्श शिक्षक थे। वह एक महान स्वतन्त्रता सेनानी भी थे। वह एक महान दार्शनिक और शिक्षक थे। उनको अध्यापन के पेशे से एक गहरा प्यार था। सन 1902 में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा अच्छे अंकों में उत्तीर्ण की जिसके लिए उन्हें छात्रवृत्ति प्रदान की गई. कला संकाय में स्नातक की परीक्षा में वह प्रथम आए. इसके बाद उन्होंने दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर किया और जल्द ही मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज में दर्शनशास्त्र के सहायक प्राध्यापक नियुक्त हुए. डॉ. राधाकृष्णन ने अपने लेखों और भाषणों के माध्यम से विश्व को भारतीय दर्शन शास्त्र से परिचित कराया।
शिक्षक दिवस पर शिक्षक और छात्र सामान्य रूप से विद्यालयों को जाते हैं, किन्तु सामान्य गतिबविधियों एवं अध्ययन और अध्यापन कार्य से अलग उत्सव, धन्यवाद और स्मरण की गतिविधियां सम्पादित होती हैं। कुछ विद्यालयों में इस दिन अध्यापन कार्य की जिम्मेदारी वरिष्ठ छात्रों द्वारा उठाई जाती है। भारतवर्ष के सभी शिक्षण संस्थानों में इस दिन को गंभीरता से मनाया जाता है। शिक्षक भी अपने छात्रों को दिल से आशीर्वाद देते हैं।
इस दिन भारत के राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कार देकर चयनित शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है। विभिन्न राज्यों द्वारा भी शिक्षकों को अनेक प्रकार के पुरस्कार एवं प्रशस्ति-पत्र देकर शिक्षकों का सामान किया जाता है।
मैं (आपका नाम) इस शिक्षक दिवस (टीचर्स डे) जैसे विशेष दिन में आप सबका स्वागत करता हूँ। हम हर साल 5 सितम्बर को शिक्षकों को विशेष सम्मान देने के लिए शिक्षक दिवस का आयोजन करते हैं। यह समाज एक बड़े परिवार जैसा है. इस परिवार में कई धर्म और कई जात-पात के लोग रहते हैं। इस समाज को समाज बनाये रखने का महत्त्वपूर्ण काम करते है समाज के शिल्पकार यानी शिक्षक. शिक्षक समाज के ऐसे शिल्पकार हैं जो बिना किसी मोह के इस समाज को सजाते हैं। ऐसे शिक्षकों को सही स्थान दिलाने के लिए हम हमारे भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में शिक्षक दिवस मनाते हैं। हर साल हम विद्यार्थी 5 सितम्बर को ही शिक्षक दिवस क्यों मानते है?
भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिन को ही भारत के शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। उनके जन्म दिन को शिक्षक दिवस मनाकर हम सब भारतवासी डॉ० राधाकृष्ण के प्रति सम्मान व्यक्त करते हैं।
इस विशेष दिन में, मैं डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्ण जी के सम्मान में कुछ शब्द बोलना चाहती/चाहता हूँ:
डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी स्वतंत्र भारत के दूसरे राष्ट्रपति हैं। उनका जन्म 5 सितम्बर 1888 को तमिलनाडु के एक पवित्र तीर्थ स्थल तिरुतनी ग्राम में हुआ था। इनके पिता सर्वपल्ली वीरास्वामी एक गरीब किन्तु विद्वान ब्रह्ममण थे। कईं जिम्मेदारियों के कारण राधाकृष्णन जी को बचपन में काफी कठिनाईओं का सामना करना पड़ा। इनके पिता एक धार्मिक विचारों वाले इंसान थे, फिर भी उन्होंने राधाकृष्णन जी को एक क्रिस्चियन मिशनरी स्कूल, तिरुपति में पढ़ने के लिए दाखिला करा दिया। इसके बाद उन्होंने तमिलनाडु के वेल्लोर और मद्रास कॉलेज में अपना शिक्षण पूरा किया था। वह शुरू से ही एक मेधावी छात्र रहे थे।
राधाकृष्णन जी की योग्यता को देखते हुए उन्हें संविधान निर्मात्री सभा का सदस्य बनाया गया था। इसी बीच उन्हें ख्याति प्राप्त विश्वविद्यालयों के चेयरमैन पद के लिए नियुक्त किया गया। फिर उन्हें उप-राष्ट्रपति का पद सँभालने का मौका मिला. 1962 में राधाकृष्णन जी ने राष्ट्रपति का पद भी संभाला। शिक्षा और राजनीती में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ० राजेंद्र प्रसाद ने महँ दार्शनिक शिक्षाविद और लेखक डॉ० राधाकृष्णन जी को देश का सर्वोच्च पुरूस्कार भारत रत्न पुरस्कार प्रदान किया।
शिक्षक हमे हर नयी चुनौतियों का सामना करना सिखाते हैं। शिक्षक भगवद गीता के कृष्ण भगवान जैसे होते हैं जो हमेशा अपने छात्र अर्जुन से कहते थे यथा इच्छसि तथा कुरु, जिसका मतलब है स्वयं अपने विचारों से निर्णय लेना। इससे छात्र का विचार और आत्मविश्वास बढ़ता है।
डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक मोमबत्ती की तरह खुद जलकर अपने छात्रों को ज़िन्दगी में जीने के लिए शिक्षण की रौशनी दिया करते थे। इसलिए हम डॉ० राधाकृष्णन जी के जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं। मुझे इस मंच पर शिक्षक दिवस के ऊपर दो शब्द बोलने का मौका देने के लिए में आप सबका शुक्रगुजार हूँ।
आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय समस्त सम्मानित शिक्षकगण और मेरे प्यारे मित्रों मैं आप सभी का इस शुभ अवसर जिसे हम शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं, मैं तहे दिल से हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन करता हूं ।
जैसा कि आपको पता है यह समारोह भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति, द्वितीय राष्ट्रपति एवं प्रख्यात शिक्षाविद जिन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन दिवस पर मनाते हैं डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुतनी गांव में हुआ था। और आपको यह जानकर भी हैरानी होगी कि अपने पढ़ाई के दौरान ही इन्होंने बाइबल के महत्वपूर्ण भाग को याद कर लिया था जिसके लिए इन्हें विशिष्ट योग्यता के सम्मान से सम्मानित किया गया था ।
मैं सभी को हमारे डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन पर प्रकाश डालते हुए यह बताने में भी हर्ष का अनुभव कर रहा हूं की डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी ने अपने जीवन के अमूल्य 40 वर्ष एक शिक्षक के रूप में अपने दायित्वों का निर्वाहन कर देश एवं समाज निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया , और वे पूरे विश्व को एक विद्यालय मानते थे और उनका मानना यह भी था कि मनुष्य के मस्तिष्क का सदुपयोग शिक्षा के द्वारा ही किया जा सकता है उनके इसी शिक्षा के प्रेम और लगन के कारण ही का जन्मदिन प्रत्येक वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है ।
उनका मानना यह था कि हमारे माता पिता हमें जन्म देते हैं एवं जीवन यापन की सुख सुविधा उपलब्ध कराते हैं परंतु शिक्षक हमारे उस अभिभावक की तरह है जो अपने ज्ञान रूपी दीपक की तरह है जो हमारे अंधकारमय जीवन को प्रकाशित कर एक उज्जवल भविष्य प्रदान करता है जिससे कि हम आगे चलकर अपने समाज के प्रति अपने दायित्वों का निर्वाहन पूरी ईमानदारी के साथ कर सके और साथ ही साथ एक सुदृढ़ एवं सशक्त समाज का निर्माण भी कर सकें।
जिस तरह से जीने के लिए हमारे शरीर को भोजन की आवश्यकता होती है और हम से विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व को प्राप्त कर जीवित रहते हैं उसी प्रकार जीवन में आगे बढ़ने और आने वाली कठिनाइयों का सामना करने के लिए एक शिक्षक का होना अति आवश्यक है जिससे कि हम उसके द्वारा सद्गुणों को सीख सके। जिस प्रकार एक शिल्पकार बेकार पत्थरों को अपनी निष्ठा और मेहनत से उसे अपनी छीनी और हटौड़ी की चोट से एक सुंदर मूर्ति का रूप देता है उसी प्रकार शिक्षक भी हमारे अंदर के बुराइयों को अलग कर हमें एक बेहतर इंसान बनाता है।
एक शिक्षक समाज की समस्याओं के समाधान के सागर के समान है जिससे अपने जीवन के समस्त समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकते हैं और हमें अपनी समस्त समस्याओं को अपने शिक्षक से साझा अवश्य करना चाहिए जिससे कि वह हमें उचित राय दे सके और हमें उस समस्या से निजात मिल सके या हम यूं कहें कि शिक्षक समाज के रीढ़ की हड्डी के समान है जो समस्त समाज के आधार का कार्य करता है और जिसके बिना एक बेहतर समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती है
शिक्षक हमें जब कभी डांटे तो हमें नाराज नहीं होना चाहिए क्योंकि उनकी यह डांट हमारे भविष्य को संवारने के लिए होती है जबकि अंदर से वह हमसे उतना ही प्यार करते हैं जितना कि हमारे माता पिता। उनका हमारे प्रति ये सख्त रवय्या हमारे अंदर की बुराइयों को समाप्त करने के लिए होता है।
आज हम सभी शिक्षक के इस अमूल्य योगदान के लिए अपने धन्यवाद एवं हमारे हृदय में उनके लिए जो अगाध प्रेम एवं सम्मान है उसे व्यक्त कर उन से यह निवेदन करते हैं कि वह इसी तरह अपना प्यार और आशीर्वाद देते रहें और हमारे जीवन के अंधकार को समाप्त कर एक बेहतर नागरिक बनने मैं हमारी सहायता करें और आज इस अवसर पर सब मिलकर एक दृढ़ निश्चय करें की जीवन की बड़ी से बड़ी उपलब्धियों को प्राप्त कर अपने शिक्षक एवं माता पिता का नाम विख्यात करेंगे ।
हमारे समाज को अच्छा बनाने और सुधारने में शिक्षक की बहुत बड़ी भूमिका होती हैइस शुभ अवसर पर हम अपने शिक्षकों को उनके सम्मान और आदर के लिए स्कूलों और कॉलेजों में विशेष कार्यक्रम करते है। इनके जन्म दिवस को ही हम शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं इस दिन हम अपने शिक्षक की सराहना करते हैं और उनका मनोबल बढ़ाते हैं। अंत में यह भाषण को खत्म करते हुए मैं सुजाता मिश्रा जी की कुछ पंक्तियां पढ़ना चाहूंगा।
गुरु आपकी ये अमृत वाणी
हमेशा मुझको याद रहे
जो अच्छा है जो बुरा है
उसकी हम पहचान करे
मार्ग मिले चाहे जैसा भी
उसका हम सम्मान करे
दीप जले या अँगारे हो
पाठ तुम्हारा याद रहे
अच्छाई और बुराई का
जब भी हम चुनाव करे
गुरु आपकी ये अमृत वाणी
हमेशा मुझको याद रहे
विद्यालय प्रांगण में उपस्थित सम्मानित सभी शिक्षक गण और मेरे प्यारे सहपाठियों, जैसा की आप सभी को यह विदित है की आज हम यहाँ शिक्षक दिवस मनाने और हमारे व राष्ट्र के भविष्य के निर्माण के लिए किये गए शिक्षकों के अथक प्रयासों को श्रद्धांजलि अर्पित के उपलक्ष्य में एकत्रित हुए है।
आज दिनाँक 5 सितम्बर है और आज के दिन को हम शिक्षक दिवस टीचर्स डे के रूप में बहुत ही ख़ुशी और धूम धाम के साथ मनाते हैं। अपना भाषण शुरू करने से पहले में अपनी कक्षा के सभी शिक्षकगणों का आभार व्यक्त करना चाहता हूँ जिन्होंने मुझे यह अवसर दिया की आज के इस महान अवसर पर अपने कुछ शब्द आप सभी के सामने प्रस्तुत कर सकूं।
दोस्तों, आज शिक्षक दिवस है और इसीलिए आज मैं आप सभी को एक शिक्षक के महत्व बारे में कुछ जरूरी बताना चाहता हूँ। शिक्षक प्रत्येक छात्र के सच्चे शुभचिंतक होता है, क्योंकि वे हर छात्र को अपने बच्चे की तरह मानते है। माता-पिता तो केवल अपने बच्चे को जन्म देते हैं पर शिक्षक एक मूर्तिकार की तरह उस बच्चे के जीवन को आकार देते है। हमारे माता-पिता हमें प्यार और हमारे देखभाल करते हैं लेकिन हमारे शिक्षक पूरे भविष्य को उज्ज्वल और सफल बनाने में हमारी मदद करते हैं।
शिक्षक एक बच्चे के लिए प्रेरणा का सबसे अच्छा स्रोत हैं वे न केवल छात्र की कमियों को ढूंढ कर उन्हें सही करते हैं बल्कि वे अपने छात्रों को आत्मविश्वास और कुशल भी बनाते हैं। हमें हमेशा उनका सम्मान करना चाहिए और उनके बनाए नियमो का पालन करना चाहिए क्योंकि वे हमारे गुरु हैं।
इस शिक्षक दिवस के भाषण को, मैं बस यह कहकर अब समाप्त करना चाहूंगा कि आप सभी शिक्षकों को तहे दिल से शुक्रिया की इतनी शैतानिया झेलने के बाद भी आप हमारे साथ रहे, आपने हमे समझा और हमारी कमियों का दूर किया। इन सब के लिए में अपने सभी सहपाठियों की और से आप सभी शिक्षकों एक बार फिर से धन्यवाद करता हूँ।
शिक्षक दिवस के इस अवसर पर, मैं रोहित कुमार वर्मा हमारे प्रिय शिक्षकों पर एक भाषण प्रस्तुत करने के लिए आज यहाँ आप सब के समक्ष उपस्थित हुआ हूँ!
हर कोई इस बात से सहमत होगा कि शिक्षक दिवस हमारे जीवन में रोमांचक दिनों में से एक है और इस दिन हम छात्रों को हमारे शिक्षकों की तरह सिखाने और उन्ही की तरह व्यवहार करने का अवसर मिलता है। आज का दिन हमारे शिक्षकों के लिए छुट्टी का होता है और उन्हें उनके परिवार और दोस्तों के साथ दिन का आनंद लेने का मौका होता है, क्योंकि पूरे साल वे जीवन की सभी समस्याओ को भूलकर हमारे साथ अपना समय बिताते हैं।
हम सभी जानते हैं कि ‘शिक्षक’ शब्द को परिभाषित करना बहुत ही कठिन है। वे न केवल हमें सही रास्ते पर चलना सिखाते हैं बल्कि हमें यह समझने में भी मदद करते हैं कि हमे अपने जीवन में कौन सा करियर चुनना चाहिए और कोनसा नहीं क्योंकि वे हमें इस दुनिया में किसी और से ज्यादा समझते हैं। वे हमारे सम्पूर्ण चरित्र और व्यक्तित्व का विकास करते हैं और हमारे जीवन में हर तरह की समस्या से निपटने की ताकत प्रदान करते हैं।
शिक्षक दूसरे माता-पिता की तरह होते हैं, जो हमारे जीवन पर बहुत ही सकरात्मक प्रभाव डालते हैं और जब भी हमें उनकी आवश्यकता होती है वे हमेशा एक समस्या से बाहर निकलने में हमारी मदद करने के लिए हमेशा मौजूद रहते हैं। हम सभी ने किसी न किसी दिन अपने शिक्षकों की नकल की है क्योंकि हम उन्हें अपना आदर्श मानते हैं क्योंकि वे हमें वह सब कुछ प्रदान करते हैं जो हमें खुद को एक अच्छा व्यक्ति बनाने के लिए चाहिए।
प्रत्येक शिक्षक के पास कुछ गुण होते हैं:
वे छात्रों के साथ बातचीत करते हैं: सहभागिता हमारे और शिक्षकों के बीच एक सेतु बनाती है। जब भी हम जीवन में पिछड़ा हुआ महसूस करते हैं तो हम हमेशा अपने शिक्षकों से बात करते है और वे हमारी इस दुर्भावना को दूर करने में मदद करते है। हमारे शिक्षक केवल हमे संबंधित विषयो पर ही ज्ञान नहीं देते है बल्कि अपने जीवन के अनुभवों को भी हमारे साथ बांटते है।
प्रेरणा और उत्साह: यहां बैठे मेरे सभी सहपाठी इस बात से सहमत होंगे कि जब भी हमारे शिक्षक कक्षा में प्रवेश करते हैं तो वे हमेशा एक उज्ज्वल मुस्कान और ऊर्जा से भरे होते हैं जो हमें दिन भर प्रेरित और सक्रिय रखता है। इसलिए हम हमेशा अपने शिक्षकों की तारीफ़ करते हैं और उनके जैसा बनने की कोशिश करते हैं।
कड़ी मेहनत और समर्पण: शिक्षक हम सभी के लिए ज्ञान के साथ साथ एक प्रेरणा का स्त्रोत है। हमारे प्रति उनकी प्रतिबद्धता और उनका विश्वास है जिसके कारण हम अच्छे अंक प्राप्त करते है।
अंत में मैं अपने सभी शिक्षकों को उनके कठिन परिश्रम और मेहनत के लिए धन्यवाद देना चाहूंगा, जो उन्होंने हमारे ऊपर लगाए हैं। यह आप सभी मार्गदर्शन ही हैं जिन्होंने हमें कभी गिरने नहीं दिया और इस बात का हमे हमेशा एहसास दिलाया कि हर असफलता के बाद सफलता हमारी प्रतीक्षा कर रही है, इसलिए हमें अपने जीवन में हार नहीं माननी चाहिए।
धन्यवाद!
विद्यालय प्रांगण में मौजूद सभी शिक्षकगण और मेरे प्यारे छात्रों – सबसे पहले आप सभी को शिक्षक दिवस की हार्दिक बधाई!
शिक्षक हमारे जीवन का बहुत अभिन्न अंग हैं और उन्हें अपने प्रयासों और कड़ी मेहनत के लिए पुरस्कृत करने की आवश्यकता है। इसलिए इस विद्यालय के प्रधानाचार्य के रूप में मैं यहाँ आपके सामने शिक्षक दिवस समारोह पर भाषण देने के लिए उपस्थित हुआ हूँ।
आज दिनांक 5 सितंबर को सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन को हम उनके स्मरणोत्सव पर शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं। दुनिया भर में आप जैसे छात्र इस दिन को बहुत ही ख़ुशी के साथ मनाते हैं। आज के दिन आप सभी अपने प्रिय शिक्षकों को उपहार और मिठाइयां देते हैं क्योंकि आप सभी उनके प्रयासों और काम के लिए उनका सम्मान करते हैं। हमारे शिक्षक पूरी मेहनत से आप लोगो को अपनी सभी समस्याए भूल कर पढ़ाते है ताकि आप जीवन में उन ऊंचाइयों को हासिल कर सको जिनके आप काबिल है।
शिक्षक बनना कोई आसान काम नहीं है, पूरे दिन बिना कुर्सी पर बैठे पढ़ाना, आपकी ताक़त और कमजोरियों को समझना और उन कमजोरियों को सही तरीके से ठीक करना। आपके असाइनमेंट और रजिस्टर की जांच करना यहां तक की उन्हें सही समय पर सभी को पूरा करने के लिए घर वापस ले जाना यही एक शिक्षक एक छात्र के जीवन में योगदान देता है। वे घर जाते है और अगले दिन के लेक्चर की तैयारी करते है ताकि आपको सही तरीके से वे आपको कॉन्सेप्ट समझा सके।
इस तरह से एक शिक्षक एक विद्यार्थी के सम्पूर्ण विकास में योगदान करता है। जब एक शिक्षक आपको डांटता है तो एक छात्र के रूप में आप नाराज़ हो जाते हो, लेकिन आप सभी को यह बात समझनी चाहिए की एक शिक्षक आप को बेवजह नहीं डांटता है, वह आपको आपकी बेहतरी के लिए ही डांटता है ताकि आप अपने जीवन में उन गलतियों को दुबारा न करे।
क्या आपने कभी सोचा है कि आपके शिक्षकों को इतनी मेहनत करने के बाद में भी क्या मिलता है? उत्तर कुछ भी नहीं है; आपके शिक्षक खुश हो जाते हैं जब वे आपको जीवन में सफलता प्राप्त करते हुए देखते हैं। उन्हें लगता है कि उनकी सारी मेहनत, जो उन्होंने अपने छात्रों में लगाई है वह व्यर्थ नहीं गयी है।
अंत में में यही कहना चाहूंगा की शिक्षक अपने विचारों और ज्ञान के माध्यम से न केवल एक छात्र, बल्कि एक पूरी पीढ़ी का निर्माण करते हैं। मुझे उम्मीद है कि मेरे भाषण से आपको अपने शिक्षकों का सम्मान करने के लिए प्रेरित किया होगा क्योंकि वे आपके गुरु हैं जिनके बिना आप अपने जीवन में कुछ भी हासिल नहीं कर सकते हैं और हमेशा इस बात को याद रखें कि शिक्षक आपके दूसरे माता पिता के समान हैं जो आपके और सभी के जीवन के सच्चे मार्गदर्शक हैं।
आप सभी को धन्यवाद!
यह भी देखें 👉👉 डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जीवन परिचय, डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की मृत्यु
गुरु का महत्व कभी होगा न कम,
भले कर ले कितनी भी उन्नति हम,
वैसे तो है इंटरनेट पे हर प्रकार का ज्ञान,
पर अच्छे बुरे की नहीं है उसे पहचान।
नहीं हैं शब्द कैसे करूँ धन्यवाद,
बस चाहिए हर पल आप सबका आशीर्वाद,
हूँ जहाँ आज मई उसमे है बड़ा योगदान,
आप सबका जिन्होंने दिया मुझे इतना ज्ञान।
आपने बनाया है मुझे इस योग्य,
कि प्राप्त करूँ मैं अपना लक्ष्य,
दिया है हर समय आपने सहारा,
जब भी लगा मुझे कि मैं हारा।
पर मैं हूँ कितना मतलबी,
याद किया न मैंने आपको कभी,
आज करता हूँ दिल से आप सब का सम्मान,
आप सब को है मेरा शत शत प्रणाम।
देश के नाम | शिक्षक दिवस दिन |
इक्वाडोर | 13 अप्रैल |
सयुंक्त राज्य अमरीका | 9 मई |
प्यूर्टो रिको | 12 मई |
दक्षिण कोरिया | 15 मई |
मैक्सिको | 15 मई |
मलेशिया | 16 मई |
बोलीविया | 6 जून |
अल साल्वाडोर | 22 जून |
ग्वाटेमाला | 25 जून |
निकारागुआ | 29 जून |
डोमिनिकन गणराज्य | 30 जून |
सिंगापुर | 31 अगस्त |
अर्जेंटीना | 11 सितंबर |
होंडुरास | 17 सितंबर |
ताइवान | 28 सितंबर |
एस्टोनिया | 5 अक्टूबर |
लिथुआनिया | 5 अक्टूबर |
फ्रांस | 5 अक्टूबर |
कनाडा | 5 अक्टूबर |
पोलैंड | 14 अक्टूबर |
ब्राजील | 15 अक्टूबर |
चिली | 16 अक्टूबर |
वियतनाम | 20 नवंबर |
कोस्टा रिका | 22 नवंबर |
तुर्की | 24 नवंबर |
स्पेन – | 27 नवंबर |
पनामा | 1 दिसंबर |
इज़राइल | 22 दिसंबर |