एकादशी का हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व है। हिंदू धर्म में व्रत एवं उपवास को धार्मिक दृष्टि से एक अहम स्थान दिया गया है। हिंदू धर्म में कई प्रकार के व्रत एवं उपवासों का प्रचलन है, जैन में नवरात्रि, शिवरात्रि, जन्माष्टमी आदि प्रमुख हैं, इन्हीं में से एक है एकादशी।
हिंदू पंचांग के 11 में तिथि को एकादशी कहते हैं। एकादशी का दिन या तिथि महीने में 2 बार आती है जिसमें से एक पूर्णिमा के बाद आती है। पूर्णिमा के बाद आने वाले इस एकादशी को कृष्ण पक्ष की एकादशी कहा जाता है तथा दूसरी अमावस्या के बाद आती है जिसे शुक्ल पक्ष की एकादशी कहा जाता है। इन दोनों एकादशी का हिंदू धर्म में अति महत्वपूर्ण स्थान है इस में आस्था रखने वाले लोग इस दिन व्रत अथवा उपवास करते हैं।
सफला एकादशी | 09 जनवरी, शनिवार | कृष्ण पक्ष |
पौष पुत्रदा एकादशी | 24 जनवरी, रविवार | शुक्ल पक्ष |
षटतिला एकादशी | 07 फरवरी, रविवार | कृष्ण पक्ष |
जया एकादशी | 23 फरवरी, मंगलवार | शुक्ल पक्ष |
विजया एकादशी | 09 मार्च, मंगलवार | कृष्ण पक्ष |
आमलकी एकादशी | 25 मार्च, गुरुवार | शुक्ल पक्ष |
पापमोचिनी एकादशी | 07 अप्रैल, बुधवार | कृष्ण पक्ष |
कामदा एकादशी | 23 अप्रैल, शुक्रवार | शुक्ल पक्ष |
वरुथिनी एकादशी | 07 मई, शुक्रवार | कृष्ण पक्ष |
मोहिनी एकादशी | 23 मई, रविवार | शुक्ल पक्ष |
अपरा एकादशी | 06 जून, रविवार | कृष्ण पक्ष |
निर्जला एकादशी | 21 जून, सोमवार | शुक्ल पक्ष |
योगिनी एकादशी | 05 जुलाई, सोमवार | कृष्ण पक्ष |
देवशयनी एकादशी | 20 जुलाई, मंगलवार | शुक्ल पक्ष |
कामिका एकादशी | 04 अगस्त, बुधवार | कृष्ण पक्ष |
श्रावण पुत्रदा एकादशी | 18 अगस्त, बुधवार | शुक्ल पक्ष |
अजा एकादशी | 03 सितंबर, शुक्रवार | कृष्ण पक्ष |
परिवर्तिनी एकादशी | 17 सितंबर, शुक्रवार | शुक्ल पक्ष |
इंदिरा एकादशी | 02 अक्टूबर, शनिवार | कृष्ण पक्ष |
पापांकुशा एकादशी | 16 अक्टूबर, शनिवार | शुक्ल पक्ष |
रमा एकादशी | 01 नवंबर, सोमवार | कृष्ण पक्ष |
देवउठनी एकादशी | 14 नवंबर, रविवार | शुक्ल पक्ष |
उत्पन्ना एकादशी | 30 नवंबर, मंगलवार | कृष्ण पक्ष |
मोक्षदा एकादशी | 14 दिसंबर, मंगलवार | शुक्ल पक्ष |
सफला एकादशी | 30 दिसंबर, गुरुवार | कृष्ण पक्ष |
एकादशी के व्रत के पीछे भी एक कथा प्रचलित है। मान्यता अनुसार कहा जाता है कि एक बार धर्मराज युधिष्ठिर जी ने भगवान श्रीकृष्ण से सभी दुखों को दूर करने सभी पापों को हरने हजार यज्ञों का अनुष्ठान द्वारा फल प्राप्ति तथा मुक्ति पाने हेतु उपाय पूछा इसके उत्तर में भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें एकादशी व्रत के बारे में बताया इसके महत्व को बताते हुए भगवान श्री कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को यह व्रत करने का निर्देश दिया जिससे कि व्यक्ति के जीवन के सभी दुखों का निवारण हो जाता है तथा उसे एकादशी व्रत का दिव्य फल प्राप्त होता है।